यह सुनिश्‍चित करने की जरूरत है कि ई-लोक अदालत, जनता की लोक अदालत बनी रहेः जस्टिस एनवी रमना

LiveLaw News Network

24 Aug 2020 11:11 AM GMT

  • यह सुनिश्‍चित करने की जरूरत है कि ई-लोक अदालत, जनता की लोक अदालत बनी रहेः जस्टिस एनवी रमना

    राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के तत्वावधान में राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (RSLSA)ने राज्य की पहली ऑनलाइन लोक अदालत का आयोजन किया। यह बाड़मेर, धौलपुर, जैसलमेर, करौली, समेत पूरे राज्य में आयोजित किया गया।

    ऑनलाइन लोक अदालत में, 47,654 मामले उठाए गए, जिनमें से 33,476 मामलों का ‌निस्तारण किया गया। सुलझे हुए मामलों में से 29092 मुकदमे अदालतों में लंबित थे और 4384 मामलों को प्रीलीटेगेशन स्टेज पर सुलझाया गया था।

    ऑनलाइन लोक अदालत के आभासी उपलब्धि समारोह में सुप्रीम कोर्ट के जज और राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष, जस्टिस एनवी रमना ने भाग लिया। सुप्रीम कोर्ट के जज, जस्टिस अजय रस्तोगी, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी, राजस्‍थान हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस और आरएसएलएसए के मुख्य संरक्षक जस्टिस इंद्रजीत महंती और राजस्थान हाईकोर्ट के जज और राजस्थान राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष जस्टिस संगीत लोढ़ा मौजूद ‌थे।

    जस्टिस एनवी रमना ने अपने संबोधन में कहा कि ऑनलाइन लोक अदालत की अवधारणा में भारत के कानूनी परिदृश्य को बदलने की क्षमता है, और महामारी की शुरुआत के बाद से कानूनी सेवाओं के लिए अपनाए जा रहे अभिनव दृष्टिकोण को दर्शाती है।

    उन्होंने निचले स्तर तक ऑनलाइन लोक अदालतों की उपलब्धता सुनिश्चित करने को कहा। उन्होंने कहा "हमें यह सुनिश्चित करना है कि ई-लोक अदालत 'जनता की लोक अदालत' बनी रहे, और इसे देश के अन्य हिस्सों में ले जाया जाए।"

    उन्होंने आगे कहा कि "महामारी के कारण लोगों के जीवन में भारी बदलाव आया है। बीमारी से जुड़े सामाजिक कलंक, ने कई मुद्दों को जन्म दिया है जैसे कि मोर्चे पर काम कर रहे श्रमिकों, COVID रोगियों के परिजनों और यहां तक ​​कि जिन्हें केवल बीमारी होने का संदेह है, का जबरन निष्कासन।"

    उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ऐसे समय में, कानूनी सहायता संस्थानों की भूमिका अधिक महत्वपूर्ण हो गई है और हम ऐसे अभूतपूर्व समय में न्याय सुलभ होने के लिए नालसा में लगातार प्रयास कर रहे हैं।

    जस्टिस रमना ने कहा, " ई-लोक अदालत ऐसे कठिन समय में एक ऐसी सेवा है। ऑनलाइन विवाद समाधान (ODR), प्रौद्योगिकी और ADR के संयोजन के रूप में बखूबी संगठित डिजिटल समाधान, भारत में लोक अदालतों को गति देगा। हालांकि, महत्वपूर्ण चुनौती ई-लोक अदालत के विचार को निचले स्तर तक लोकप्रिय बनाने की है, और उन क्षेत्रों में पहुंचाने की है, जहां वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा भी नहीं है।

    सुप्रीम कोर्ट के जज, जस्टिस अजय रस्तोगी ने कहा, "न्यायिक वितरण की एक ऐसी प्रणाली, जो गरीबों की पहुंच में हो, हमारे न्याय की गुणवत्ता का पैमाना है। सभी को समान न्याय प्रदान करने में विफलता हमारी संस्था की स्थिरता को खतरे में डालती है।" उन्होंने कहा कि वैकल्पिक विवाद तंत्र को देश के दूरस्थ कोनों में रहने वाले वंचित व्यक्तियों तक पहुंचना है।

    ज‌िस्टिस दिनेश माहेश्वरी ने राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के समाज के जरूरतमंद और हाशिए पर पड़े वर्गों तक पहुंचने के प्रयासों की प्रशंसा की। जस्टिस इंद्रजीत महंती ने कहा कि महामारी के दौरान राजस्थान हाईकोर्ट ने अधिकतम मामलों का निपटारा किया। उन्होंने राजस्थान राज्य में विधिक सेवा संस्थानों द्वारा की जा रही महत्वपूर्ण भूमिका पर भी प्रकाश डाला।

    जस्टिस संगीत लोढ़ा ने कहा कि आरएसएलएसए निकट भविष्य में ऐसे और अधिक लोक अदालतों के आयोजन का इरादा रखता है।

    नालसा ने राजस्थान में ऑनलाइन लोक अदालत को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरु किया है और इसे देश के अन्य हिस्सों में विस्तारित करने की योजना बना रही है। परियोजना को मई, 2020 में मंजूरी दी गई थी।

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