जिन अपराधों में सात साल तक की सजा का प्रावधान हो, उनमें सीआरपीसी की धारा 41A के तहत पुलिस को नोटिस जारी करना अनिवार्य है: तेलंगाना हाईकोर्ट

Shahadat

4 Jun 2022 4:56 AM GMT

  • जिन अपराधों में सात साल तक की सजा का प्रावधान हो, उनमें सीआरपीसी की धारा 41A के तहत पुलिस को नोटिस जारी करना अनिवार्य है: तेलंगाना हाईकोर्ट

    तेलंगाना हाईकोर्ट के जस्टिस जुवाडी श्रीदेवी ने कहा कि जिन अपराधों में सात साल तक की सजा का प्रावधान हो, उनमें पुलिस को आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 41-ए के तहत नोटिस जारी करने की आवश्यकता का पालन करना चाहिए, क्योंकि कथित अपराधों के लिए निर्धारित सजा सात साल तक थी। धारा 41ए उन सभी मामलों में पुलिस अधिकारी के समक्ष पेश होने की सूचना है जहां किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी की आवश्यकता नहीं है।

    संक्षिप्त तथ्य

    भारतीय दंड संहिता (सीआरपीसी) की धारा 354बी और 506 के तहत दर्ज अपराधों में अग्रिम जमानत के लिए सीआरपीसी की धारा 438 के तहत आपराधिक याचिका दायर की गई थी।

    याचिकाकर्ता और आरोपी पति और पत्नी रंगा रेड्डी जिले के अट्टापुर में एक घर में दुकान के किराएदार हैं। वास्तविक शिकायतकर्ता उक्त घर के मालिक की बहू है।

    यह तर्क दिया गया कि शिकायतकर्ता अपने पति की मृत्यु के बाद अपने सास-ससुर को उसके नाम पर संपत्ति के हस्तांतरण के लिए परेशान कर रही है। उसके सास-ससुर ने शिकायतकर्ता के खिलाफ रिट याचिका भी दायर की है।

    इस मामले में याचिकाकर्ताओं/अभियुक्तों ने प्रस्तुत किया कि वे केवल प्रश्नगत घर के किरायेदार हैं और शिकायतकर्ता ने याचिकाकर्ताओं की किराए की दुकान में उपद्रव किया और उनके साथ दुर्व्यवहार किया। यह प्रस्तुत किया गया कि याचिकाकर्ताओं ने कोई अपराध नहीं किया और शिकायतकर्ता के पारिवारिक मेंबरों के बीच चल रहे दीवानी विवादों को देखते हुए उसके द्वारा झूठी शिकायत दी गई है।

    अतिरिक्त लोक अभियोजक ने आवेदन को खारिज करने की प्रार्थना की, क्योंकि पुलिस ने याचिकाकर्ता/आरोपी को सीआरपीसी की धारा 41-ए के तहत पहले ही नोटिस जारी कर दिया है और उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया है और जांच अभी भी लंबित है।

    न्यायालय की राय

    रिकॉर्ड देखने पर पता चला कि आरोपी नं. 2/याचिकाकर्ता नं.2 सीआरपीसी की धारा 41-ए के तहत नोटिस के साथ तामील नहीं की गई थी। केवल पहले आरोपी को नोटिस दिया गया था।

    अदालत ने पाया कि चूंकि याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कथित अपराधों के लिए सात साल तक की सजा का प्रवाधान है, इसलिए पुलिस को सीआरपीसी की धारा 41-ए के तहत आरोपी नंबर दो को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया गया।

    इस प्रकार आपराधिक याचिका को जांच अधिकारी को सीआरपीसी की धारा 41-ए के तहत निर्धारित प्रक्रिया का सख्ती से पालन करने का निर्देश देते हुए निपटाया गया था। इसके साथ ही कोर्ट ने अर्नेश कुमार बनाम बिहार राज्य, (2014) 8 एससीसी 273 में माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी दिशा-निर्देश को पालन करने का निर्देश दिया। जांच अधिकारी को आगे जांच पूरी होने और अंतिम रिपोर्ट दाखिल करने तक याचिकाकर्ता को गिरफ्तार नहीं करने का निर्देश दिया गया।

    केस टाइटल: ए कालूराम बनाम तेलंगाना राज्य

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