'कस्टडी में रहते हुए कई बीमारियों से पीड़ित हो गया': कलकत्ता हाईकोर्ट ने बोलने और सुनने में पूरी तरह असमर्थ एनडीपीएस आरोपी को जमानत दी

Avanish Pathak

17 May 2022 8:27 AM GMT

  • कलकत्ता हाईकोर्ट

    कलकत्ता हाईकोर्ट

    कलकत्ता हाईकोर्ट ने हाल ही में एक मामले में सीआरपीसी की धारा 439 के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग किया और एक आरोपी को जमानत दी। कोर्ट ने ध्यान दिया गया कि आरोपी बोलने और सुनने में पूरी तरह असमर्थ है और हिरासत में रहते हुए कई शारीरिक बीमारियों से पीड़ित हो चुका है।

    जस्टिस मौसमी भट्टाचार्य और जस्टिस केसांग डोमा भूटिया की एक पीठ याचिकाकर्ता की जमानत याचिका पर फैसला सुना रही थी। उस पर नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट, 1985 (एनडीपीएस एक्ट) के तहत अपराध का आरोप था।

    अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता 440 दिनों से हिरासत में था और हिरासत में रहते हुए विभिन्न बीमारियों से पीड़ित ‌हो चुका था। उसकी शारीरिक अक्षमता को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने कहा, "याचिकाकर्ता ने स्वीकार किया है कि वह शत-प्रतिशत वाक् और श्रवण दोष से पीड़ित है। याचिकाकर्ता 440 दिनों से हिरासत में है और हिरासत में रहते हुए विभिन्न बीमारियों से पीड़ित है। याचिकाकर्ता को इलाज के लिए उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज भी भेजा गया है।"

    हाईकोर्ट ने रॉकी सिंह जलिंदर सिंह कल्याणी बनाम महाराष्ट्र राज्य में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भरोसा रखा, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी की शारीरिक अक्षमता को ध्यान में रखते हुए जमानत के आवेदन की अनुमति दी थी।

    जमानत अर्जी मंजूर करते हुए कोर्ट ने कहा,

    "याचिकाकर्ता की शारीरिक स्थिति और 2022 की आपराधिक अपील संख्या 176 (रॉकी सिंह जलिंदर सिंह कल्याणी बनाम महाराष्ट्र राज्य) में सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश को ध्यान में रखते हुए हम जमानत के लिए आवेदन की अनुमति देने के इच्छुक हैं।"

    तदनुसार, अदालत ने निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता को 10,000 रुपये के बांड और समान राशि के दो जमानतदारों को प्रस्तुत करने पर जमानत पर रिहा किया जाएगा, जिनमें से एक संबंधित सत्र न्यायाधीश की संतुष्टि के लिए स्थानीय होना चाहिए।

    कोर्ट ने आगे कहा,

    "याचिकाकर्ता स्थानीय पुलिस थाने के अधिकार क्षेत्र को नहीं छोड़ेगा और जब भी जांच और पूछताछ आवश्यकता होगी, उसे संबंधित अदालत और पुलिस स्टेशन के समक्ष खुद को उपलब्ध करना होगा। याचिकाकर्ता जब भी आवश्यक सुनवाई होगी, प्रत्येक तारीख पर ट्रायल कोर्ट के समक्ष खुद को पेश करेगा। वह किसी भी गवाह को धमकाएगा और किसी भी तरह से किसी भी सबूत के साथ छेड़छाड़ नहीं करेगा।", अदालत ने आगे निर्देश दिया।

    याचिकाकर्ता द्वारा निर्देश में शामिल शर्तों का पालन नहीं करने की स्थिति में ट्रायल कोर्ट को इस अदालत को संदर्भ‌ित किए बिना जमानत रद्द करने करने के लिए स्वतंत्र होगी।

    केस टाइटल: मामले में: परिमल सरदार@परिमल सिकदर

    केस साइटेशन: 2022 लाइव लॉ (Cal) 179

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