'आपराधिक न्यायशास्त्र का मखौल': इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एफआईआर दर्ज करने के 17 साल बाद आरोपी को सीआरपीसी की धारा 160 के तहत नोटिस जारी करने की निंदा की

Avanish Pathak

1 Jun 2023 4:30 PM GMT

  • आपराधिक न्यायशास्त्र का मखौल: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एफआईआर दर्ज करने के 17 साल बाद आरोपी को सीआरपीसी की धारा 160 के तहत नोटिस जारी करने की निंदा की

    Allahabad High Court 

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ‌पिछले सप्ताह लगभग 17 साल पहले दर्ज एक प्राथमिकी के संबंध में सीआरपीसी की धारा 160 के तहत पांच आरोपियों के खिलाफ नोटिस जारी करने से इनकार कर दिया था।

    जस्टिस राहुल चतुर्वेदी और जस्टिस गजेंद्र कुमार की खंडपीठ ने इसे आपराधिक न्यायशास्त्र का उपहास बताते हुए 5 आरोपियों का बचाव किया और उन्हें इस मामले में अग्रिम जमानत के लिए आवेदन करने की स्वतंत्रता भी दी।

    अदालत सीआरपीसी की धारा 160 के तहत यूपी पुलिस से एक नोटिस प्राप्त होने के बाद देवेंद्र सिंह और 4 अन्य द्वारा दायर एक आपराधिक रिट याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उन्हें अपना बयान दर्ज करने के लिए कहा गया था।

    सीआरपीसी की धारा 160 के तहत प्रावधान है कि मामले की जांच कर रहा एक पुलिस अधिकारी लिखित आदेश के जर‌िए, अपनी या किसी भी आस-पास के स्टेशन की सीमा के भीतर किसी भी ऐसे व्यक्ति को पूछताछ के लिए बुला सकता है, जिसे मामले के तथ्यों और परिस्थितियों की जानकारी हो।

    न्यायालय के समक्ष, यह प्रस्तुत किया गया था कि सीआरपीसी की धारा 160 के तहत उक्त नोटिस 17 साल बीत जाने के बाद दिया गया था, जांच अभी भी बिना किसी ठोस परिणाम के चल रही है। यह आगे प्रस्तुत किया गया कि याचिकाकर्ता जांच में सहयोग करने के इच्छुक और तैयार हैं बशर्ते उनके हितों की रक्षा की जाए।

    इन तथ्यों के मद्देनजर अदालत ने शुरुआत में याचिकाकर्ता को एफआईआर दर्ज करने के 17 साल बाद जारी किए गए नोटिसों को अस्वीकार कर दिया।

    कोर्ट ने कहा,

    “हमने आरोप देखे हैं। एफआईआर दर्ज होने के 17 साल बाद पुलिस द्वारा की जा रही यह कवायद अजीब है और आपराधिक न्यायशास्त्र का मजाक है।

    इसलिए, न्यायालय ने निर्देश दिया कि याचिकाकर्ताओं के हितों को एक महीने की अवधि के लिए इस स्वतंत्रता के साथ संरक्षित किया जाए कि यदि वे अग्रिम जमानत के लिए आवेदन करते हैं, तो उनकी अग्रिम जमानत पर सहानुभूतिपूर्वक विचार किया जाएगा।

    हालांकि, अदालत ने यह विकल्‍प दिया कि याचिकाकर्ता जांच में सहयोग करेंगे। इस टिप्पणी के साथ, वर्तमान रिट याचिका का निस्तारण किया गया।

    केस टाइटलः देवेंद्र सिंह और 4 अन्य बनाम यूपी राज्य और 2 अन्य [CRIMINAL MISC. WRIT PETITION No. - 7901 of 2023]

    केस साइटेशन: 2023 लाइवलॉ (एबी) 174

    Next Story