एनडीपीएस एक्ट | प्रतिबंधित पदार्थ को ले जाने वाले वाहन को पॉयलट कर रहे वाहन को प्रतिबं‌‌धित पदा‌र्थ ले जाने वाले वाहन के रूप में नहीं माना जा सकता: केरल हाईकोर्ट

Avanish Pathak

25 Jan 2023 1:25 PM GMT

  • एनडीपीएस एक्ट | प्रतिबंधित पदार्थ को ले जाने वाले वाहन को पॉयलट कर रहे वाहन को प्रतिबं‌‌धित पदा‌र्थ ले जाने वाले वाहन के रूप में नहीं माना जा सकता: केरल हाईकोर्ट

    Kerala High Court

    केरल हाईकोर्ट ने हाल ही में इस सवाल पर विचार किया कि क्या कोई वाहन जो अन्य वाहन चला रहा है या उसके साथ है, जो नारकोटिक ड्रग और साइकोट्रोपिक पदार्थों का परिवहन कर रहा है, को वर्जित पदार्थ ले जाने में इस्तेमाल किए जाने वाले वाहन के रूप में माना जा सकता है, ताकि उसे नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट (एनडीपीएस एक्ट) के धारा 52-ए के तहत उसे जब्त किया जा सके। कोर्ट ने सवाल का नकारात्मक जवाब दिया।

    जस्टिस ए बदरुद्दीन की एकल न्यायाधीश पीठ ने कहा कि यह मानना कि प्रतिबंधित सामग्री ले जाने वाले किसी अन्य वाहन के साथ जाने वाले वाहन को भी वर्जित पदार्थ ले जाने वाले वाहन के रूप में मानना एनडीपीएस अधिनियम की धारा 60(3) के वैधानिक उद्देश्य से परे है।

    अभियोजन पक्ष का मामला यह था कि मामले के 4 आरोपी व्यक्तियों ने आपस में रची गई साजिश के तहत राज्य के बाहर से 154.3 किलोग्राम गांजा लाया था। तीसरे आरोपी व्यक्ति ने आरसी मालिक से एक टेंपो वैन भी किराए पर ली, जहां वैन के अंदर विशेष रैक में गांजा रखा जाता था और केरल ले जाया जाता था। आरोप है कि प्रथम व द्वितीय आरोपी व्यक्ति उक्त वाहन में सामान का परिवहन कर रहे थे, जबकि तीसरे व चौथे आरोपी व्यक्ति ने दूसरी कार में पीछा कर वाहन पायलट को दे दिया था। चारों आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया गया है। टेंपो वैन और कंट्राबेंड को जब्त कर लिया गया और पायलट कार को भी हिरासत में ले लिया गया।

    जब याचिकाकर्ता, जो पायलट कार का आरसी मालिक भी है, ने ड्रग्स डिस्पोजल कमेटी के समक्ष एक आवेदन प्रस्तुत किया, जिसमें दावा किया गया कि वाहन की अपराध में कोई संलिप्तता नहीं है, यह कहते हुए कि अभियोजन पक्ष के रिकॉर्ड उक्त वाहन में प्रतिबंधित सामग्री के परिवहन को उचित नहीं ठहराएंगे, इसे समिति ने एक आदेश के तहत खारिज कर दिया था। इसी संदर्भ में याचिकाकर्ता ने कार की रिहाई के लिए मौजूदा याचिका दायर की थी।

    इस मामले में अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष के रिकॉर्ड और जांच अधिकारी की रिपोर्ट के अनुसार, यह स्पष्ट था कि शुरू में वह वाहन जिसमें मादक पदार्थ था और पहले दो आरोपी व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद तीसरे और चौथे आरोपी व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया और वाहन को भी हिरासत में ले लिया गया।

    इसने एनडीपीएस एक्ट की धारा 60 का अवलोकन किया, और यह पता लगाया कि कार को उप-धारा (3) के तहत किसी भी मादक पदार्थ या मन:प्रभावी पदार्थ को ले जाने में उपयोग किए जाने वाले वाहन के रूप में नहीं रखा जा सकता है। इस प्रकार अदालत ने ड्रग डिस्पोजल कमेटी के आदेश को रद्द कर दिया और निर्णय की प्रति प्राप्त होने की तारीख से दस दिनों के भीतर वाहन को विशेष अदालत, त्रिशूर के समक्ष पेश करने का निर्देश दिया।

    न्यायालय ने निम्नलिखित शर्तें भी लगाई थीं,

    एकः याचिकाकर्ता को कार को विशेष अदालत के समक्ष सत्यापन के लिए मूल आरसी बुक और बीमा प्रमाणपत्र के उत्पादन पर जारी किया जाएगा, साथ ही इसकी सत्यापित प्रतियों और तस्वीरों को सामने की ओर और पीछे की तरफ दिखाना होगा...;

    दोः कार के स्वामित्व से संतुष्ट होने के बाद, विशेष अदालत कार को याचिकाकर्ता द्वारा 3,00,000/- रुपये के बांड पर दो सॉल्वेंट ज़मानत के साथ अदालत की संतुष्टि के लिए समान राशि के लिए निष्पादित करने पर जारी करेगी...

    तीनः याचिकाकर्ता यह कहते हुए एक हलफनामा भी दायर करेगा कि विशेष अदालत की पूर्व अनुमति के बिना या मामले के निपटारे तक वाहन को बेचा या भारित नहीं किया जाएगा।

    अदालत ने इस संबंध में आगे स्पष्ट किया कि वाहन की रिहाई हालांकि, तीसरे और चौथे आरोपी व्यक्तियों के आपराधिक दायित्व से मुक्त नहीं होगी।

    केस टाइटल: फिरोजालवी टीवी बनाम केरल राज्य व अन्य।

    साइटेशन: 2023 लाइवलॉ (केरल) 40

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