कुछ प्रशासनिक सदस्य सरकार के खिलाफ आदेश पारित करने से बचते हैं: चीफ जस्टिस बीआर गवई
Shahadat
22 Sept 2025 9:59 AM IST

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बीआर गवई ने कहा कि केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरणों के कुछ प्रशासनिक सदस्य सरकार के विरुद्ध आदेश पारित करने से हिचकिचाते हैं।
केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (CAT) के 10वें अखिल भारतीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए चीफ जस्टिस गवई ने कहा:
"एक जज के रूप में मैंने व्यक्तिगत रूप से देखा है कि प्रशासन से आने वाले कुछ जज यह नहीं भूलते कि वे प्रशासन से हैं और वे ऐसा कोई भी आदेश पारित करने से बचते हैं, जो सरकार के विरुद्ध हो। इसलिए मुझे लगता है कि उन्हें इस पर विचार करना चाहिए।"
उन्होंने आगे कहा कि उन्हें नहीं पता कि उनकी टिप्पणियों को कैसे लिया जाएगा, क्योंकि "आजकल आपको पता ही नहीं होता कि आप क्या कह रहे हैं और सोशल मीडिया पर क्या आ रहा है।" यह स्पष्ट रूप से पिछले सप्ताह खजुराहो मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति की पुनर्स्थापना की मांग वाली जनहित याचिका में उनकी टिप्पणियों को लेकर हुए विवाद के संदर्भ में था।
अपने संबोधन में उन्होंने न्यायाधिकरणों के कामकाज में सुधारों की आवश्यकता पर ज़ोर दिया और प्रशिक्षण, एकसमान नियुक्तियों, बेहतर सेवा शर्तों और एक केंद्रीकृत डेटा प्रणाली के माध्यम से अधिक पारदर्शिता के महत्व पर ज़ोर दिया।
चीफ जस्टिस गवई ने कहा कि न्यायिक सदस्यों को लोक प्रशासन की बारीकियों से परिचित होने से लाभ हो सकता है, जबकि प्रशासनिक सदस्यों को कानूनी तर्क-वितर्क का प्रशिक्षण आवश्यक है। साथ ही उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि कुछ पूर्व नौकरशाह न्यायाधिकरण के सदस्य बनने के बाद सरकार का पक्ष लेने लगते हैं।
चीफ जस्टिस ने इस बात पर ज़ोर दिया कि न्यायिक अकादमियों द्वारा आयोजित नियमित कार्यशालाओं, सम्मेलनों और ट्रेनिंग प्रोग्राम से न्यायाधिकरण के सदस्यों की प्रभावशीलता में वृद्धि हो सकती है। उन्होंने स्पष्ट पात्रता मानदंडों के साथ एक समान नियुक्ति प्रक्रिया का भी आह्वान किया, जो उनके अनुसार, मनमानी को रोकेगी और न्यायाधिकरणों में नागरिकों का विश्वास बढ़ाएगी। साथ ही निर्णयों में अधिक एकरूपता सुनिश्चित करेगी।
केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह, जो दोनों उपस्थित है, उनको संबोधित करते हुए चीफ जस्टिस ने सरकार से न्यायाधिकरण के अध्यक्षों और सदस्यों की सेवा शर्तों पर तत्काल पुनर्विचार करने का आग्रह किया।
उन्होंने कहा,
"अगर सरकार चाहती है कि हाईकोर्ट के रिटायर जज और अच्छे न्यायिक अधिकारी न्यायाधिकरणों के पदों को सुशोभित करें तो उनकी सेवा शर्तों पर एक त्वरित नज़र डालना या उन पर पुनर्विचार करना आज की ज़रूरत है।"
गौरतलब है कि पिछले हफ़्ते सुप्रीम कोर्ट ने NGT से संबंधित मामले की सुनवाई करते हुए सुविधाओं की कमी पर चिंता व्यक्त की थी, जिसके कारण कई हाईकोर्ट के जज रिटायरमेंट के बाद न्यायाधिकरणों में नियुक्तियां स्वीकार करने से कतराते हैं।
एक अन्य प्रमुख चिंता यह है कि न्यायाधिकरणों के लिए अदालतों में इस्तेमाल किए जाने वाले राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड (NJDG) जैसे व्यापक डेटाबेस का अभाव था। चीफ जस्टिस गवई ने बताया कि जहां केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण लंबित और निपटाए गए मामलों के कुछ बुनियादी आंकड़े प्रदान करता है, वहीं एकरूपता, जवाबदेही और पारदर्शिता में सुधार के लिए केंद्रीय और राज्य न्यायाधिकरणों को शामिल करने वाला एक एकीकृत मंच आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि ऐसा केंद्रीकृत डेटाबेस न केवल वादियों को मामलों पर नज़र रखने में सक्षम बनाएगा, बल्कि नीति निर्माताओं, शोधकर्ताओं और अदालतों को सर्वोत्तम प्रथाओं की पहचान करने में भी मदद करेगा।
उन्होंने कहा,
"हालांकि CAT अपने होम पेज पर लंबित, निपटाए गए और दायर मामलों का संक्षिप्त विवरण प्रदान करता है। हालांकि, एक व्यापक संसाधन जहां केंद्रीय और राज्य प्रशासनिक न्यायाधिकरणों के लिए ऐसा डेटा मिल सके, डेटा तक पहुंचने में अधिक एकरूपता प्रदान करेगा। इसके अतिरिक्त, यह वादियों को अपने मामलों को अधिक आसानी से ट्रैक करने में भी सक्षम बनाएगा।"

