शादी का कथित झूठा वादा कर बनाया यौन संबंध, हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने जमानत देते हुए कहा, "दोनों वयस्क थे, लड़के पर पूरा दोष डालना ज्यादती होगी"
LiveLaw News Network
28 Nov 2020 2:34 PM IST
हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने बुधवार (25 नवंबर) को एक ऐसे शख्स को जमानत दी, जिसने कथित रूप से मुस्लिम होने के बावजूद एक हिंदू होने का नाटक किया, और बाद में एक महिला से शादी का वादा करके, उसके साथ यौन संबंध स्थापित किए और बाद में उसे छोड़ दिया।
याचिकाकर्ता को महिला पुलिस थाना, ऊना, जिला ऊना, हिमाचल प्रदेश में भारतीय दंड संहिता, 1860, (IPC) की धारा 376, 506, 419, 201, धारा 34 के साथ पढ़ें, के तहत दर्ज एफआईआर में गिरफ्तार किया गया था। मामले की सुनवाई जस्टिस अनूप चितकारा की खंडपीठ ने की।
मामला
याचिकाकर्ता पर आरोप था कि उसने महिला को अपना नाम विक्की शर्मा बताया था, जबकि वह मुस्लिम था और उसका असली नाम अब्दुल रहमान था। कथित तौर पर, अपनी पहचान छुपाते हुए, याचिकाकर्ता अब्दुल रहमान @ विक्की शर्मा उसे प्रलोभन देता रहा और उज्ज्वल भविष्य के सपने दिखाता रहा।
पीड़िता ने कहा कि वह उसके जाल में फंस गई। उसने उससे शादी का वादा किया और इसी के बहाने कई बार उसके साथ सहवास किया। कथित पीड़िता ने अब्दुल रहमान को 1,20,000 रुपए भी दिए थे। इसके अलावा, पीड़िता ने उसे 10,000, 5,000, और 50,000 रुपए भी दिए थे।
एक दोस्त के माध्यम से, याचिकाकर्ता की असलियत का पता चलने पर, कथित पीड़िता दंग रह गया। संदेह को सत्यापित करने के लिए, उसने तलवाड़ा में अब्दुल रहमान के घर का दौरा किया और उसके परिवार के सदस्यों को सब कुछ बताया।
परिवार के सदस्यों और अब्दुल रहमान की बहनों के अब्दुल रहमान के साथ उसकी शादी कराने से, इस आधार पर मना कर दिया कि वह अनुसूचित जाति की थी। इस बीच, अब्दुल रहमान घर पहुंचा और उसे गंदी गालियां दीं। उसने उसे कमरे के अंदर खींच कर, बेरहमी से पीटा।
बड़ी कोशिशों के बाद, वह खुद को अब्दुल रहमान के चंगुल से बचा पाई। अब्दुल रहमान ने उसे धमकी दी कि यदि वह उसके घर दोबारा आने की हिम्मत करेगी तो तो वह उस पर तेजाब फेंक देगा।
आदेश
न्यायालय ने अपने आदेश में कहा, "पीड़िता की उम्र 21 वर्ष है। वह 10 + 2 पास करने के बाद कोर्स कर रही थी। शिकायत में, याचिकाकर्ता द्वारा उसके परिवार और उसके माता-पिता के समक्ष शादी के प्रस्ताव को आगे बढ़ाने पर पूरी तरह चुप्पी है। इसके बजाय याचिकाकर्ता ने खुद आरोपी के घर का दौरा किया।"
न्यायालय ने आगे कहा, "जहां तक पीड़ित द्वारा कार खरीदने के लिए पैसे देने के आरोपों का संबंध है, पीड़िता उस स्रोत को नहीं बता रही है, जिससे उसने इतनी बड़ी राशि पाई थी और यह उसका मामला नहीं है कि वह एक कामकाजी लड़की है। दोनों, लड़का और लड़की, ने जब पहली बार सहवास किया, वे वयस्क हो चुके थे। वे जानते थे कि वे क्या कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में, जमानत के लिए लड़के पर पूरा दोष डालना, ज्यादती होगी।
याचिकाकर्ता की पहचान छिपाने और पीडि़ता को लुभाने के बारे में, अदालत ने कहा कि इस तथ्य को "मुकदमे के दौरान स्थापित करने की आवश्यकता है और याचिकाकर्ता इन अपुष्ट आरोपों के आधार पर आगे कैद में रखना अन्याय होगा।"
अंत में, अदालत ने कहा कि पूरे साक्ष्य का विश्लेषण न तो अभियुक्त को आगे कैद में रखने को सही ठहराता है, न ही किसी महत्वपूर्ण उद्देश्य को प्राप्त करने वाला है। मामले के गुण-दोष, जांच के चरण और पहले से चल रही कैद की अवधि पर टिप्पणी किए बिना, अदालत ने कहा कि यह "जमानत का मामला है।"
जमानत की शर्त के रूप में, याचिकाकर्ता को निर्देशित किया गया है कि -
* वह पीड़िता को न तो घूरेगा, न ही पीछा करेगा, कोई इशारे नहीं करेगा, टिप्पणी नहीं करेगा, कॉल, संपर्क मैसेज नहीं देगा, न तो शारीरिक रूप से, या फोन कॉल या किसी अन्य सोशल मीडिया के माध्यम से, ऐसा करेगा। न ही पीड़िता के घर के आसपास घूमेगा। याचिकाकर्ता पीड़िता से संपर्क नहीं करेगा।
* याचिकाकर्ता के पास यदि कोई हथियार है, तो आज से 30 दिनों के भीतर संबंधित प्राधिकारी को गोला बारूद, आग्नेयास्त्र और शष्त्र लाइसेंस को सौंप देगा। हालांकि, भारतीय शस्त्र अधिनियम, 1959 के प्रावधानों के अधीन, याचिकाकर्ता इस मामले में बरी होने के बाद नवीकरण और इसे वापस लेने का हकदार होगा।
उल्लेखनीय है कि एक 16 वर्षीय लड़की से बलात्कार के आरोपी 21 वर्षीय व्यक्ति को जमानत देते समय, हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने गुरुवार (12 नवंबर) को टिप्पणी की थी, "पानी लाने के बहाने स्वेच्छा से घर से गई पीड़िता के आचरण को देखते हुए और यह तथ्य कि आरोपी अविवाहित हैं, रूमानी प्रेम के गलत होने की संभावना है।"
जस्टिस अनूप चितकारा की खंडपीठ 21 वर्षीय आरोपी की नियमित जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसने आरोप लगाया था कि लड़की के परिवार ने उसे अपना प्रेम संबंध तोड़ने के लिए झूठी शिकायत दर्ज करने के लिए मजबूर किया था।
केस टाइटिल - अब्दुल रहमान बनाम हिमाचल प्रदेश राज्य [Cr.MP (एम) नंबर 2064 ऑफ 2020]
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