सेक्स संबंध के बाद शादी से इनकार करना बलात्कार के अपराध के लिए पर्याप्त नहीं: केरल हाईकोर्ट

Shahadat

8 July 2022 12:37 PM GMT

  • सेक्स संबंध के बाद शादी से इनकार करना बलात्कार के अपराध के लिए पर्याप्त नहीं: केरल हाईकोर्ट

    केरल हाईकोर्ट ने यौन उत्पीड़न के मामले में केंद्र सरकार के वकील को जमानत देते हुए माना कि सेक्स संबंध के बाद शादी से इनकार करना बलात्कार के अपराध का गठन करने के लिए पर्याप्त नहीं है।

    जस्सिट बेचू कुरियन थॉमस ने कहा कि दो इच्छुक वयस्क सहमति से बनने वाले यौन संबंध भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 376 के दायरे में आने वाले बलात्कार की श्रेणी में नहीं आएंगे, जब तक कि यौन संबंध के लिए ली गई सहमति, धोखे से या गलत बयानी द्वारा से न ली गई हो।

    कोर्ट ने कहा,

    "भले ही दो इच्छुक भागीदारों के बीच यौन संबंध विवाह में परिणत नहीं होते हैं, फिर भी इसे बलात्कार की श्रेणी में नहीं रखा जाएगा। सेक्स संबंध के बाद शादी से इनकार या रिश्ते के शादी तक पहुंचने से पहले ही खत्म हो जाना ऐसे कारक नहीं हैं जो बलात्कार के अपराध का गठन करने के लिए पर्याप्त हैं। पुरुष और महिला के बीच सेक्स संबंध केवल तभी बलात्कार के अपराध के दायरे में आ सकते हैं जब पुरुष महिला की इच्छा के विरुद्ध या उसकी सहमति के बिना बल या धोखाधड़ी से सहमति हासिल करता है।"

    कोर्ट ने यह भी कहा कि शादी के वादे पर होने वाले सेक्स के लिए सहमति केवल तभी बलात्कार होगी जब वादा धोखाधड़ी, झूठ बोलकर या बलपूर्वक लिया गया हो।

    कोर्ट ने कहा,

    "शादी के वादे का पालन करने में विफलता के कारण पुरुष और महिला के बीच शारीरिक संबंध को बलात्कार में बदलने के लिए यह आवश्यक है कि महिला का यौन कृत्य में शामिल होने का निर्णय किसी वादे पर आधारित होना चाहिए।"

    एकल न्यायाधीश ने यह भी कहा कि झूठा वादा करने के लिए वादा करने वाले को इसे करते समय अपनी बात को कायम रखने का कोई इरादा नहीं होना चाहिए और उक्त वादे ने महिला को शारीरिक संबंध के लिए खुद को प्रस्तुत करने के लिए प्रेरित किया होगा। इसका तात्पर्य यह है कि शारीरिक मिलन और विवाह के वादे के बीच सीधा संबंध होना चाहिए।

    याचिकाकर्ता को पिछले महीने भारतीय दंड संहिता की धारा 376(2)(एन) और धारा 313 के तहत गिरफ्तार किया गया था।

    शिकायतकर्ता ने दलील दी थी कि वे पिछले चार साल से वे रिलेशनशिप में थे। हालांकि, उसने पाया कि होटल में आरोपी दूसरी महिला से शादी कर रहा है। शिकायतकर्ता ने इसके तुरंत बाद कथित तौर पर अपनी कलाई काटकर आत्महत्या करने का प्रयास किया और उसे तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया।

    अभियोजन पक्ष ने आगे आरोप लगाया कि जांच के दौरान यह पता चला कि पीड़िता को याचिकाकर्ता के कहने पर दो बार गर्भपात कराने के लिए मजबूर किया गया था, इसलिए आईपीसी की धारा 313 को भी शामिल किया गया। घटना का पता तब चला जब उसने पुलिस को बयान देकर आत्महत्या के प्रयास के पीछे का कारण बताया। इसी के तहत याचिकाकर्ता को गिरफ्तार किया गया। मामले में नियमित जमानत की मांग करते हुए याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

    मामले को जब गुरुवार को उठाया गया तो न्यायालय ने युवा वयस्कों के बीच संबंधों की विकसित होती प्रकृति पर इसी तरह की टिप्पणियां कीं। न्यायाधीश ने कहा कि रिश्तों में इस बदलाव के कारण इन जोड़ों के टूटने और दूसरों से शादी करने के बाद बलात्कार के आरोपों की संख्या बढ़ रही है। हालांकि, इसका हमेशा यह अर्थ नहीं होता कि किसी एक साथी को शादी के झूठे वादे पर यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर किया गया है।

    अदालत ने याचिकाकर्ता को कुछ शर्तों के अधीन जमानत दे दी। कोर्ट ने यह देखते हुए जमानत दी कि हालांकि उसके खिलाफ आरोप गंभीर हैं, फिर भी यह असंभव है कि वह न्याय से भाग जाएगा, क्योंकि वह केंद्र सरकार का वकील है।

    सीनियर एडवोकेट रमेश चंदर ने निर्देश एडवोकेट सी.पी. उदयभानु याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए और एडवोकेट जॉन एस राल्फ मामले में शिकायतकर्ता की ओर से पेश हुए।

    केस टाइटल: नवनीत एन नाथ बनाम केरल राज्य

    साइटेशन: 2022 लाइव लॉ (केरल) 335़

    ऑर्डर डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें




    Next Story