मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए एकत्र किए गए धन के दुरुपयोग के संबंध में एफआईआर रद्द करने के लिए Youtuber ने मद्रास हाईकोर्ट का रुख किया
Shahadat
8 Jun 2022 12:50 PM IST
मद्रास हाईकोर्ट में यूट्यूबर एस .कार्तिक गोपीनाथ ने याचिका दाखिल की। इस याचिका में पेरम्बलुर जिले में अरुलमिगु मधुरा कालियाम्मन मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए एकत्र किए गए कई लाख रुपये के धन के कथित दुरुपयोग के लिए उसके खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द करने की मांग की गई। इसके साथ ही, पुलिस ने यूट्यूबर को हिरासत में लेकर पूछताछ के लिए भी अर्जी दाखिल की है।
जस्टिस एन सतीश कुमार के सामने मंगलवार को जब यह मामला आया तो अदालत ने पुलिस को हेराफेरी का विवरण पेश करने का निर्देश देते हुए सुनवाई स्थगित कर दी। इस बीच, अदालत ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को याचिकाकर्ता की जमानत अर्जी पर बुधवार को ही फैसला करने का निर्देश दिया।
याचिकाकर्ता पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 406 और 420 और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 66डी के तहत पेरम्बलुर के सिरुवाचर में अरुलमिगु मधुरा कालियाम्मन मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए जनता से कथित रूप से धन इकट्ठा करने और उक्त राशि का उपयोग नहीं करने का आरोप लगाया गया है।
याचिकाकर्ता ने दलील दी कि वह निर्दोष है और उसे मामले में झूठा फंसाया गया है। उसने आगे दावा किया कि उसकी गिरफ्तारी के दौरान प्रक्रियाओं का विधिवत पालन नहीं किया गया। उसे शिकायत की प्रति नहीं दी गई और न ही उसके परिवार को गिरफ्तारी ज्ञापन दिया गया। इस प्रकार, अधिकारी डीके बसु मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का उल्लंघन कर रहे हैं।
याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि उसकी गिरफ्तारी से पहले अधिकारियों द्वारा कोई प्रारंभिक जांच नहीं की गई। उसने तर्क दिया कि मंदिर के कार्यकारी अधिकारी ने यह दिखाने के लिए कोई सामग्री उपलब्ध नहीं कराई कि याचिकाकर्ता द्वारा मंदिर के धन का दुरुपयोग किया गया।
उन्होंने अदालत को यह भी बताया कि मंदिर के पुनर्वास और पुनर्निर्माण के लिए मंदिर के कार्यकारी अधिकारी की जानकारी और सहमति से क्राउडफंडिंग की पहल की गई। मिलाप के माध्यम से दी गई राशि तीसरे पक्ष के खाते में पड़ी थी और मंदिरों और मूर्तियों के निर्माण के अलावा किसी अन्य उद्देश्य के लिए वापस नहीं ली जा सकती है। उसने कहा कि उन्होंने अपने निजी इस्तेमाल के लिए कोई राशि नहीं निकाली या खर्च नहीं की।
इस प्रकार, याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि यह मानने के लिए कोई उचित आधार नहीं है कि उसने ऐसा अपराध किया है जो गैर-जमानती प्रकृति का है क्योंकि उसके खिलाफ रिकॉर्ड पर कोई सबूत नहीं है।
दूसरी ओर, प्रतिवादियों ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता के पास धन एकत्र करने का कोई अधिकार नहीं है। इस प्रकार वह बिना किसी अधिकार के कार्य कर रहा है।
केस टाइटल: एस कार्तिक गोपीनाथ बनाम राज्य और अन्य
केस नंबर: 2022 का सीआरएल ओपी 13166