जब विशेष क्षेत्राधिकार किसी अन्य स्थान की अदालतों को सौंप दिया जाता है तो मध्यस्थता का स्थान मध्यस्थता की सीट नहीं बन जाता: राजस्थान हाईकोर्ट

Avanish Pathak

11 Sep 2023 11:44 AM GMT

  • जब विशेष क्षेत्राधिकार किसी अन्य स्थान की अदालतों को सौंप दिया जाता है तो मध्यस्थता का स्थान मध्यस्थता की सीट नहीं बन जाता: राजस्थान हाईकोर्ट

    राजस्थान हाईकोर्ट ने माना है कि जब विशेष क्षेत्राधिकार किसी अन्य स्थान के न्यायालयों को प्रदान किया जाता है तो मध्यस्थता का स्थान मध्यस्थता की सीट नहीं बन जाता है।

    जस्टिस पुष्पेंद्र सिंह भाटी की पीठ ने कहा कि जहां एक स्थान को केवल 'स्थल' के रूप में नामित किया गया है और किसी अन्य स्थान की अदालतों को विशेष क्षेत्राधिकार प्रदान किया गया है, तो यह एक स्पष्ट 'विपरीत संकेत' है जो उस स्थान को मध्यस्थता का स्थान बनने से रोकता है।

    न्यायालय ने माना कि केवल नई दिल्ली मध्यस्थता का स्थान होगी, जब बीकानेर में न्यायालयों को विशेष क्षेत्राधिकार प्रदान किया जाएगा, जो मध्यस्थता की सीट होगी।

    तथ्य

    प्रतिवादी ने (एचएमपी मिक्स) एमएसएस टाइल "बी" 2.0 सेमी थिक बिटुमेन वीजी -30 आदि के साथ री-सरफेसिंग प्रदान करने और बिछाने के लिए एक टेंडर आमंत्रित किया। इसके अनुसार, आवेदक की बोली स्वीकार कर ली गई, इसलिए, पार्टियों ने 22 ‌सितंबर 2015 के एक समझौते में प्रवेश किया।

    परियोजना कार्य के निष्पादन में देरी और चूक को लेकर पार्टियों के बीच कुछ विवाद उत्पन्न हुए, जिसके अुनसार याचिकाकर्ता ने एक कानूनी नोटिस भेजा और प्रतिवादी से पारस्परिक रूप से मध्यस्थ नियुक्त करने का अनुरोध करके मध्यस्थता खंड लागू किया।

    समझौते के संदर्भ में पार्टियों द्वारा पारस्परिक रूप से मध्यस्थ नियुक्त करने में विफलता पर, याचिकाकर्ता ने अधिनियम की धारा 11 के तहत आवेदन दायर किया।

    पार्टियों का विवाद

    प्रतिवादी ने निम्नलिखित आधारों पर याचिका की विचारणीयता पर आपत्ति जताई:

    -समझौते के अनुसार, मध्यस्थ की नियुक्ति प्रतिवादी द्वारा की जानी थी, इसलिए याचिका सुनवाई योग्य नहीं है।

    -समझौते के खंड 35 में प्रावधान है कि नई दिल्ली मध्यस्थता का स्थान होगा जो मध्यस्थता की सीट को नई दिल्ली के रूप में नामित करने के समान है, इसलिए, दिल्ली हाईकोर्ट के पास मध्यस्थ नियुक्त करने का विशेष क्षेत्राधिकार होगा।

    आवेदक ने सुनवाई योग्य होने पर आपत्ति के खिलाफ निम्नलिखित दलीलें दीं-

    -खंड 35 केवल नई दिल्ली को मध्यस्थता स्थल के रूप में नामित करता है और केवल स्थल का पदनाम मध्यस्थता की सीट के पदनाम में तब्दील नहीं होगा।

    -समझौते में स्पष्ट रूप से किसी अन्य स्थान पर अदालतों पर विशेष क्षेत्राधिकार प्रदान करने के विपरीत संकेत शामिल हैं क्योंकि खंड 46 बीकानेर में न्यायालयों पर विशेष क्षेत्राधिकार प्रदान करता है।

    व‌िश्लेषण

    न्यायालय ने कहा कि समझौते के खंड 35 में प्रावधान है कि मध्यस्थता का स्थान नई दिल्ली होगा, हालांकि, खंड 46 ने बीकानेर के न्यायालयों को विशेष क्षेत्राधिकार प्रदान किया है।

    न्यायालय ने माना कि जब विशेष क्षेत्राधिकार किसी अन्य स्थान के न्यायालयों को प्रदान किया जाता है तो मध्यस्थता का स्थान मध्यस्थता की सीट नहीं बन जाता है।

    ‌इसी के मुताबिक, न्यायालय ने क्षेत्राधिकार की कमी के आधार पर याचिका के सुनवाई योग्य होने पर प्रतिवादी द्वारा उठाई गई आपत्ति को खारिज कर दिया। कोर्ट ने याचिका स्वीकार कर ली और मध्यस्थ नियुक्त कर दिया।

    केस टाइटल: असीम वाट्स बनाम यूनियन ऑफ इंडिया, S.B. Arbitration Application No. 14 of 2021

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