आरटीई अधिनियम | वंचित समूहों के बच्चों के लिए 25% प्रारंभिक स्तर की सीटें आरक्षित नहीं करने वाले स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई करें: गुवाहाटी हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से कहा

Shahadat

13 March 2023 6:28 AM GMT

  • आरटीई अधिनियम | वंचित समूहों के बच्चों के लिए 25% प्रारंभिक स्तर की सीटें आरक्षित नहीं करने वाले स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई करें: गुवाहाटी हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से कहा

    गुवाहाटी हाईकोर्ट ने हाल ही में असम सरकार को फ्री और अनिवार्य शिक्षा अधिनियम, 2009 (अधिनियम, 2009) के बच्चों के अधिकार की धारा 12 (1) (सी) के तहत गैर-सहायता प्राप्त और गैर-अल्पसंख्यक संस्थानों में कमजोर वर्ग और वंचित समूह से संबंधित बच्चे एडमिशन लाभ के संबंध में अपनी नीति को लागू करने का निर्देश दिया।

    जस्टिस अचिंत्य मल्ला बुजोर बरुआ और जस्टिस रॉबिन फुकन की खंडपीठ ने इस मुद्दे पर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा,

    "अधिनियम, 2009 की धारा 12(1)(सी) के तहत गैर-सहायता प्राप्त गैर-अल्पसंख्यक संस्थानों में एडमिशन लाभ के संबंध में कार्यालय ज्ञापन दिनांक 02.09.2021 में प्रदान की गई नीति/दिशानिर्देशों को लागू करने की आवश्यकता है। तदनुसार, हम प्रतिवादी अधिकारियों को निर्देश देते हैं कि वे कार्यालय ज्ञापन दिनांक 02.09.2021 में निहित नीति/दिशानिर्देशों को लागू करने के लिए आवश्यक कार्रवाई करें, जिससे उसमें दिए गए लाभ शैक्षणिक वर्ष 2023-24 के साथ-साथ बाद के शैक्षणिक वर्षों के लिए कमजोर वर्ग और वंचित समूह से संबंधित बच्चों को उपलब्ध कराए जा सकें। इसके पूरा होने तक मुफ्त और अनिवार्य प्रारंभिक शिक्षा का लाभ उठाया जा सके।

    अदालत देबरघा रॉय द्वारा दायर उस जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें अधिनियम, 2009 की धारा 12 (1) (सी) की आवश्यकता को लागू करने के लिए दिशा-निर्देश मांगा गया, जिसमें कहा गया कि एक स्कूल कक्षा 1 में उल्लेखित वर्ग की बाल-शक्ति का कम से कम पच्चीस प्रतिशत तक का एडमिशन करेगा। पड़ोसी राज्य में कमजोर वर्ग और वंचित समूह के बच्चे और उसके पूरा होने तक मुफ्त और अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा प्रदान करते हैं।

    याचिकाकर्ता ने इस बात पर प्रकाश डाला कि असम सरकार द्वारा 2 सितंबर, 2021 के कार्यालय ज्ञापन के माध्यम से विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए गए, जो अधिनियम, 2009 की धारा 12(1)(सी) के संदर्भ में पेश किए जाने वाले लाभों के संबंध में हैं, लेकिन उक्त दिशा-निर्देशों का अभी तक क्रियान्वयन नहीं किया गया।

    उन्होंने आगे कहा कि 2 सितंबर, 2021 के उक्त ज्ञापन में प्रावधान है कि राज्य शिक्षा विभाग आधिकारिक तौर पर वेबसाइटों, क्षेत्रीय समाचार पत्रों और विश्वसनीय मीडिया के माध्यम से 2009 के अधिनियम के तहत धारा 12(1)(सी) के तहत एडमिशन फॉर्म जारी करने की घोषणा करेगा। ज्ञापन में यह भी प्रावधान है कि एडमिट कार्ड संबंधित विद्यालयों से फ्री प्राप्त किए जा सकते हैं।

    पक्षकारों को सुनने के बाद अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह 2 सितंबर, 2021 के कार्यालय ज्ञापन द्वारा बनाए गए और जारी किए गए दिशानिर्देशों को लागू करे।

    अदालत ने आगे राज्य शिक्षा विभाग और स्कूलों को शैक्षणिक वर्ष 2023-24 के लिए 17 मार्च, 2023 तक वेबसाइटों, क्षेत्रीय समाचार पत्रों और विश्वसनीय मीडिया के माध्यम से अधिनियम 2009 की धारा 12 (1) (सी) के तहत एंट्री की घोषणा करने का निर्देश दिया।

    इसने प्राथमिक शिक्षा विभाग को 14 मार्च, 2023 को या उससे पहले वेबसाइटों, क्षेत्रीय समाचार पत्रों और विश्वसनीय मीडिया के माध्यम से अधिनियम की धारा 12 (1) (सी) के तहत आधिकारिक तौर पर एंट्री की घोषणा करने और एडमिट कार्ड जारी करने का निर्देश दिया। साथ ही यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि संबंधित गैर-सहायता प्राप्त, गैर-अल्पसंख्यक स्कूलों को 15 मार्च, 2023 तक उक्त नोटिस जारी करने के लिए बाध्य किया जाए।

    अदालत ने आगे कहा,

    "यदि ऐसी कोई गैर-सहायता प्राप्त गैर-अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थान आवश्यकता का अनुपालन नहीं करते हैं तो उनके खिलाफ 2009 के अधिनियम के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत उचित कार्रवाई की जा सकती है।"

    केस टाइटल: देबरघा रॉय बनाम असम राज्य और 5 अन्य।

    कोरम: जस्टिस अचिंत्य मल्ला बुजोर बरुआ और जस्टिस रॉबिन फुकन

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