आतंकवाद के वित्तपोषण के मामले में अलगाववादी नेता नईम खान को नहीं मिली जमानत

Shahadat

9 April 2025 10:08 AM

  • आतंकवाद के वित्तपोषण के मामले में अलगाववादी नेता नईम खान को नहीं मिली जमानत

    दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को कथित आतंकवाद वित्तपोषण के UAPA मामले में अलगाववादी नेता नईम अहमद खान को जमानत देने से इनकार किया।

    जस्टिस नवीन चावला और जस्टिस शालिंदर कौर की खंडपीठ ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) द्वारा दर्ज मामले में खान की जमानत याचिका खारिज की।

    खान ने दिसंबर, 2022 में जमानत देने से इनकार करने वाले ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी।

    खान 14 अगस्त, 2017 से न्यायिक हिरासत में है। उन पर राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने कश्मीर घाटी में "अशांति पैदा करने" का आरोप लगाया गया। उसे 24 जुलाई, 2017 को गिरफ्तार किया गया था।

    NIA ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए तर्क दिया कि मामले में एकत्र किए गए साक्ष्य खान के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला स्थापित करते हैं और वह आतंकवादी और वित्तपोषण गतिविधियों में शामिल था।

    NIA ने कई वीडियो का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि खान को "आईएसआईएस समर्थक रैली" का नेतृत्व करते हुए और "उन इलाकों का दौरा करते हुए देखा गया, जहां आतंकवादी मारे गए।" NIA ने कहा है कि वीडियो में खान द्वारा हिजबुल मुजाहिदीन से फंडिंग के बारे में बातचीत है।

    उसे जमानत देने से इनकार करते हुए स्पेशल एनआईए जज ने कहा कि आरोप तय करने के समय सबूतों और विभिन्न गवाहों के बयानों की विस्तृत जांच की गई और यह निष्कर्ष निकाला गया कि खान की संलिप्तता के बारे में "गंभीर संदेह" पैदा करने वाले पर्याप्त सबूत उपलब्ध हैं।

    इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि खान के खिलाफ पहले ही आरोप तय किए जा चुके हैं - जिन पर हाईकोर्ट द्वारा रोक नहीं लगाई गई या उन्हें खारिज नहीं किया गया, जज ने कहा कि अदालत जमानत के चरण में सबूतों का फिर से मूल्यांकन नहीं कर सकती।

    NIA ने गृह मंत्रालय की शिकायत पर FIR दर्ज की, जिसमें आरोप लगाया गया कि शिकायतकर्ता से मिली "गुप्त सूचना" के आधार पर पता चला कि लश्कर-ए-तैयबा के प्रमुख हाफिज मुहम्मद सईद और हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के सदस्यों सहित विभिन्न अलगाववादी नेता "हवाला के जरिए" धन जुटा रहे थे और कश्मीर में हिंसा फैलाने की साजिश में भी शामिल थे।

    मामले में आरोप लगाया गया कि "सुरक्षा बलों पर पथराव, स्कूलों को व्यवस्थित रूप से जलाने, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने" के जरिए कश्मीर घाटी में अशांति पैदा करने की एक बड़ी आपराधिक साजिश थी।

    यह मामला भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी, 121, 121ए और 124ए तथा गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम, 1967 की धारा 13, 16, 17, 18, 20, 39 और 40 के तहत दर्ज किया गया।

    जमानत अपील एडवोकेट तारा नरूला, तमन्ना पंकज और एस. देबब्रत रेड्डी के माध्यम से दायर की गई।

    केस टाइटल: नईम खान बनाम एनआईए

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