आय से अधिक संपत्ति मामले में एमएलए सुखपाल सिंह खैरा की याचिका खारिज, हाईकोर्ट ने कहा- सतर्कता जांच पर रोक लगाना उचित नहीं
Shahadat
31 Oct 2025 9:38 AM IST

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने आय से अधिक संपत्ति (आय से अधिक संपत्ति) मामले में कांग्रेस विधायक (Congress MLA) सुखपाल सिंह खैरा के खिलाफ शुरू की गई सतर्कता जांच में हस्तक्षेप करने से इनकार किया। कोर्ट ने कहा कि इस स्तर पर सतर्कता ब्यूरो को जांच करने से रोकना उचित नहीं होगा।
कोर्ट ने खैरा की याचिका खारिज की, जिसमें पंजाब में सत्तारूढ़ दल द्वारा उनके खिलाफ राजनीतिक प्रतिशोध और दुर्भावनापूर्ण षड्यंत्र के कारण शुरू की गई सतर्कता जांच रद्द करने की मांग की गई। याचिका में आरोप लगाया गया कि जांच ने ललिता कुमारी बनाम उत्तर प्रदेश सरकार (2014) 2 एससीसी 1 में दिए गए सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों का उल्लंघन किया।
जस्टिस त्रिभुवन दहिया ने कहा,
"कोर्ट याचिकाकर्ता की कथित आय से अधिक संपत्ति की जांच के माध्यम से सतर्कता ब्यूरो को अपने स्तर पर जानकारी एकत्र करने से रोकना उचित नहीं समझता।"
खैरा की ओर से पेश सीनियर वकील ने तर्क दिया कि पंजाब में तीन बार विधायक और विपक्षी नेता होने के नाते सत्ताधारी प्रतिष्ठान उन्हें कई झूठे मामलों के ज़रिए निशाना बना रहा है। याचिकाकर्ता ने दलील दी कि फरवरी, 2023 में NDPS मामले में अतिरिक्त आरोपी के रूप में उनके समन को सुप्रीम कोर्ट द्वारा रद्द किए जाने के बाद उन्हें "बाद की जांच" के ज़रिए फिर से फंसाया गया और सितंबर, 2023 में गिरफ्तार कर लिया गया। हालांकि वह फिलहाल ज़मानत पर हैं, उन्होंने मौजूदा सतर्कता कार्रवाई के ज़रिए और भी झूठे आरोपों में फंसने की आशंका जताई।
यह तर्क दिया गया कि फरवरी, 2024 से जारी सतर्कता जांच अवैध है और ललिता कुमारी (सुप्रा) मामले में निर्धारित प्रारंभिक जांच की समय-सीमा का उल्लंघन करते हुए उत्पीड़न के समान है। वकील ने ज़ोर देकर कहा कि सतर्कता ब्यूरो राजस्व और बैंकिंग अधिकारियों को विभिन्न आधिकारिक पत्राचारों के ज़रिए याचिकाकर्ता और उनके परिवार की संपत्ति और बैंक विवरण मांग रहा है, जिससे, उनके अनुसार, उनके अधिकारों का उल्लंघन हुआ।
कोर्ट ने कहा कि खैरा सतर्कता अधिकारियों और अन्य विभागों के बीच हुए संचार में आरोपी नहीं है, न ही कथित आय से अधिक संपत्ति के संबंध में उनके खिलाफ कोई FIR दर्ज की गई। पीठ ने आगे कहा कि सतर्कता पत्र अंतर-विभागीय प्रकृति के हैं और सूचना एकत्र करना अधिकारियों का कर्तव्य है।
कोर्ट ने कहा,
"यह निर्विवाद है कि याचिकाकर्ता अंतर-विभागीय संचार में आरोपी नहीं है। यह स्पष्ट नहीं है कि ये पत्र उसके संज्ञान में कैसे आए। इसलिए किसी भी तरह से यह नहीं कहा जा सकता कि इन पत्रों या लंबित जांच के माध्यम से उसके किसी अधिकार का उल्लंघन हुआ।"
वर्तमान मामले में ललिता कुमारी के मामले की प्रयोज्यता खारिज करते हुए कोर्ट ने स्पष्ट किया कि समयबद्ध प्रारंभिक जांच पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का उद्देश्य अभियुक्तों और शिकायतकर्ताओं के अधिकारों की रक्षा करना है, जब ऐसी जांच यह निर्धारित करने के लिए शुरू की जाती है कि क्या कोई संज्ञेय अपराध बनता है। यहां सतर्कता पत्र केवल सूचना एकत्र करने के लिए है, FIR दर्ज करने के लिए नहीं।
Title: SUKHPAL SINGH KHAIRA v. STATE OF PUNJAB

