आम चुनाव कराने में राज्य चुनाव आयोग की कोई भूमिका नहीं: दिल्ली हाईकोर्ट में ईवीएम, वीवीपीएटी की 'प्रथम स्तर की जांच' पर दायर जनहित याचिका पर ईसीआई ने कहा

Shahadat

25 Aug 2023 7:15 AM GMT

  • आम चुनाव कराने में राज्य चुनाव आयोग की कोई भूमिका नहीं: दिल्ली हाईकोर्ट में ईवीएम, वीवीपीएटी की प्रथम स्तर की जांच पर दायर जनहित याचिका पर ईसीआई ने कहा

    दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को 2024 के लोकसभा चुनावों में उपयोग के लिए राष्ट्रीय राजधानी के ग्यारह जिला कार्यालयों में ईवीएम और वीवीपीएटी की "प्रथम स्तरीय जांच" के दौरान राज्य चुनाव आयोग के आचरण के खिलाफ जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।

    यह याचिका दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अनिल कुमार द्वारा दायर की गई, जो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी की इकाई है।

    जनहित याचिका एडवोकेट अल्जो के. जोसेफ और सुनील कुमार के माध्यम से दायर की गई। इसमें आरोप लगाया गया कि प्रथम स्तरीय जांच (एफएलसी) के संचालन से पहले राजनीतिक दलों को पर्याप्त नोटिस नहीं दिया गया। फिर मांगने के बावजूद ईवीएम विवरण प्रदान नहीं किया गया। इस प्रकार एफएलसी का पूरा उद्देश्य विफल हो गया।

    चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस संजीव नरूला की खंडपीठ ने कुमार को जनहित याचिका वापस लेने की अनुमति दी और भारत के चुनाव आयोग के वकील द्वारा प्रस्तुत किए जाने के बाद उन्हें नई याचिका दायर करने की स्वतंत्रता दी कि प्रार्थना राज्य चुनाव आयोग के खिलाफ की गई, जो आम चुनाव के संचालन में इसकी कोई भूमिका नहीं है।

    अदालत ने कुमार की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट सलमान खुर्शीद से कहा,

    “कृपया याचिका के मुख्य भाग को देखें। सभी वाक्य, सभी पैराग्राफ... वे राज्य चुनाव आयोग की ओर निर्देशित हैं। कृपया इसे वापस लें और नई याचिका दायर करें।''

    ईसीआई की ओर से पेश वकील ने कहा कि याचिका बहुत ही सामान्य तरीके से दायर की गई और कुमार ने ईसीआई या राज्य द्वारा जारी दिशानिर्देशों को चुनौती नहीं दी, अगर इसका उल्लंघन हुआ हो।

    कहा गया,

    “याचिकाकर्ता नई जनहित याचिका दायर करने की स्वतंत्रता के साथ याचिका वापस लेने का अनुरोध करता है। याचिका को उक्त स्वतंत्रता के साथ वापस लिया गया मानकर खारिज किया जाता है।''

    कुमार ने दिल्ली के सभी 11 जिला चुनाव कार्यालयों की हिरासत में मौजूद ईवीएम और वीवीपीएटी की एफएलसी को फिर से बुलाने के लिए एसईसी को निर्देश देने की मांग की।

    उक्त चेकिंग के संबंध में एसईसी को पर्याप्त नोटिस देने का निर्देश भी मांगा गया, जिससे डीपीसीसी सहित राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि इस प्रक्रिया में भाग ले सकें।

    याचिका के अनुसार, दिल्ली के संबंध में ईवीएम और वीवीपैट की एफएलसी 15 जुलाई से 30 जुलाई तक निर्धारित की गई। हालांकि, इस संबंध में केवल 12 जुलाई और 13 जुलाई के पत्रों के माध्यम से नोटिस दिए गए।

    कुमार का मामला यह था कि 15 जुलाई को डीपीसीसी के अधिकृत व्यक्ति के माध्यम से पत्र लिखकर सभी एसडीएम से सभी 11 जिला चुनाव कार्यालयों में एफएलसी से गुजरने वाली सभी ईवीएमएस और वीवीपैट की विनिर्माण कंपनी सहित सीरियल नंबर प्रदान करने का अनुरोध किया गया।

    यह कहते हुए कि किसी भी एसडीएम द्वारा पत्रों का जवाब नहीं दिया गया, कुमार ने कहा कि ईवीएम की जानकारी और विवरण के बिना हितधारक राजनीतिक दलों के लिए एफएलसी प्रक्रिया में भाग लेने का कोई मतलब नहीं है।

    याचिका में कहा गया,

    “पारदर्शी, स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए उपयोग की जाने वाली मशीनों की जांच और सत्यापन और सभी हितधारकों के प्रतिनिधियों द्वारा संतुष्ट होना आवश्यक है। राज्य चुनाव आयोग द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया पारदर्शी नहीं है।”

    याचिका में कहा गया कि यदि प्रक्रिया ही पारदर्शी नहीं है तो भारत का चुनाव आयोग स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कैसे सुनिश्चित कर सकता है।

    केस टाइटल: अनिल कुमार बनाम भारत निर्वाचन आयोग एवं अन्य

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