अंबेडकर की प्रतिमा 'तोड़फोड़' मामले में राज्य सरकार की निष्क्रियता के खिलाफ जनहित याचिका, हाईकोर्ट ने दिए जांच के निर्देश
Shahadat
9 May 2025 10:45 AM IST

डॉ. बीआर अंबेडकर की प्रतिमा को तोड़ने के आरोपी लोगों के खिलाफ अधिकारियों की निष्क्रियता पर सवाल उठाने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने संबंधित जांच अधिकारी और पुलिस अधीक्षक को मामले की जांच तब तक करने का निर्देश दिया, जब तक कि दोषियों के खिलाफ मामला दर्ज नहीं हो जाता।
ऐसा करते हुए न्यायालय ने याचिका का निपटारा करते हुए संबंधित मजिस्ट्रेट के समक्ष मासिक रिपोर्ट दाखिल करने को भी कहा है।
पुलिस द्वारा दायर हलफनामे पर गौर करते हुए चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा:
"उक्त व्यक्ति द्वारा किए गए दावे की पुष्टि करने के लिए तत्काल कदम उठाए गए और पाया गया कि यह निराधार है। वास्तविक अपराधी का पता लगाने के लिए आगे कदम उठाए जा रहे हैं, जिसने इस अपराध को अंजाम दिया है। इस न्यायालय को आश्वस्त किया जाता है कि पुलिस अधीक्षक, सिवनी इस मामले की गंभीरता से पूरी तरह अवगत हैं, जिसने जनता की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है। यह सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है कि जांच पूरी तरह से निष्पक्ष हो और दोषियों की पहचान और अभियोजन की दिशा में आगे बढ़े। हलफनामे में पुलिस द्वारा उठाए गए कदमों का भी उल्लेख किया गया। चूंकि FIR पहले ही दर्ज की जा चुकी है, इसलिए हम संबंधित SHO/IO और संबंधित पुलिस अधीक्षक को निर्देश देते हैं कि वे दोषियों के खिलाफ मामला दर्ज होने तक जांच जारी रखें। संबंधित मजिस्ट्रेट के समक्ष मासिक रिपोर्ट दाखिल की जाएगी। उपरोक्त के मद्देनजर, वर्तमान मामले में आगे कोई आदेश पारित करने की आवश्यकता नहीं है। अतः इस याचिका का उपरोक्त शर्तों के आधार पर निस्तारण किया जाता है।
न्यायालय भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा को खंडित कर समाज में उपद्रव मचाने वाले दोषियों के विरुद्ध उचित कार्रवाई न करने के प्रतिवादी प्राधिकारी के अवैधानिक एवं मनमाने कृत्य के विरुद्ध एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था।
याचिका में कहा गया कि अज्ञात व्यक्ति के विरुद्ध FIR दर्ज की गई, लेकिन आज तक अपराधी को गिरफ्तार नहीं किया गया तथा पुलिस द्वारा उचित जांच भी नहीं की गई। ग्रामीणों के आरोप के अनुसार संबंधित पुलिस अधिकारी अपराधी को बचाने का प्रयास कर रहे हैं, इसलिए उचित जांच शुरू नहीं की गई। इसके बाद रातों-रात डॉ. बी.आर. अंबेडकर की प्रतिमा को बदल दिया गया, लेकिन पुलिस ने इस बिंदु पर जांच नहीं की कि उक्त प्रतिमा को किसने बदला तथा उक्त प्रतिमा किसने और कहां से खरीदी।
न्यायालय ने 30 अप्रैल के अपने आदेश में राज्य से यह जवाब मांगा कि फरवरी में राज्य के सिवनी जिले में डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा को तोड़ने वाले "असामाजिक तत्वों" के विरुद्ध कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई। न्यायालय ने सिवनी के पुलिस अधीक्षक और सिवनी जिले के धूमा पुलिस स्टेशन के स्टेशन हाउस ऑफिसर को हलफनामा दाखिल कर यह बताने को कहा कि कार्रवाई क्यों नहीं की गई।
उपरोक्त आदेश के अनुपालन में 7 मई को SHO/IO और SP ने हलफनामा दाखिल किया। हलफनामे में कहा गया कि सिवनी जिले के धूमा पुलिस स्टेशन में अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता, 2023 (BNS) की धारा 298 (किसी वर्ग के धर्म का अपमान करने के इरादे से पूजा स्थल को नुकसान पहुंचाना या अपवित्र करना), 299 (जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कार्य, किसी वर्ग की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का इरादा) और 324 (2) (शरारत) के तहत दंडनीय अपराध करने के लिए FIR दर्ज की गई।
हालांकि, चूंकि कोई चश्मदीद गवाह नहीं था और सीसीटीवी कैमरे भी उपलब्ध नहीं थे, इसलिए पास के गांव का एक व्यक्ति मौके के गवाह के तौर पर सामने आया। उसने आरोप लगाया कि उसने कुछ लोगों के बीच बातचीत सुनी और उन्होंने कथित तौर पर मूर्ति को नष्ट करने में अपनी संलिप्तता स्वीकार की। दावे की पुष्टि के लिए कदम उठाए गए और पाया गया कि यह झूठा है।
केस टाइटल: जितेन्द्र अहिरवार बनाम मध्य प्रदेश राज्य और अन्य, रिट याचिका संख्या 14657/2025