छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने कहा, COVID-19 के दौरान पति को बेरोजगारी के लिए ताने देना मानसिक क्रूरता, तलाक का आधार

Avanish Pathak

22 Aug 2025 3:26 PM IST

  • छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने कहा, COVID-19 के दौरान पति को बेरोजगारी के लिए ताने देना मानसिक क्रूरता, तलाक का आधार

    छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया है कि COVID-19 महामारी जैसे आर्थिक रूप से कमजोर समय में पति को बेरोजगार होने के लिए ताने देना मानसिक क्रूरता माना जाता है और यह हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 13(1)(ia) के तहत तलाक का वैध आधार है।

    जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस अमितेंद्र किशोर प्रसाद की खंडपीठ ने यह फैसला एक ऐसे मामले में सुनाया, जिसमें एक पति, जो पेशे से वकील थे, ने अपनी पत्नी के खिलाफ तलाक की याचिका दायर की थी। पत्नी एक स्कूल प्रिंसिपल थीं और उन्होंने COVID-19 महामारी के दौरान पति को उनकी बेरोजगारी के लिए बार-बार ताने दिए।

    इसके अलावा, पत्नी ने अनुचित मांगें कीं और छोटी-छोटी बातों पर मौखिक विवाद किया। पति ने यह भी आरोप लगाया कि पत्नी ने उनकी बेटी को उनके खिलाफ भड़काया, परिवार को छोड़ दिया, और अपनी बेटी को अपने साथ ले गई, जबकि बेटे को पति के साथ छोड़ दिया। पति ने दावा किया कि पत्नी का यह व्यवहार मानसिक क्रूरता और परित्याग (desertion) का गठन करता है।

    अदालत ने पाया कि पत्नी ने बिना किसी उचित कारण के पति और उनके बेटे को छोड़ दिया, जो हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13(1)(ib) के तहत परित्याग के आधार को पूरा करता है। पत्नी की अनुपस्थिति में, जो कि एकतरफा कार्यवाही (ex-parte proceedings) के कारण थी, पति के आरोपों का कोई खंडन नहीं हुआ। अदालत ने यह भी नोट किया कि पत्नी का व्यवहार वैवाहिक बंधन के प्रति उपेक्षा और पति के प्रति मानसिक उत्पीड़न का एक पैटर्न दर्शाता है।

    हाईकोर्ट ने परिवार न्यायालय के उस फैसले को पलट दिया, जिसमें पति की तलाक याचिका को खारिज कर दिया गया था। अदालत ने कहा कि निचली अदालत ने मानसिक क्रूरता और परित्याग के साक्ष्यों की सही समीक्षा नहीं की। यह देखते हुए कि विवाह अपरिवर्तनीय रूप से टूट चुका है, हाईकोर्ट ने पति को तलाक की डिक्री प्रदान की।

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