सिस्टर अभया मर्डर केस: केरल हाईकोर्ट ने दोषी सिस्टर सेफी और फादर कोट्टूर को सशर्त जमानत दी
Shahadat
23 Jun 2022 11:11 AM IST
केरल हाईकोर्ट ने गुरुवार को सनसनीखेज सिस्टर अभया हत्याकांड मामले में दोषी सिस्टर सेफी और फादर थॉमस कोट्टूर की उन्हें दी गई आजीवन कारावास की सज़ा निलंबित करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए जमानत दे दी।
जस्टिस के विनोद चंद्रन और जस्टिस सी. जयचंद्रन की खंडपीठ ने दोषियों को प्रत्येक को पांच लाख रुपये के बांड निष्पादित करने की शर्त के साथ जमानत दी। उन्हें यह भी निर्देश दिया गया कि वे जमानत पर बाहर रहने के दौरान किसी अन्य अपराध में शामिल नहीं होंगे और छह महीने तक हर शनिवार को जांच अधिकारी के सामने पेश होंगे।
अदालत ने उन्हें अदालत की पूर्व अनुमति के बिना राज्य नहीं छोड़ने का भी निर्देश दिया।
सिस्टर सेफी की ओर से सीनियर एडवोकेट पी विजयभानु ने प्रस्तुत किया कि वह जांच और ट्रायल के दौरान जमानत पर थी और वह 22 दिसंबर, 2020 से आजीवन कारावास की सजा काट रही है। यह प्रस्तुत किया गया कि उसने अदालत द्वारा दी गई अपनी स्वतंत्रता का दुरुपयोग नहीं किया। साथ ही ऐसा कोई आरोप नहीं है कि जमानत पर बाहर रहने के दौरान उसने सबूतों से छेड़छाड़ करने या गवाहों को प्रभावित करने का प्रयास किया हो। वकील ने तर्क दिया कि अगर उसकी अपील के निपटारे तक सजा को निलंबित नहीं किया गया तो उसे गंभीर पूर्वाग्रह और अपूरणीय क्षति होगी।
फादर कोट्टूर की ओर से सीनियर एडवोकेट बी रमन पिल्लई पेश हुए और कहा कि उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं होने के बावजूद निचली अदालत ने उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई। यह आरोप लगाया गया कि निचली अदालत द्वारा दर्ज किए गए अपराध के निष्कर्ष पूरी तरह से उसके और अन्य आरोपियों के खिलाफ लगाए गए आरोपों के विपरीत है। वकील ने प्रस्तुत किया कि सीबीआई अदालत ने यह नोटिस करने में विफल रहने की मौलिक गलती की है कि यह हत्या का मामला है या नहीं।
27 मार्च, 1992 को कोट्टायम में सेंट पियस दसवीं कॉन्वेंट के कुएं के अंदर 20 वर्षीय सिस्टर अभया मृत पाई गई थी। स्थानीय पुलिस और केरल पुलिस की अपराध शाखा ने शुरू में इस मामले को आत्महत्या के मामले के रूप में बंद कर दिया था। हालांकि, बड़े पैमाने पर जन आक्रोश के कारण मामला सीबीआई को सौंप दिया गया था।
2009 में सीबीआई ने अपीलकर्ताओं और फादर जोस पुथरुक्कयिल को आरोपी के रूप में आरोप पत्र दाखिल करके मामले में प्रगति की। रिपोर्ट के अनुसार, सिस्टर अभया ने गलती से सिस्टर सेफी और अन्य दो आरोपी पुजारियों पर "समझौता करने की स्थिति" में घुसपैठ कर ली थी। आगे यह भी आरोप लगाया गया कि सेफी घबरा गई और उसने अभया को लकड़ी काटने की कुल्हाड़ी से मारा। उसके बाद आरोपियों ने अभया के शव को कॉन्वेंट परिसर के एक कुएं में फेंक दिया।
दिसंबर, 2020 में विशेष सीबीआई कोर्ट, तिरुवनंतपुरम ने अपीलकर्ताओं को सिस्टर अभया की हत्या का दोषी पाया। तदनुसार उन्हें भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 के तहत उम्रकैद की सजा सुनाई गई।
दोषियों पर आईपीसी की धारा 302 के तहत 5-5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया। कोट्टूर को अतिरिक्त आजीवन कारावास और आईपीसी की धारा 449 के तहत एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया था।
अपनी सजा और दोषसिद्धि को चुनौती देते हुए दोषियों ने 2021 की शुरुआत में हाईकोर्ट के समक्ष अपील दायर की थी। यह अभी भी न्यायालय के समक्ष लंबित है।
केस टाइटल: सिस्टर सेफी बनाम सीबीआई
साइटेशन: 2022 लाइव लॉ (केर) 297