'सकता है' शब्द के प्रयोग से मध्यस्थता क्लॉज अप्रभावी नहीं होता: दिल्ली हाईकोर्ट

Avanish Pathak

13 Oct 2022 6:59 AM GMT

  • सकता है शब्द के प्रयोग से मध्यस्थता क्लॉज अप्रभावी नहीं होता: दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट ने माना कि मध्यस्थता क्लॉज में 'सकता है' (Can) शब्द का उपयोग इसे अप्रभावी नहीं बनाता और पार्टियों का मध्यस्थता का इरादा क्लॉज और प्रासंगिक क्लॉजों को पूरी तरह से पढ़ने के बाद निर्धारित किया जाना है।

    जस्टिस प्रतीक जालान की खंडपीठ ने दोहराया कि अनन्य क्षेत्राधिकार क्लॉज एक वेन्यू (Venue) क्लॉज को ओवरराइड करेगा, इसलिए जिस न्यायालय को विशेष क्षेत्राधिकार प्रदान किया गया है, वह अनुबंध से पैदा सभी मध्यस्थता आवेदनों का फैसला करेगा।

    तथ्य

    पार्टियों ने पांच सितंबर 2016 को एक डीलरशिप समझौता किया, जिसके तहत शाह एयरकॉन (प्रतिवादी) को पैनासोनिक (याचिकाकर्ता) के लिए अधिकृत डीलर के रूप में कार्य करना था। प्रतिवादी द्वारा कुछ अनपेड चालानों और याचिकाकर्ता द्वारा तीसरे पक्ष को माल की आपूर्ति के कारण, जो की समझौते का उल्लंघन था, संबंधित पक्षों के बीच विवाद उत्पन्न हुआ।

    20 अगस्त, 2020 को प्रतिवादी ने याचिकाकर्ता पर अनधिकृत तृतीय पक्ष को सामान बेचकर अनुबंध के उल्लंघन करने और प्रतिवादी के नाम पर बिल बनाने का आरोप लगाते हुए एक कानूनी नोटिस जारी किया।

    इसके बाद पार्टियों के बीच कुछ पत्राचार हुआ, जिसके कारण अंततः मध्यस्थता का नोटिस जारी किया गया। प्रतिवादी ने मध्यस्थता के नोटिस का जवाब दिया और मध्यस्थता की स्थिरता के संबंध में कुछ आपत्तियां उठाईं। नतीजतन, याचिकाकर्ता ने मध्यस्थता का नोटिस जारी किया।

    आपत्तियां

    प्रतिवादी ने निम्नलिखित आधारों पर याचिका के सुनवाई योग्य होने पर आपत्ति जताई:

    -न्यायालय के पास अधिकार क्षेत्र नहीं है क्योंकि जिन चालानों से विवाद उत्पन्न होता है, वे गुरुग्राम को मध्यस्थता की सीट के रूप में नामित करते हैं।

    -पार्टियों के बीच कोई वैध मध्यस्थता समझौता नहीं है क्योंकि क्लॉज में केवल 'सकता है' शब्द का इस्तेमाल किया गया है जो केवल मध्यस्थता की संभावना प्रदान करता है।

    याचिकाकर्ता के दावों को सीमित कर दिया गया है क्योंकि वे वर्ष 2017 में उत्पन्न हुए थे और मध्यस्थता नोटिस 29 सितंबर 2021 को दिया गया था।

    निष्कर्ष

    न्यायालय ने माना कि पार्टियों के बीच समझौते ने नई दिल्ली ‌स्थिति न्यायालयों पर विशेष क्षेत्राधिकार प्रदान किया और विशेष रूप से पार्टियों के लिए मध्यस्थ की नियुक्ति के लिए इस न्यायालय का सहारा लिया। इसके विपरीत, चालान में मध्यस्थता खंड, केवल मध्यस्थता के स्थान का प्रावधान करता है।

    न्यायालय ने माना कि अनन्य क्षेत्राधिकार खंड चालान के तहत दिए गए स्थान को ओवरराइड करेगा, इसलिए, प्रतिवादी द्वारा उठाई गई आपत्ति निराधार है।

    इसके बाद, कोर्ट ने आर्बिट्रेशन क्लॉज में 'सकता है' शब्द के इस्तेमाल के मुद्दे पर फैसला किया। कोर्ट ने कहा कि केवल शब्द का प्रयोग मध्यस्थता खंड को अप्रभावी नहीं बना सकता है। यह माना गया कि एक मध्यस्थता खंड को अन्य प्रासंगिक खंडों के साथ समग्र रूप से व्याख्यायित किया जाना है।

    न्यायालय ने माना कि शेष खंड, जहां तक ​​यह मध्यस्थता के स्थान, मध्यस्थता की भाषा, अधिनियम की प्रयोज्यता, कारण देने की आवश्यकता, और न्यायालय के संदर्भ में मध्यस्थ की नियुक्ति की प्रक्रिया को संदर्भित करता है, इस दृष्टिकोण का भी समर्थन करता है कि पार्टियों का इरादा मध्यस्थता के लिए एक अनिवार्य संदर्भ है।

    अदालत ने तब सीमा पहलू के बारे में तर्क को खारिज कर दिया। कोर्ट ने माना कि दोनों पक्षों ने सीमा पहलू पर विवाद किया है, इसलिए विवादित तथ्यों का फैसला केवल मध्यस्थ द्वारा किया जाना है।

    तदनुसार, अदालत ने याचिका को स्वीकार कर लिया और मध्यस्थ नियुक्त किया।

    केस टाइटल: पैनासोनिक इंडिया प्रा लिमिटेड बनाम शाह एयरकॉन, ARB P 621/2021

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