दिल्ली हाईकोर्ट ने मादक पदार्थों की तस्करी के आरोप में गिरफ्तार विदेशी नागरिक को ज़मानत दी

Shahadat

4 Oct 2025 6:02 PM IST

  • दिल्ली हाईकोर्ट ने मादक पदार्थों की तस्करी के आरोप में गिरफ्तार विदेशी नागरिक को ज़मानत दी

    दिल्ली हाईकोर्ट ने मादक पदार्थों की तस्करी के मामले में चार साल से ज़्यादा समय से जेल में बंद विदेशी नागरिक को ज़मानत दी।

    ऐसा करते हुए जस्टिस अरुण मोंगा ने कहा कि जांच अधिकारी ने क्रॉस एक्जामिनेशन के दौरान ख़ुद स्वीकार किया कि ज़ब्त किए गए पदार्थ को सैंपल लेने से पहले मिलाया गया, जिससे यह पता लगाना असंभव हो गया कि टेस्ट के लिए भेजे गए नमूने किस पैकेट से आए या उनका वज़न कितना था।

    पीठ ने कहा,

    "इस प्रकार, टेस्ट किए गए सैंपल्स के प्रमाण पर संदेह है, जिन्हें कुल मिलाकर व्यावसायिक मात्रा के रूप में दर्शाया गया। प्रत्येक पैकेट का अलग-अलग टेस्ट किया जाना था।"

    लोकपाल सिंह बनाम उत्तराखंड राज्य मामले का हवाला दिया गया, जहां सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संदिग्ध मादक पदार्थों के सैंपल प्रत्येक पैकेट से अलग-अलग निकाले जाने चाहिए और उन्हें मिलाया नहीं जाना चाहिए।

    कस्टम ने जून, 2021 में भारत आने पर याचिकाकर्ता दक्षिण अफ्रीकी नागरिक है। उससे प्रतिबंधित सामग्री जब्त की थी।

    उससे बरामद कुल सामग्री का वजन 10,500 ग्राम था - एक पैकेट का वजन लगभग 10,000 ग्राम और एक प्लास्टिक कंटेनर का वजन लगभग 480 ग्राम था।

    फील्ड टेस्टिंग किट में 'हेरोइन' की पुष्टि हुई, जिसके कारण उसे स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम, 1985 की धारा 8, 21, 23 और 29 के तहत अपराधों के लिए गिरफ्तार कर लिया गया।

    याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि पंचनामा में यह उल्लेख नहीं कि प्रत्येक पैकेट से पदार्थ फील्ड टेस्टिंग किट पर टेस्ट के लिए लिया गया। यह तर्क दिया गया कि कानून में यह स्थापित है कि प्रत्येक पैकेट से सैंपल लेकर FSL को भेजे जाने चाहिए, ऐसा न करने पर यह नहीं कहा जा सकता कि आरोपी के पास व्यावसायिक मात्रा में हेरोइन पाई गई।

    दूसरी ओर, राज्य ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता के पास व्यावसायिक मात्रा में हेरोइन थी, जिससे धारा 37(1)(बी)(ii) के तहत ज़मानत पर पूर्ण प्रतिबंध लगता है। इसके अलावा, एक विदेशी नागरिक होने के नाते उसके भागने का गंभीर खतरा है और न्यायिक मिसालें मादक पदार्थों के तस्करों को ज़मानत देने से इनकार करने में सामाजिक हित पर ज़ोर देती हैं।

    हालांकि, अदालत ने कहा कि चूंकि जांच अधिकारी ने सैंपल लेने से पहले पैकेटों में मिलावट की बात स्वीकार की है, “जांच अधिकारी की गवाही के आलोक में आवेदक/आरोपी की दोषसिद्धि की संभावना पर कुछ संदेह है।”

    इसलिए अदालत ने ज़मानत दी।

    Case title: Quentin Decon v. Customs

    Next Story