COVID-19: यूजीसी दिशानिर्देशों का हवाला देते हुए नर्सिंग छात्रों ने ऑफलाइन एग्जाम रद्द करने की मांग को लेकर केरल हाईकोर्ट का रुख किया

LiveLaw News Network

2 Aug 2021 6:33 AM GMT

  • COVID-19: यूजीसी दिशानिर्देशों का हवाला देते हुए नर्सिंग छात्रों ने ऑफलाइन एग्जाम रद्द करने की मांग को लेकर केरल हाईकोर्ट का रुख किया

    COVID-19 महामारी के बीच ऑफ़लाइन एग्जाम कराने के केरल यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज के फैसले को चुनौती देने वाले B.Sc नर्सिंग छात्रों द्वारा केरल हाईकोर्ट के समक्ष एक याचिका दायर की गई है।

    न्यायमूर्ति अनु शिवरामन आज (सोमवार) मामले की सुनवाई करेंगे।

    इस मामले में याचिकाकर्ताओं की ओर से एडवोकेट अरुण सैमुअल और एडवोकेट जितिन बाबू पेश होंगे।

    उपरोक्त विश्वविद्यालय से संबद्ध दो अलग-अलग कॉलेजों में नामांकित दो छात्रों ने राज्य में मौजूदा स्थिति के बावजूद ऑफ़लाइन एग्जाम आयोजित करने में उत्तरदाताओं द्वारा कथित घोर अवैधता से परेशान होकर यह याचिका दायर की है।

    उन्होंने प्रस्तुत किया कि परीक्षाओं की अधिसूचना पर कई छात्र अपने-अपने छात्रावासों में लौट आए। इनमें से कई बाद में COVID-19 के लिए हुए टेस्ट में पॉजीटिव पाए गए। विश्वविद्यालय के अंतर्गत आने वाले कुछ कॉलेजों में COVID-19 के लक्षण दिखाने वाले छात्रों को कथित तौर पर मेडिकल टेस्ट कराने की भी अनुमति नहीं है।

    न्यायालय के ध्यान में यह भी लाया गया कि परीक्षा में बैठने वाले अधिकांश छात्रों को अभी तक वैक्सीन की आवश्यक दो खुराकें नहीं मिली हैं।

    राज्य सरकार COVID-19 की दूसरी लहर में महामारी के प्रसार को रोकने के लिए आठ मई, 2021 को दूसरी बार लॉकडाउन लगाया था। हालांकि, इसे 17 जून, 2021 से हटा लिया गया था।

    इसके बाद, राज्य ने एक जुलाई, 2021 से स्वास्थ्य शिक्षण संस्थानों को फिर से खोलने का फैसला किया।

    तदनुसार, विश्वविद्यालय ने बीएससी नर्सिंग के प्रथम और द्वितीय वर्ष के छात्रों के लिए समय सारिणी अधिसूचित की।

    याचिकाकर्ताओं ने अपने मामले का समर्थन करने के लिए महामारी के मद्देनजर परीक्षा आयोजित करने के संबंध में हाल ही में जारी यूजीसी दिशानिर्देशों का हवाला दिया है।

    उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के कुलपति के समक्ष उनकी शिकायतों वाले कई अभ्यावेदन प्रस्तुत किए गए थे, जिनका आज तक कोई जवाब नहीं आया है।

    यह भी प्रस्तुत किया गया कि परीक्षाओं के साथ आगे बढ़ना भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के तहत गारंटीकृत उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा।

    ऐसी परिस्थितियों में न्यायालय से प्रार्थना की गई है कि वह इस प्रकार प्रदर्शित की जा रही अवैधता और अन्याय पर रोक लगाए और याचिकाकर्ताओं की सहायता करे।

    परीक्षाएं चार अगस्त, 2021 से शुरू होने वाली हैं। याचिकाकर्ताओं ने तदनुसार प्रस्तावित परीक्षाओं को रद्द करने की मांग की है।

    केस शीर्षक: अज़ना बीवी और अन्य बनाम केरल राज्य और अन्य।

    Next Story