आईटी नियम, 2021 के भाग II को केरल हाईकोर्ट में चुनौती

LiveLaw News Network

22 Oct 2021 5:57 AM GMT

  • केरल हाईकोर्ट

    केरल हाईकोर्ट

    केरल हाईकोर्ट में सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 के कुछ प्रावधानों को चुनौती देते हुए एक याचिका दायर की गई।

    न्यायमूर्ति पी वी कुन्हीकृष्णन के समक्ष जब यह याचिका सुनवाई के लिए आई तो केंद्र ने कहा कि वह इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने के लिए कदम उठा रहा है। तद्नुसार मामले को फिर से पेश किए जाने के लिए पोस्ट कर दिया गया।

    यह याचिका एक सॉफ्टवेयर डेवलपर और फ्री सॉफ्टवेयर कम्युनिटी ऑफ इंडिया (FSCI) के एक सदस्य प्रवीण अरिमब्रथोडियिल द्वारा याचिका दायर की गई। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में आईटी नियम, 2021 के भाग II को रद्द किए जाने और उन्हें अनुच्छेद 14, 19 और 21 का उल्लंघन घोषित किए जाने की मांग की।

    सूचना प्रौद्योगिकी और इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्रालय (MeitY) ने 25 फरवरी, 2021 को सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम 2021 से संबंधित अधिसूचना जारी की थी।

    आईटी नियम, 2021 की कुछ महत्वपूर्ण विशेषताओं में सोशल मीडिया इंटरमीडिएटर को "सोशल मीडिया इंटरमीडिएटर" और "सिग्निफिकेंट सोशल मीडिया इंटरमीडिएटर" की दो श्रेणियों में विभाजित करना शामिल है; उपरोक्त इंटरमीडिएटर द्वारा प्राइवेसी पॉलिसी और पर्सनल डेटा के उपयोग को प्रमुखता से प्रदर्शित करने की आवश्यकता; दूसरों के बीच उचित परिश्रम का प्रयोग करके कुछ जानकारी को हटाने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है।

    आईटी नियम, 2021 आईटी नियम, 2018 के मसौदे की तुलना में व्यापक हैं, जिन्हें सार्वजनिक परामर्श के लिए रखा गया था।

    याचिका में कहा गया,

    "आईटी नियम, 2021 को अलग रखा जा सकता है, क्योंकि वे प्रत्यायोजित कानून की सीमा से बाहर हैं। ये नियम भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर और ऑनलाइन बिजनेस करने की स्वतंत्रता पर अनुचित प्रतिबंध लगाते हैं, जैसा कि भारत के संविधान द्वारा गारंटीकृत है।"

    याचिका में आईटी नियम, 2021 को निम्निलिखित बिंदुओं के आधार पर चुनौती दी गई -

    1. नियम खुद को ऑनलाइन व्यक्त करने में यूजर्स पर अनुचित प्रतिबंध लगाते हैं। इस प्रकार उक्त नियम स्वतंत्र भाषण और अभिव्यक्ति के अधिकार और निजता के मौलिक अधिकार को प्रभावित करते हैं।

    2. नियमों में प्रयुक्त शब्द अस्पष्ट और अपारदर्शी हैं।

    3. नियम एंड टू एंड एन्क्रिप्शन को कमजोर करते हैं, जो कि निजता के मौलिक अधिकार का एक सब्सेट है जैसा कि न्यायमूर्ति के.एस. पुट्टस्वामी बनाम भारत संघ (2017) में कहा गया है।

    4. आईटी नियम, 2021 गैर-लाभकारी FOSS समुदायों और लाभकारी स्वामित्व वाली कंपनियों के बीच कोई स्पष्ट अंतर नहीं दिखाता।

    5. नियम FOSS संस्थाओं या सेवाओं पर भारी अनुपालन बोझ डालते हैं, जिससे उनके व्यापार के अधिकार पर असर पड़ता है।

    6. नियमों में भारत सरकार की पूर्व-विधान परामर्श नीति के उल्लंघन में हितधारक परामर्श की कमी थी।

    7. नियम श्रेया सिंघल बनाम यूनियन ऑफ इंडिया (2015) का उल्लंघन करते हैं।

    8. उक्त नियम स्वचालित उपकरण जैसे प्रौद्योगिकी-आधारित समाधान निर्धारित करते हैं, जो अंतर्निहित सामाजिक पूर्वाग्रहों को बाहर लाएंगे, जो हल करने के इरादे से अधिक समस्याओं का कारण बनेंगे।

    9. नियम प्रत्यायोजित कानून होने के साथ अल्ट्रा वायर्स भी हैं, क्योंकि वे सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 यानी मूल कानून के साथ असंगत हैं।

    10. नियम बिचौलियों पर भी एक निर्णायक भूमिका निभाते हैं।

    एएसजी ने कोर्ट को बताया कि केंद्र इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने के लिए कदम उठा रहा है।

    इससे पहले, उन्होंने न्यायालय को सूचित किया कि सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक स्थानांतरण याचिका दायर की गई है।

    हालाँकि, याचिकाकर्ता ने प्रस्तुत किया कि यह मामला नियमों के भाग II को चुनौती देता है, जो स्थानांतरित किए जाने वाले मामलों में सूचीबद्ध नहीं है।

    कोर्ट ने केंद्र को अपना जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया।

    याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व अधिवक्ता प्रशांत सुगथन, वर्षा भास्कर और एन.आर. रीशा ने किया। मामले में प्रतिवादियों की ओर से भारत के एएसजी पी विजयकुमार पेश हुए।

    केस का शीर्षक: प्रवीण अरिमब्रथोडियिल बनाम भारत संघ और अन्य।

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