केवल टकराव या जांच के लिए आवश्यक दस्तावेज निर्दिष्ट नहीं होने पर ED समन रद्द नहीं किया जा सकता: दिल्ली हाइकोर्ट

Amir Ahmad

14 March 2024 11:10 AM GMT

  • केवल टकराव या जांच के लिए आवश्यक दस्तावेज निर्दिष्ट नहीं होने पर ED समन रद्द नहीं किया जा सकता: दिल्ली हाइकोर्ट

    दिल्ली हाइकोर्ट ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा जारी किए गए समन केवल इसलिए रद्द नहीं किया जा सकता, क्योंकि जांच या किसी आरोपी के साथ टकराव के लिए आवश्यक प्रासंगिक दस्तावेज उनमें निर्दिष्ट नहीं किए गए।

    जस्टिस अनूप कुमार मेंदीरत्ता ने कहा कि वैधानिक शक्तियों का प्रयोग करते हुए समन केवल इस आशंका पर नहीं रोका जा सकता कि ED द्वारा शुरू की गई कार्यवाही में ECIR के रजिस्ट्रेशन के बाद जारी किए गए समन के आधार पर आरोपी को गिरफ्तार किया जा सकता है और मुकदमा चलाया जा सकता है।

    अदालत ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आरोपी तालिब हसन दरवेश को अंतरिम राहत देने से इनकार करते हुए ये टिप्पणियां कीं। उन्होंने ED द्वारा उन्हें जारी किए गए समन पर रोक लगाने और जांच एजेंसी को उनके खिलाफ कोई और कठोर कदम उठाने से रोकने की मांग की।

    ED ने इस आधार पर याचिका का विरोध किया कि दरवेश को प्रारंभिक चरण में ही किसी भी दंडात्मक कार्रवाई से अलग नहीं किया जा सकता और PMLA Act की धारा 45 के जनादेश की अनदेखी करते हुए उसके पक्ष में कोई सुरक्षात्मक आदेश पारित नहीं किया जा सकता।

    यह भी प्रस्तुत किया गया कि ED द्वारा शुरू की गई कार्यवाही ECIR के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों की स्वतंत्र जांच है और केवल CBI द्वारा दर्ज एफआईआर में दरवेश को अग्रिम जमानत देने के आदेश के आधार पर लाभ नहीं दिया जा सकता।

    अदालत ने राहत देने से इनकार करते हुए कहा,

    “ED द्वारा जारी किया गया समन केवल इसलिए रद्द नहीं किया जा सकता, क्योंकि जांच या याचिकाकर्ता से टकराव के उद्देश्य से आवश्यक प्रासंगिक दस्तावेजों को समन में निर्दिष्ट नहीं किया गया।”

    इसमें कहा गया कि ECIRVअपराध की आय से जुड़ी प्रक्रिया या गतिविधि में शामिल व्यक्तियों के खिलाफ अभियोजन शुरू करने से पहले बनाया गया आंतरिक दस्तावेज है, इसलिए दरवेश को भेजे गए समन में इस चरण में ED द्वारा एकत्र किए गए सबूतों को प्रकट करना आवश्यक नहीं है।

    अदालत ने कहा,

    “याचिकाकर्ता को अभी भी डिस्चार्ज बरी या रद्दीकरण के माध्यम से अनुसूचित अपराध से मुक्त किया जाना है और ऐसे में जमानत देने के लिए PMLA Act, 2002 की धारा 45 के तहत जनादेश की अनदेखी करते हुए याचिकाकर्ता के पक्ष में सुरक्षा आदेश जारी नहीं किए जा सकते।”

    इसमें कहा गया,

    “इसके अलावा वैधानिक शक्तियों का प्रयोग करते हुए समन को केवल इस आशंका पर नहीं रोका जा सकता कि ED द्वारा शुरू की गई कार्यवाही में ECIR के रजिस्ट्रेशन के बाद जारी किए गए समन के आधार पर याचिकाकर्ता को गिरफ्तार किया जा सकता है और मुकदमा चलाया जा सकता है। तथ्यों और परिस्थितियों में इस स्तर पर अंतरिम राहत का कोई आधार नहीं बनता है।”

    जैसे ही अदालत ने अंतरिम आवेदन का निपटारा किया, उसने ECIR रद्द करने और 07 मई को सुनवाई के लिए सम्मन की मांग करने वाली दरवेश की याचिका सूचीबद्ध की।

    केस टाइटल- तालिब हसन दरवेश बनाम प्रवर्तन निदेशालय

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