धारा 37 एनडीपीएस एक्ट की कठोरता को शाश्वत रूप से लागू कर शीघ्र सुनवाई के अधिकार को कमजोर नहीं किया जा सकताः हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट

Avanish Pathak

13 Jan 2023 8:44 AM GMT

  • धारा 37 एनडीपीएस एक्ट की कठोरता को शाश्वत रूप से लागू कर शीघ्र सुनवाई के अधिकार को कमजोर नहीं किया जा सकताः हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट

    हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने हाल ही में माना कि नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (एनडीपीएस) एक्ट, 1985 की धारा 37 के तहत जमानत से संबंधित कड़े प्रावधानों को अभियुक्तों के शीघ्र परीक्षण के अधिकार को कमजोर करने के लिए सदा के लिए लागू नहीं किया जा सकता है।

    जस्टिस सत्येन वैद्य ने एक मामले में जमानत की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह घोषणा की, जहां याचिकाकर्ता-आरोपी 30 मार्च, 2021 से एनडीपीएस अधिनियम की धारा 20 और 29 के तहत अपराधों के लिए हिरासत में थे।

    याचिकाकर्ता-आरोपी ने अपनी दलील में कहा कि वह लगभग एक साल और दस महीने से हिरासत में है, जबकि मुकदमा कछुआ गति से चल रहा है। जिसने तेजी से सुनवाई के उसके संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन किया है।

    दलील का विरोध करते हुए प्रतिवादियों ने कहा कि एनडीपीएस एक्‍ट की धारा 37 की कठोरता पूरे परीक्षण के दौरान लागू रहेगी और केवल मुकदमे के समापन में देरी के आधार पर, याचिकाकर्ता को जमानत पर रिहा नहीं किया जा सकता है।

    पीठ के समक्ष निर्णय के लिए प्रश्न यह था कि क्या अधिनियम की धारा 37 की कठोरता मुकदमे की लंबितता के दरमियान भी लागू रहेगी, और अभियुक्त की हिरासत की अवधि के बावजूद, विशेष रूप से जब वह परीक्षण के शीघ्र निस्तारण के अपने मौलिक अधिकार विरुद्ध तौला जाता है, समान प्रभावकारिता के रूप में माना जा सकता है।

    जस्टिस वैद्य ने कहा कि शीघ्र सुनवाई की संवैधानिक गारंटी को एनडीपीएस एक्ट की धारा 37 की कठोरता को स्थायी रूप से लागू करके कमजोर नहीं किया जा सकता है।

    पीठ ने कहा कि मार्च 2021 से याचिकाकर्ता के हिरासत में रहने के बावजूद आज तक किसी भी अभियोजन पक्ष के गवाह की जांच नहीं की गई है, जिससे यह पता चलता है कि मुकदमे के निकट भविष्य में समाप्त होने की संभावना नहीं है। अदालत ने कहा कि यह सुझाव देने के लिए रिकॉर्ड में कुछ भी नहीं है कि मुकदमे में देरी का कारण याचिकाकर्ता है।

    स्टैंड को मजबूत करने के लिए, जस्टिस वैद्य ने कहा कि कई मामलों में, सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट की समन्वय पीठ दोनों ने एनडीपीएस एक्ट के तहत उन आरोपियों को जमानत दे दी है, क्योंकि ऐसे व्यक्तियों को परीक्षण से पहले लंबी अवधि के लिए जेल में रखा गया है।

    इसलिए हाईकोर्ट ने इस मामले में याचिकाकर्ता का एक लाख रुपये के व्यक्तिगत मुचलके पर जमानत दे दी।

    केस टाइटल: दीप राज @नीतू बनाम हिमाचल प्रदेश राज्य

    साइटेशन: 2023 लाइवलॉ (एचपी) 4

    आदेश पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

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