धारा 141 एनआई एक्ट| धारा 138 के तहत अपराध के लिए एकमात्र मालिक पर मुकदमा नहीं किया जा सकता है, बल्‍कि एकमात्र स्वामित्व वाले प्रतिष्ठान को भी आरोपी के रूप में पेश किया जाना चाहिए: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट

Avanish Pathak

9 Sep 2022 1:37 PM GMT

  • P&H High Court Dismisses Protection Plea Of Married Woman Residing With Another Man

    Punjab & Haryana High Court

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि जब एकल स्वामित्व वाली इकाई द्वारा जारी किया गया चेक अनादरित हो जाता है, तो एकमात्र मालिक के साथ-साथ एक आरोपी के रूप में मालिकाना प्रतिष्ठान को प्रस्तुत करना आवश्यक है।

    जस्टिस सुरेश्वर ठाकुर की पीठ ने आगे कहा कि इसके अलावा यह स्पष्ट किया जाता है कि नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट की धारा 141 के मद्देनजर केवल एकमात्र मालिक पर मुकदमा करना पर्याप्त नहीं होगा।

    यह प्रावधान कंपनियों द्वारा किए गए अपराधों के मामले में प्रक्रिया प्रदान करता है। पीठ ने कहा कि इस प्रावधान में न केवल कॉरपोरेट निकाय शामिल हैं बल्कि इसमें फर्म और "व्यक्तियों के अन्य संघ" भी शामिल हैं।

    कोर्ट ने कहा,

    जब एक 'कंपनी' को सौंपा गया वैधानिक महत्व, न केवल किसी कॉर्पोरेट निकाय को कवर करता है, बल्कि एक फर्म, या व्यक्तियों के अन्य संघ को भी कवर करता है, तब 'अधिनियम' की धारा 141 की प्रयोज्यता के लिए न केवल कॉर्पोरेट इकाई, निजी या पब्लिक लिमिटेड 'कंपनी' बन जाती है बल्‍कि ही एक फर्म, या, व्यक्तियों के अन्य संघ, 'अधिनियम' की धारा 141 के अंतर्गत आते हैं, इसके अलावा एक फर्म में भागीदार, जब उन्हें फर्म के निदेशक का रंग दिया जाता है, प्रासंगिक उद्देश्य के लिए उन्हें भी कवर किया जाता है।

    अदालत एक ऐसे मामले की सुनवाई कर रही थी, जिसमें आरोपी याचिकाकर्ता द्वारा प्रतिवादी-शिकायतकर्ता को कानूनी देनदारियों के कथित निर्वहन के लिए 5,50,000 रुपये का चेक जारी किया गया था। चेक अनादरित हो गया और याचिकाकर्ता को एक उपयुक्त वैधानिक नोटिस दिया गया जिसके बाद ट्रायल कोर्ट के समक्ष एक शिकायत की गई।

    आरोपी याचिकाकर्ता ने ट्रायल कोर्ट द्वारा जारी समन आदेश को मौजूदा कार्यवाही में चुनौती दी थी। अदालत ने कहा कि एकमात्र स्वामित्व वाली संस्था भी धारा 138 के तहत अपराध करने वाला 'व्यक्ति' बन जाती है।

    कोर्ट ने कहा,

    इसलिए, न केवल संबंधित न्यायिक इकाई, याचिका शिकायत में एक आरोपी के रूप में शामिल होने के लिए उत्तरदायी थी, बल्कि उन सभी व्यक्तियों को भी जो अपने व्यवसाय के संचालन के लिए एकमात्र स्वामित्व वाले प्रतिष्ठान के लिए जिम्मेदार थे, को भी आरोपी के रूप में पेश किया जाना आवश्यक था...हालांकि, मौजूदा शिकायत से संबंधित पार्टियों के उपरोक्त ज्ञापन को पढ़ने से पता चलता है कि एकमात्र स्वामित्व वाली कंपनी मेसर्स थिंड ट्रेडर्स को आरोपी के रूप में नहीं रखा गया है, बल्‍कि इसके एकमात्र मालिक सरदार भूपिंदर सिंह को केवल आरोपी के रूप में रखा गया है।

    नतीजतन, यह माना गया कि जब एकमात्र स्वामित्व का आरोप शिकायत को अच्छी तरह से गठित करने के लिए एक शर्त थी, क्योंकि यह मुख्य अपराधी बन जाता है, इसके पक्ष की अनुपस्थिति मौजूदा शिकायत को अच्छी तरह से गठित नहीं कर सकती है, और न ही इसकी अनुपस्थिति में , यहां तक ​​​​कि आरोपी याचिकाकर्ता के खिलाफ भी कोई वैध अभियोजन चलाया जा सकता था, जिसे इसके साथ केवल एक प्रतिवर्ती दायित्व सौंपा जा सकता है।

    तदनुसार, मौजूदा याचिका में योग्यता पाते हुए अदालत ने इसे अनुमति दी।

    केस शीर्षक: सरदार भूपेंद्र सिंह बनाम एमएस ग्रीन फीड्स अपने पार्टनर विपिन कुमार के माध्यम से

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