उपभोक्ता आयोग ने दोषपूर्ण लैपटॉप पर HP India और डीलर को मुआवज़ा और रिफंड देने का आदेश दिया
Praveen Mishra
25 Oct 2025 2:54 PM IST

एर्नाकुलम जिला उपभोक्ता आयोग, जिसमें अध्यक्ष श्री डी.बी. बीनू और सदस्य श्री वी. रामचंद्रन व श्रीमती श्रीविद्या टी.एन. शामिल थे, ने एचपी इंडिया सेल्स प्रा. लि. और सिस्टमैनटेक को सेवा में कमी और अनुचित व्यापार प्रथा के लिए संयुक्त रूप से जिम्मेदार ठहराया। आयोग ने दोनों को ₹1,14,000 लैपटॉप वापसी पर लौटाने, ₹20,000 मुआवज़े और ₹5,000 मुकदमेबाज़ी खर्च देने का निर्देश दिया, साथ ही 45 दिन में पालन न होने पर 9% ब्याज लगाने का आदेश दिया।
पूरा मामला:
शिकायतकर्ता अब्राहम पॉल, जो करुण्या इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंसेज़, कोयंबटूर में बायोमेडिकल इंजीनियरिंग के छात्र हैं, ने 2 जुलाई 2022 को ₹1,14,000 में एचपी ओमेन 16.1” गेमिंग लैपटॉप (मॉडल 16-b1350TX) खरीदा था। लैपटॉप पर 1+4 साल की वारंटी थी।
खरीद के केवल एक महीने के भीतर ट्रैकपैड खराब हो गया। तकनीशियन ने मरम्मत की, लेकिन दोष बार-बार वापस आया। 14 दिसंबर 2022 की सर्विस रिपोर्ट में भी यह समस्या दर्ज की गई। जून 2024 में कीबोर्ड भी खराब हो गया। अधिकृत सर्विस सेंटर ने जांच के बाद बताया कि समस्या मदरबोर्ड की दोषपूर्ण निर्माण गुणवत्ता के कारण है।
शिकायतकर्ता ने बार-बार एचपी इंडिया और सिस्टमैनटेक से संपर्क किया, लेकिन स्थायी समाधान नहीं मिला। एचपी ने यह भी स्वीकार किया कि आवश्यक स्पेयर पार्ट्स उपलब्ध नहीं हैं। लगातार खराबी और सही आफ्टर-सेल्स सेवा न मिलने के कारण लैपटॉप अनुपयोगी हो गया और शिकायतकर्ता की पढ़ाई प्रभावित हुई। उन्होंने ईमेल और कॉल के माध्यम से शिकायत की, लेकिन कोई जवाब या समाधान नहीं मिला।
दोनों पक्षों के तर्क:
दोनों प्रतिवादी आयोग के समन के बावजूद पेश नहीं हुए और कोई लिखित जवाब भी नहीं दिया। इस कारण मामला एकतरफा (ex parte) सुनवाई में निपटाया गया। शिकायतकर्ता द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज़ों और सर्विस रिपोर्टों के आधार पर आयोग ने पाया कि लैपटॉप में निर्माण दोष था और वारंटी सेवा में गंभीर कमी रही।
आयोग के निष्कर्ष और आदेश:
आयोग ने निष्कर्ष निकाला कि शिकायतकर्ता को लंबी अवधि तक लैपटॉप की खराबी के कारण मानसिक तनाव, असुविधा और शैक्षणिक हानि हुई। इसलिए आयोग ने आदेश दिया:
1. दोनों प्रतिवादी मिलकर लैपटॉप और उसके सभी उपकरणों की वापसी पर ₹1,14,000 लौटाएँ।
2. ₹20,000 मुआवज़े के रूप में भुगतान करें।
3. ₹5,000 मुकदमेबाज़ी खर्च अदा करें।
4. लैपटॉप और रिफंड की प्रक्रिया में डेटा बैकअप की सुविधा उपलब्ध कराई जाए।
5. आदेश का पालन 45 दिनों में न होने पर 9% वार्षिक ब्याज देय होगा।
आयोग ने शिकायतकर्ता की मांग को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए दोषपूर्ण उत्पाद और सेवा में कमी के लिए प्रतिवादियों को जिम्मेदार ठहराया।

