स्कूल शिक्षक का हेडमिस्ट्रेस पर मुकदमा दायर करना शिक्षक की वार्षिक वेतन वृद्धि रोकने का कारण नहीं बन सकता: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट

Shahadat

2 Sep 2022 6:11 AM GMT

  • स्कूल शिक्षक का हेडमिस्ट्रेस पर मुकदमा दायर करना शिक्षक की वार्षिक वेतन वृद्धि रोकने का कारण नहीं बन सकता: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट

    Chhattisgarh High Court

    छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने हाल ही में संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत अपने अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करते हुए एक रिट याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि प्राइवेट स्कूल केवल इसलिए स्कूल टीचर का वेतन नहीं रोक सकता कि उस टीचर ने स्कूल हेडमिस्ट्रेस के खिलाफ मुकदमा दायर किया है।

    वर्तमान मामले में प्राइवेट स्कूल ने अपने सहायक शिक्षक के छठे वेतन आयोग के वार्षिक वेतन वृद्धि और लाभ को इस आधार पर रोक लिया कि उक्त टीचर ने स्कूल हेडमिस्ट्रेस पर मुकदमा दायर किया।

    जस्टिस अरविंद सिंह चंदेल ने कहा:

    "याचिकाकर्ता को उपरोक्त लाभों से केवल इस आधार पर वंचित किया गया कि उसने स्कूल हेडमिस्ट्रेस के खिलाफ दीवानी वाद दायर किया और पूछने के बाद भी उसने उक्त दीवानी वाद को वापस नहीं लिया। वार्षिक वेतन वृद्धि को रोकने का यह एकमात्र कारण है और छठे वेतन आयोग का लाभ से मना करना मनमाना है।"

    याचिकाकर्ता 1997 से प्रतिवादी-विद्यालय में सहायक शिक्षक के रूप में कार्यरत है। हालांकि सभी शिक्षकों को छठे वेतन आयोग के अनुसार जुलाई, 2009 से उनके बढ़े हुए वेतन का भुगतान किया गया। याचिकाकर्ता को इस लाभ से वंचित कर दिया गया, क्योंकि उसने स्कूल हेडमिस्ट्रेस के खिलाफ दीवानी मुकदमा दायर किया।

    उसने कहा कि सीबीएसई द्वारा उसका बकाया चुकाने के अनुरोध के बावजूद, स्कूल ने कहा कि जब तक वह दीवानी मुकदमा वापस नहीं लेती, तब तक उसे लाभ नहीं दिया जाएगा। इसलिए, यह याचिका दायर की गई।

    कोर्ट ने याचिका की स्थिरता के लिए स्कूल की चुनौती को खारिज कर दिया। कोर्ट ने माना कि संस्था सार्वजनिक कर्तव्य का पालन करती है, इसलिए संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत अधिकार क्षेत्र में रिट करने के लिए बहुत उत्तरदायी है। इस दौरान मारवाड़ी बालिका विद्यालय बनाम आशा श्रीवास्तव, (2020) 14 एससीसी 449 पर भरोसा जताया गया।

    स्कूल ने यह भी तर्क दिया कि चूंकि याचिकाकर्ता ने दीवानी मुकदमा दायर किया है, वह दीवानी मुकदमे के परिणाम की प्रतीक्षा कर रहे हैं और संशोधित वेतन और वार्षिक वेतन वृद्धि के भुगतान को रोक दिया गया। हालांकि वह उक्त लाभ का भुगतान से इनकार नहीं करता।

    कोर्ट ने कहा कि उक्त मुकदमा पहले ही खारिज कर दिया गया। इसके अलावा, यह दिखाने के लिए रिकॉर्ड में कुछ भी नहीं है कि उसके खिलाफ कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई है।

    इस प्रकार, याचिकाकर्ता के सभी मौद्रिक लाभों और बकाया राशि का जल्द से जल्द भुगतान करने के लिए प्रतिवादियों को निर्देश के साथ याचिका का निपटारा किया गया।

    केस टाइटल: कु. वीणा पाल बनाम शंकर एजुकेशन सोसाइटी

    ऑर्डर डाउनलोक करने के लिए यहां क्लिक करें



    Next Story