मोटर दुर्घटना दावा - दावेदारों द्वारा अपील या क्रॉस-ऑब्जेक्शन के अभाव में भी हाईकोर्ट मुआवजा बढ़ा सकता है: आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट
Shahadat
11 Aug 2023 11:29 AM IST

Andhra Pradesh High Court
आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा कि अपीलीय शक्तियों का प्रयोग करते हुए वह मोटर दुर्घटना मामलों में दावेदारों द्वारा अपील या क्रॉस-ऑब्जेक्शन के अभाव में भी मुआवजे की राशि बढ़ा सकता है।
हाईकोर्ट ने कहा,
"यदि प्रथम दृष्टया अवार्ड के तौर पर या यहां तक कि रिकॉर्ड पर मौजूद साक्ष्यों के आलोक में और दावेदारों के उचित मुआवजे के हकदार होने के संबंध में स्थापित कानूनी स्थिति को ध्यान में रखते हुए और उचित अवार्ड देना न्यायालय/न्यायाधिकरण का वैधानिक कर्तव्य भी है। मुआवज़ा, यह अदालत अपीलीय शक्तियों के प्रयोग में दावेदारों द्वारा अपील या क्रॉस-ऑब्जेक्शन की अनुपस्थिति में भी मुआवज़े की राशि बढ़ा सकती है।"
अदालत ने यह भी कहा कि न्याय करने और उचित मुआवजा देने के लिए आदेश 41 नियम 33 के प्रावधानों को लागू किया जाना चाहिए।
अदालत ने कहा,
"...हमने पाया है कि कानून के तहत कोई कानूनी हस्तक्षेप या निषेध नहीं है, बल्कि कानून का आदेश सिर्फ मुआवजा देना है। अदालत के समक्ष किसी व्यक्ति जो पार्टी नहीं है, उसके साथ कोई पूर्वाग्रह नहीं हो रहा है। अपीलकर्ता उचित मुआवज़े के बिंदु पर रहा है।“
जस्टिस रवि नाथ तिलहरी और जस्टिस डॉ. के. मनमाधा राव की खंडपीठ न्यायाधिकरण द्वारा पारित फैसले को चुनौती देने वाली बीमा कंपनी द्वारा दायर अपील पर सुनवाई कर रही थी। इसने यह टिप्पणी तब की जब दावेदारों ने तर्क दिया कि वे कंसोर्टियम के नुकसान की मद के तहत राशि में वृद्धि के साथ-साथ दी गई राशि पर 9% की दर से ब्याज के हकदार हैं। इस तर्क का बीमा कंपनी ने यह कहते हुए खंडन किया कि दावेदारों द्वारा किसी अपील या क्रॉस-ऑब्जेक्शन के अभाव में, ट्रिब्यूनल द्वारा दी गई राशि को नहीं बढ़ाया जा सकता है।
2009 में कार और गैस टैंकर लॉरी के बीच दुर्घटना हुई, जिसमें ड्राइवर और कार में बैठे यात्री की मौत हो गई। 2013 में ट्रिब्यूनल ने निष्कर्ष निकाला कि दुर्घटना लॉरी चालक की तेज और लापरवाही से गाड़ी चलाने के कारण हुई। इस तरह नेशनल इंश्योरेंस कंपनी को लॉरी चालक की ओर से दावेदारों को मुआवजा देने का निर्देश दिया।
नेशनल इंश्योरेंस कंपनी ने इस फैसले को हाईकोर्ट में यह कहते हुए चुनौती दी कि दुर्घटना कार चालक की लापरवाही के कारण हुई।
अदालत अपने सामने रखे गए तथ्यों और साक्ष्यों पर विचार करने के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंची कि कार के चालक की ओर से कोई लापरवाही नहीं हुई और लॉरी टैंकर के चालक की एकमात्र गवाही को अंशदायी की याचिका स्वीकार करने के लिए नहीं माना जा सकता।
इसमें आगे कहा गया कि दुर्घटना के दो चश्मदीद गवाह थे और दोनों ने एक ही कहानी सुनाई कि दुर्घटना लॉरी चालक की लापरवाही से गाड़ी चलाने के कारण हुई।
कोर्ट ने मुआवजा 21,11,024 रुपये से बढ़ाकर 25,37,816 रुपये कर दिया।
अपीलकर्ता के वकील: एन. राम कृष्ण, प्रतिवादी के वकील: एस.वी. मुनि रेड्डी
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