एनडीपीएस एक्ट | जब्ती के लिए अनिवार्य प्रावधानों का उल्लंघन जमानत की कार्यवाही में तब तक नहीं देखा जाना चाहिए जब तक कि स्पष्ट अनियमितता न हो : दिल्ली हाईकोर्ट
Shahadat
12 Sept 2022 5:16 PM IST
दिल्ली हाईकोर्ट ने पाया कि जांच अधिकारी द्वारा नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (एनडीपीएस) एक्ट, 1985 के तहत किसी भी अनिवार्य प्रावधान का पालन न करने या जब्ती मेमो बनाते समय की गई किसी भी अनियमितता या अवैधता के प्रभाव का मामला है। यहां जमानत के स्तर पर विचार नहीं किया जा सकता, जब तक कि कोई स्पष्ट अनियमितता न हो जो जब्ती को ही अवैध बना दे।
जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने एनडीपीएस अधिनियम की धारा 18 और 25 के तहत दर्ज एफआईआर में गुरजीत सिंह नाम के व्यक्ति को जमानत देने से इनकार करते हुए यह टिप्पणी की।
सिंह के पास से काले रंग की सामग्री वाले दो पॉलीबैग पाए गए, जिनमें बाद में "अफीम" पाया गया। पदार्थ 750 ग्राम (एक पॉलीबैग में 400 ग्राम और अन्य 350 ग्राम) पाया गया। सिंह के घर में अलमारी की तलाशी लेने पर नगद 2,52,15,350 रुपये मिले।
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि यह अफीम की व्यावसायिक मात्रा की वसूली का मामला नहीं है ताकि एनडीपीएस अधिनियम की धारा 37 के तहत बार को आकर्षित किया जा सके।
यह भी तर्क दिया गया कि याचिकाकर्ता से बरामद की गई मात्रा 750 ग्राम अफीम की मध्यवर्ती मात्रा है और उसे इस मामले में झूठा फंसाया गया है। वकील ने यह भी तर्क दिया कि एनडीपीएस अधिनियम की धारा 42 का पालन न करना भी आरोपी को जमानत का अधिकार देता है।
दूसरी ओर, राज्य ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए तर्क दिया कि सिंह को 750 ग्राम अफीम के कब्जे में रंगे हाथों पकड़ा गया।
कोर्ट ने कहा कि सिंह के पास से बरामद अफीम की मात्रा मध्यम है और उस पर एनडीपीएस अधिनियम की धारा 37 के तहत रोक नहीं लगती है। हालांकि, यह नोट किया गया कि सिंह के घर में 750 ग्राम अफीम रखी मिली, जिससे प्रथम दृष्टया संकेत मिलता है कि वह अपने परिसर का उपयोग अपराध के लिए भी कर रहा था।
अदालत ने कहा ,
"अननुपालन का प्रभाव जांच अधिकारी द्वारा किसी अनिवार्य प्रावधान का जब्ती ज्ञापन बनाने के समय की गई किसी भी अनियमितता या अवैधता आदि को वकील द्वारा श्रमसाध्य रूप से इंगित किया गया है, यह भी अनिवार्य रूप से एक मामला है।
अदालत ने इसके साथ ही कहा कि सुनवाई और जमानत देने के लिए इस स्तर पर विस्तार से नहीं देखा जा सकता है, जब तक कि कोई स्पष्ट अनियमितता न हो जो जब्ती को अवैध बना दे।
इसमें कहा गया,
"आने वाली पीढ़ियों के जीवन और भविष्य को खराब करने वाली ड्रग्स के खतरे से सख्ती से निपटना होगा। उस अधिनियम के तहत किसी भी अपराध से निपटने के दौरान अधिनियम के उद्देश्य को भी ध्यान में रखना होगा। वर्तमान मामले में न्यायालय ने इस तथ्य का संज्ञान लिया कि आरोपित के घर से 2,52,15,350/- रुपये की बेहिसाबी नकदी की वसूली की गई, अफीम भी आरोपी के घर के फ्रिज से बरामद की गई, जिसके लिए वह कोई स्पष्टीकरण न दे सका।"
अदालत ने इस तथ्य पर भी ध्यान दिया कि मामले में अभी आरोप तय नहीं हुए हैं और गवाहों से पूछताछ की जानी बाकी है।
अदालत ने कहा,
"यह ऐसा मामला नहीं है जहां आरोपी लंबे समय तक हिरासत में रहा हो, जिससे अदालत के दिमाग में यह आभास हो कि मुकदमे को समाप्त होने में लंबा समय लग रहा है, जो आवेदक के वकील का एक और तर्क है।"
तदनुसार याचिका खारिज कर दी गई।
केस टाइटल: गुरजीत सिंह बनाम एनसीटी ऑफ दिल्ली
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