सांप्रदायिक हिंसा भड़काने वाले BJP नेता के खिलाफ हाईकोर्ट ने दिया पुलिस कार्रवाई का आदेश

Shahadat

2 Nov 2025 9:52 PM IST

  • सांप्रदायिक हिंसा भड़काने वाले BJP नेता के खिलाफ हाईकोर्ट ने दिया पुलिस कार्रवाई का आदेश

    उत्तराखंड हाईकोर्ट ने पिछले सप्ताह नैनीताल पुलिस को रामनगर (ज़िला नैनीताल) में सांप्रदायिक हिंसा भड़काने में कथित भूमिका के लिए स्थानीय भारतीय जनता पार्टी (BJP) नेता मदन जोशी के खिलाफ कार्रवाई करने और 6 नवंबर तक कार्रवाई रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया।

    चीफ जस्टिस जी. नरेंद्र और जस्टिस सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ ने यह आदेश नूरजहां नामक व्यक्ति द्वारा दायर सुरक्षा याचिका पर पारित किया। नूरजहां एक ड्राइवर (नासिर) की पत्नी हैं, जिसकी 23 अक्टूबर को रामनगर में गोमांस ले जाने के आरोप में कथित तौर पर पिटाई की गई थी।

    याचिकाकर्ता ने दावा किया कि स्थानीय BJP नेता और पार्टी की रामनगर नगर इकाई के पूर्व अध्यक्ष मदन जोशी द्वारा उकसाई गई भीड़ ने नासिर के वाहन को कथित तौर पर रोक लिया था। उसके बाद उन्होंने फेसबुक पर लाइव होकर झूठे दावे फैलाए कि उस वाहन पर गोमांस ले जाया जा रहा है, जिससे भीड़ भड़क गई और भीड़ हिंसा में बदल गई।

    याचिकाकर्ता के अनुसार, भीड़ ने कथित तौर पर नासिर को गाड़ी से बाहर खींच लिया, उसे पत्थरों, लात-घूंसों और लात-घूंसों से पीटा और इस हिंसा का सोशल मीडिया पर सीधा प्रसारण किया गया।

    याचिका में दावा किया गया कि पुलिस घटनास्थल पर देर से पहुंची और घायल व्यक्ति को तुरंत अस्पताल ले जाने के बजाय, उसे थाने ले गई।

    इस घटना को पूरी तरह से अराजकता का ज्वलंत उदाहरण बताते हुए याचिका में कहा गया कि इसी के परिणामस्वरूप तहसीन एस. पूनावाला मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी निर्देशों की घोर अवहेलना करते हुए मॉब लिंचिंग और गौरक्षकों द्वारा हिंसा की गई।

    याचिकाकर्ता ने CBI जांच, अपने परिवार के लिए पुलिस सुरक्षा और मॉब लिंचिंग तथा घृणा अपराधों पर सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन कराने के निर्देश देने की मांग की।

    नूरजहाँ ने अपने पति के लिए भी मुआवज़ा मांगा, जो कथित हमले में लगी गंभीर चोटों का इलाज करा रहे हैं। याचिका में कहा गया कि हमले के बाद से उन्हें और उनके परिवार को गंभीर परिणाम भुगतने की धमकियां मिल रही हैं।

    मामले की सुनवाई के दौरान, याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि जोशी अभी भी फेसबुक पर लाइव संदेश पोस्ट कर रहे हैं। उनके उपलब्ध होने के बावजूद, पुलिस उनके राजनीतिक संबंधों के कारण जानबूझकर कार्रवाई करने से बच रही है।

    इस दलील के मद्देनजर, अदालत ने अगली सुनवाई तक जांच अधिकारी से कार्रवाई रिपोर्ट मांगी। जांच अधिकारी को यह भी निर्देश दिया गया कि वे घटना के संबंध में किसी भी व्यक्ति द्वारा की गई भड़काऊ पोस्ट पर तुरंत कार्रवाई करें और यह सुनिश्चित करें कि उन्हें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से हटा दिया जाए।

    Case title - Noor Jahan vs State of Uttarakhand

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