सत्र न्यायाधीश ने श्रम न्यायालय में अपने ट्रांसफर को दी गई चुनौती को खारिज करने के सिंगल बेंच के आदेश को केरल हाईकोर्ट में चुनौती दी

Shahadat

16 Sep 2022 5:31 AM GMT

  • केरल हाईकोर्ट

    केरल हाईकोर्ट

    सिविक चंद्रन मामले में 'उत्तेजक पोशाक' से संबंधित विवादास्पद आदेश पारित करने वाले कोझीकोड के प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश एस. कृष्णकुमार ने पीठासीन अधिकारी, श्रम न्यायालय, कोल्लम पद पर अपने ट्रांसफर को दी गई चुनौती को एकल न्यायाधीश द्वारा खारिज करने के निर्णय के खिलाफ केरल हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

    एडवोकेट मैथ्यू जे मुरिकन के माध्यम से दायर रिट अपील में अपीलकर्ता ने एकल न्यायाधीश द्वारा पारित आदेश को इस आधार पर चुनौती दी कि यह कानून में टिकाऊ नहीं है, क्योंकि एकल न्यायाधीश का निष्कर्ष है कि ट्रांसफर मानदंड केवल दिशानिर्देश हैं और यह ट्रांसफर कर्मचारी पर कोई अधिकार प्रदान नहीं करेगा। यह तर्क दिया गया कि आदेश इसी तरह के अन्य मामले पर हाल के फैसले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित मानदंडो के खिलाफ है।

    अपीलकर्ता ने यह भी प्रस्तुत किया कि एकल न्यायाधीश मामले के तथ्यों पर विचार करने में विफल रहे, क्योंकि न्यायिक अधिकारी को न्याय के प्रशासन में आवश्यक होने पर तीन साल की अवधि के दौरान ट्रांसफर किया जा सकता है। वहीं अपीलकर्ता के मामले में एकल न्यायाधीश ने ऐसा नहीं किया। उन्होंने आदेश दिया कि अपीलकर्ता का ट्रांसफर न्याय प्रशासन के हित में है।

    अपीलकर्ता ने यह भी कहा कि एकल न्यायाधीश का यह निष्कर्ष कि अपीलकर्ता को पीठासीन अधिकारी, श्रम न्यायालय, कोल्लम के रूप में अपने ट्रांसफर से किसी भी तरह से पूर्वाग्रही नहीं कहा जा सकता है, सही नहीं है। अपीलकर्ता विशेष ग्रेड जिला न्यायाधीश है और प्रधान जिला और सत्र न्यायाधीश के रूप में कर्तव्य का निर्वहन कर रहा है। उस पद पर वरिष्ठतम विशेष ग्रेड जिला न्यायाधीश का कब्जा है, इसलिए अपीलकर्ता को ट्रांसफर करने और अन्यत्र पोस्ट करने से अनिवार्य रूप से पूर्वाग्रह होगा।

    अंतरिम राहत के रूप में अपीलकर्ता ने स्वयं को प्रधान जिला और सत्र न्यायाधीश, कोझीकोड के पद से पीठासीन अधिकारी, श्रम न्यायालय, कोल्लम के पद से ट्रांसफर करने के संबंध में आदेश की सभी आगे की कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग की।

    एकल न्यायाधीश ने याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि याचिका (अपीलकर्ता), जो उच्च न्यायिक सेवा का सदस्य है, उसको श्रम न्यायालय के पीठासीन अधिकारी के रूप में अपनी पोस्टिंग के लिए किसी भी तरह से पूर्वाग्रह से ग्रस्त नहीं कहा जा सकता, जो कि जिला न्यायाधीश का संवर्ग पद से संलग्न है।

    केस टाइटल: एस कृष्णकुमार बनाम केरल राज्य और अन्य।

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