छत्तीसगढ़ में अधीनस्थ न्यायालयों में 19 जुलाई से फिर से फिजिकल सुनवाई शुरू होगी

LiveLaw News Network

17 July 2021 5:54 AM GMT

  • छत्तीसगढ़ में अधीनस्थ न्यायालयों में 19 जुलाई से फिर से फिजिकल सुनवाई शुरू होगी
    छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट

    छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने राज्य में अधीनस्थ न्यायालयों के सामान्य कामकाज की शुरुआत 19 जुलाई, 2021 से फिजिकल मोड और वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग (सुविधानुसार) के माध्यम से करने संबंध में एक अधिसूचना जारी की।

    इसके अलावा, हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल के एक आदेश ने सभी को अधिसूचित किया कि अदालतों में भीड़भाड़ से बचने के लिए प्रत्येक सुनवाई में उठा जाने वाले मामलों की संख्या को भी तय किया जाएगा। निर्देश में कोर्ट रूम में सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क पहनना, सैनिटाइजेशन, कम से कम 2 गज की दूरी के साथ ग्रुप में खड़े होने जैसे COVID-19 प्रोटोकॉल के पालन पर भी जोर दिया गया है।

    यह निर्देश सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट, केंद्र सरकार, राज्य सरकार और स्थानीय प्राधिकरण द्वारा जारी सभी COVID-19 संबंधित दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए जारी किया गया है।

    अधिसूचना में कहा गया,

    "चेहरे पर मास्क लगाना और सोशल डिस्टेंसिंग का सख्ती से पालन करना होगा। इसमें किसी भी उल्लंघन के परिणामस्वरूप भविष्य में कोर्ट में प्रवेश करने से रोका जा सकता है और कोई भी दंडात्मक कानूनी कार्रवाई निर्धारित की जा सकती है।"

    अधिसूचना में यह भी उल्लेख किया गया है कि यदि न्यायालय परिसर एक घोषित कंटेनमेंट ज़ोन के अंतर्गत आता है या जिला मजिस्ट्रेट के निर्देशों के अनुसरण में पूर्ण लॉकडाउन है, तो न्यायालय केवल न्यूनतम सहायक स्टाफ के साथ न्यूनतम सहायक स्टाफ के साथ काम करेंगे, जो बहुत ही आवश्यक मामलों पर सुनवाई करेंगे। मामले की आवश्यकतानुसार के आधार पर उठाए जाने वाले मामलों का निर्णय पीठासीन न्यायाधीश द्वारा किया जाएगा।

    अधिसूचना में आगे लिखा है,

    "उपरोक्त अवधियों के दौरान मामलों की कोई रेगुलर लिस्ट नहीं होगी। हालांकि, अत्यंत महत्वपूर्ण / अत्यावश्यक मामलों के संबंध में पीठासीन न्यायाधीश यह तय करेंगे कि क्या वर्तमान मामला तुरंत सुनवाई लायक है या नहीं।"

    यह भी कहा गया है कि गिरफ्तार व्यक्ति की रिमांड और जमानत 'हॉलिडे प्रैक्टिस' के अनुसार जारी रहेगी।

    यह भी स्पष्ट किया गया कि न्यायालयों के सभी अधिकारी और कर्मचारी "घर से काम" करेंगे और जब भी जिला एवं सत्र न्यायाधीश को उनकी सेवाओं की आवश्यकता होगी, वे स्वयं को उपलब्ध कराएंगे।

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