लंबी तारीखें न दें, जल्दी साक्ष्य दर्ज करें : छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का ट्रायल कोर्ट्स को निर्देश
Praveen Mishra
7 Nov 2025 5:31 PM IST

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने निचली अदालतों (ट्रायल कोर्ट्स) को सलाह दी है कि वे अनावश्यक रूप से लंबी तारीखें (adjournments) न दें, क्योंकि इससे मुकदमों के निपटारे में देरी होती है। अदालत ने कहा कि विशेष रूप से तब जब आरोपी न्यायिक हिरासत में हो, साक्ष्य दर्ज करने (recording of evidence) के लिए छोटी और लगातार तारीखें तय की जानी चाहिए।
चीफ़ जस्टिस रमेश सिन्हा ने टिप्पणी की, “यह देखा गया है कि कई मामलों में ट्रायल कोर्ट्स लंबे समय की तारीखें दे देते हैं, भले ही आरोपी जेल में हो। ऐसी प्रथा न केवल मुकदमे के निपटारे में देरी करती है, बल्कि संविधान द्वारा गारंटीकृत शीघ्र न्याय (speedy trial) के मौलिक अधिकार को भी प्रभावित करती है। इसलिए सभी ट्रायल कोर्ट्स को निर्देशित किया जाता है कि वे अनावश्यक स्थगन (adjournments) से बचें और जहां आरोपी न्यायिक हिरासत में है, वहां साक्ष्य के लिए छोटी और लगातार तारीखें तय करें, सिवाय इसके कि कोई अपरिहार्य या विवश करने वाली परिस्थिति हो।”
मामले की पृष्ठभूमि:
यह टिप्पणी एक आरोपी की दूसरी जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान की गई, जिसे मादक द्रव्य और मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम, 1985 (NDPS Act) की धारा 20-B(II)(C) के तहत गिरफ्तार किया गया था। इस धारा के तहत 10 से 20 साल तक की कठोर सजा और 1 से 2 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है, यदि कोई व्यक्ति अवैध रूप से गांजा का उत्पादन, परिवहन, बिक्री या कब्जा करता है।
पुलिस ने आरोपी और उसके सह-आरोपी के संयुक्त कब्जे से 33.7 किलोग्राम गांजा जब्त किया था। पहली जमानत याचिका खारिज हो चुकी थी। दूसरी याचिका में आरोपी ने कहा कि वह नवंबर 2024 से जेल में है, और 14 गवाहों में से अब तक केवल 3 की गवाही हुई है — जिनमें से सभी शत्रु गवाह (hostile witnesses) बन गए। अगली सुनवाई जनवरी 2026 के लिए तय की गई थी, इसलिए आरोपी ने जमानत की मांग की।
राज्य सरकार ने इसका विरोध किया, यह कहते हुए कि चार्जशीट दायर हो चुकी है और जब्त की गई मात्रा वाणिज्यिक मात्रा (commercial quantity) से कहीं अधिक है।
हालांकि कोर्ट ने जमानत देने से इनकार किया, लेकिन ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिया कि मामले की सुनवाई की तारीख आगे बढ़ाई जाए और साक्ष्य दर्ज करने के लिए छोटी-छोटी और लगातार तारीखें तय की जाएं। कोर्ट ने कहा —
“यह अदालत आशा और विश्वास करती है कि ट्रायल कोर्ट इस आदेश की प्रमाणित प्रति प्राप्त होने की तिथि से चार महीने के भीतर मुकदमे का निपटारा करने का पूरा प्रयास करेगा।”

