उत्तराखंड हाईकोर्ट ने दृष्टिबाधित उम्मीदवार को असिस्टेन्ट प्रोफेसर पद के लिए साक्षात्कार में अनंतिम रूप से उपस्थित होने की अनुमति दी, कहा- उम्मीदवार साक्षात्कार के लिए प्रथम दृष्टया योग्य
Avanish Pathak
10 Jun 2023 3:31 PM IST
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने शुक्रवार को उत्तराखंड राज्य और हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय को आदेश दिया कि दृष्टिबाधित व्यक्ति को असिस्टेन्ट प्रोफेसर (बॉटनी) की पोस्ट के लिए साक्षात्कार में उपस्थित होने की अस्थायी रूप से अनुमति दी जाए, जिसकी उम्मीदवारी को अधिकारियों ने खारिज कर दिया था।
याचिकाकर्ता 40% दृष्टिबाधित है। वह नेट और जेआरएफ के साथ बॉटनी पीएचडी है। विश्वविद्यालय की ओर से अधिसूचित विज्ञापन के अनुसार, उन्होंने असिस्टेन्ट प्रोफेसर के पद के लिए आवेदन किया था। उनके पास उक्त पद पर नियुक्ति के लिए आवश्यक न्यूनतम योग्यता थी।
ऑनलाइन आवेदन के बाद, उन्हें समर्थ पोर्टल (नौकरियों के लिए आवेदन करने का पोर्टल) में सूचित किया गया कि उनके अंकों को अपडेट कर दिया गया है और वह नियुक्ति के लिए विचारणीय हैं। उन्हें अंकों के आधार पर योग्य पाया गया है।
हालांकि जब आवेदनों की स्क्रीनिंग के बाद नतीजे जारी किए तो याचिकाकर्ता को यह सूचित किया गया कि 'पात्र उम्मीदवारों की संख्या अपर्याप्त' थी।
व्यथित होकर, उन्होंने संबंधित अधिकारियों को एक अभ्यावेदन दिया, जिसका जवाब नहीं दिया गया, और 10 जून, 2023 को साक्षात्कार निर्धारित किया गया।
किसी भी प्रकार राहत न पाकर, याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। याचिकाकर्ता की सुनवाई के बाद चीफ जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने आदेश दिया,
"चूंकि साक्षात्कार कल होना हैं, हम याचिकाकर्ता को मौजूदा रिट याचिका पर आदेशों के अधीन अनंतिम रूप से भाग लेने की अनुमति देने के इच्छुक हैं।"
कोर्ट ने अधिकारियों से आरक्षित वर्ग के साथ-साथ सामान्य वर्ग, दोनों वर्गों में याचिकाकर्ता की उम्मीदवारी पर विचार करने और अगली सुनवाई पर सीलबंद कवर में साक्षात्कार के परिणाम प्रस्तुत करने के लिए कहा।
कोर्ट ने प्रतिवादियों को तीन सप्ताह के भीतर जवाबी हलफनामे दायर करने का आदेश दिया, जिसमें यह बताना होगा कि कि याचिकाकर्ता को साक्षात्कार के लिए क्यों नहीं बुलाया गया, जबकि प्रथम दृष्टया वह न केवल आरक्षित श्रेणी के पद के लिए बल्कि सामान्य श्रेणी के पद के लिए भी योग्य प्रतीत होता है।
केस का शीर्षक: डॉ. हरिकेश बनाम उत्तराखंड राज्य और अन्य।
केस नंबर: डब्ल्यूपीएसबी नंबर 233 ऑफ 2023
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