ब्लॉगर आत्महत्या केस | 'सच्चाई जानने के लिए हिरासत में पूछताछ जरूरी': केरल हाईकोर्ट ने पति को अग्रिम जमानत देने से इनकार किया

Shahadat

10 Aug 2022 7:20 AM GMT

  • ब्लॉगर आत्महत्या केस | सच्चाई जानने के लिए हिरासत में पूछताछ जरूरी: केरल हाईकोर्ट ने पति को अग्रिम जमानत देने से इनकार किया

    केरल हाईकोर्ट ने गुरुवार को युवा व्लॉगर रीफा मेहनाज़ के पति को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया। मेहनाज़ इस साल की शुरुआत में रहस्यमय परिस्थितियों में दुबई में अपने घर में मृत पाई गई थी।

    जस्टिस बेचू कुरियन थॉमस ने अग्रिम जमानत के लिए आवेदन को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि याचिकाकर्ता की हिरासत में पूछताछ उसकी पत्नी की मौत के आसपास की सच्चाई को जानने के लिए आवश्यक है।

    कोर्ट ने कहा,

    "जिन परिस्थितियों के कारण मृतक ने खुद को फांसी लगा ली वह एक ऐसा मामला है, जो याचिकाकर्ता के ज्ञान में हो सकता है। याचिकाकर्ता की पत्नी की मौत के आसपास की परिस्थितियों को हिरासत में पूछताछ से ही पता चल सकता है।"

    याचिकाकर्ता और मृतक 2015 में अपनी शादी के बाद संयुक्त अरब अमीरात में रह रहे थे, जहां मृतक कुछ समय में ही लोकप्रिय ब्लॉगर बन गई थी।

    याचिकाकर्ता ने मार्च, 2022 में मृतक को उनके बेडरूम में लटका देखा था। मृतक की मां ने याचिकाकर्ता के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई कि उसने उसे वैवाहिक क्रूरता के कारण आत्महत्या के लिए उकसाया। इस शिकायत के आधार पर याचिकाकर्ता पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 498ए और 306 के तहत मामला दर्ज किया गया।

    मृतक को भारत में दफनाया गया, लेकिन उसके परिवार द्वारा उसकी मृत्यु पर संदेह करने के बाद उसके शव को कब्र से निकाला गया। शव का पोस्टमॉर्टम किया गया, जिसमें इसी बात पुष्टि हुई कि उसकी मौत आत्महत्या के कारण हुई थी।

    अभियोजन का मामला यह है कि एक मार्च को याचिकाकर्ता के बेडरूम से बाहर निकलने के तुरंत बाद मृतक ने फांसी लगा ली। इसलिए, याचिकाकर्ता पर आरोप है कि उसने अपनी पत्नी की मृत्यु से पहले उसके साथ क्रूरता की और उसे आत्महत्या के लिए उकसाया।

    याचिकाकर्ता की ओर से पेश एडवोकेट राजीव पी. मैथ्यूज ने दलील दी कि उसे झूठे तरीके से आरोपी के रूप में पेश किया गया। उनके अनुसार, याचिकाकर्ता और मृतक का वैवाहिक जीवन बहुत ही प्रेमपूर्ण था। याचिकाकर्ता के लिए अज्ञात कारणों से आत्महत्या से उसकी (पत्नी) मृत्यु हो गई। आगे यह बताया गया कि आत्महत्या के लिए कभी भी क्रूरता या उकसाने जैसे कोई काम नहीं किया गया। इसलिए, याचिकाकर्ता से हिरासत में पूछताछ आवश्यक नहीं है।

    वकील ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता को दो अन्य व्यक्तियों की संलिप्तता के बारे में संदेह है। उसे उनके आचरण पर संदेह पैदा हुआ। उसकी पत्नी के आत्महत्या करने के लिए कोई अन्य पहचान योग्य कारण नहीं है।

    लोक अभियोजक के ए नौशाद ने आवेदन का विरोध किया। उन्होंने तर्क दिया कि अब तक की गई जांच में ऐसे उदाहरण सामने आए हैं, जो याचिकाकर्ता द्वारा आत्महत्या के लिए उकसाने और क्रूर व्यवहार की ओर इशारा करते हैं, इसलिए हिरासत में पूछताछ आवश्यक है।

    मृतक की मां की ओर से एडवोकेट रमीज नूह पेश हुए। उन्होंने दलील दी कि उनकी बेटी को वैवाहिक क्रूरता का शिकार होना पड़ा, जिसके कारण उसने आत्महत्या कर ली। यह तर्क दिया गया कि मृतका युवकों के बीच प्रसिद्ध थी। उसके पति द्वारा की गई क्रूरता के अलावा उसके आत्महत्या करने का कोई कारण नहीं था।

    गवाहों के बयान पर विचार करते हुए जैसा कि केस डायरी से देखा गया, और मामले के आसपास की परिस्थितियों की सराहना करते हुए अदालत ने यह विचार किया कि यह अग्रिम जमानत देने के लिए उपयुक्त मामला नहीं है। इसलिए आरोपी को जमानत नहीं दी जा सकती।

    यह पाते हुए कि याचिकाकर्ता की हिरासत में पूछताछ आवश्यक है, न्यायाधीश जमानत आवेदन की अनुमति देने के इच्छुक नहीं है।

    इसी के साथ जमानत याचिका खारिज कर दी गई।

    केस टाइटल: महानस मोइदु बनाम केरल राज्य

    साइटेशन: 2022 लाइव लॉ (केरल) 422

    ऑर्डर डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें




    Next Story