केवल ऋण राशि वसूलने की मांग करना आत्महत्या के लिए उकसाना नहीं: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट

Avanish Pathak

20 Oct 2023 6:01 PM IST

  • केवल ऋण राशि वसूलने की मांग करना आत्महत्या के लिए उकसाना नहीं: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट

     Chhattisgarh High Court

    छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा है कि यदि कोई व्यक्ति कर्ज की वसूली की मांग करता है तो केवल इस कृत्य को आत्महत्या के लिए उकसाने के रूप में नहीं माना जाएगा क्योंकि कोई भी व्यक्ति जिसने ऋण दिया है वह निश्चित रूप से इसे वापस लेना चाहेगा।

    चीफ ज‌िस्टिस रमेश सिन्हा की पीठ ने शैला सिंह नाम की महिला को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में दर्ज एफआईआर और आरोप पत्र को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की।

    मामला

    मृतिका के पति नरेश यादव ने वर्तमान याचिकाकर्ता को प्रधान मंत्री विकास कौशल योजना से संबंधित एक सरकारी योजना से परिचित कराया। याचिकाकर्ता ने लगभग 10 लाख रुपये मृतिका के पति को दिए।

    इसके बाद मृतिका के पति ने बेईमानी करते हुए याचिकाकर्ता की संस्था सहित संबंधित संस्था को उसके हिस्से का पैसा वापस नहीं किया। जब याचिकाकर्ता ने मृतिका के पति से याचिकाकर्ता से ली गई राशि चुकाने का अनुरोध किया, तो उसने उसका फोन उठाना और उसके मैसेजेस का जवाब देना बंद कर दिया।

    इसके बाद, याचिकाकर्ता ने कथित तौर पर मृतिका के पति को परिणाम भुगतने की धमकी दी और उक्त धमकी से दुखी होकर, मृतिका ने जहरीला पदार्थ खा लिया। तदनुसार, अभियोजन एजेंसी ने याचिकाकर्ता के खिलाफ आईपीसी की धारा 306 के तहत अपराध के लिए आरोप पत्र दायर किया।

    इसे चुनौती देते हुए, याचिकाकर्ता ने यह कहते हुए हाईकोर्ट का रुख किया कि ऐसी कोई सामग्री नहीं है जो इंगित करती हो कि मृतक और वर्तमान याचिकाकर्ता के बीच कुछ भी हुआ था, और इसलिए, मृतक को आत्महत्या के लिए उकसाने के अपराध के लिए उस पर आरोप लगाने के लिए कोई सामग्री नहीं थी।

    यह भी तर्क दिया गया कि याचिकाकर्ता ने मृतक के पति से ऋण राशि चुकाने की मांग की थी, लेकिन उसने कभी भी पुलिस अधिकारियों से कोई शिकायत नहीं की और न ही पुलिस विभाग के किसी उच्च अधिकारी के पास गया।

    मामले के तथ्यों और परिस्थितियों की पृष्ठभूमि में, अदालत ने कहा कि भले ही अभियोजन पक्ष के बयान को सत्य माना जाए, लेकिन यह साबित करने के लिए रिकॉर्ड पर कोई सामग्री नहीं है कि याचिकाकर्ता ने अपनी ऋण राशि की वसूली के लिए कोई जबरदस्ती तरीका अपनाया था।

    न्यायालय ने आगे कहा कि यदि याचिकाकर्ता द्वारा कोई मांग की गई थी, तो उसे उकसावे के रूप में नहीं माना जा सकता क्योंकि जिसने भी ऋण दिया है वह निश्चित रूप से इसे वापस लेना चाहेगा।

    अदालत ने इन्हीं टिप्‍पणियों के साथ याचिकाकर्ता के खिलाफ आईपीसी की धारा 306 के तहत अपराध के लिए आरोप तय करने के ट्रायल कोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया। इसके साथ ही धारा 482 की याचिका की अनुमति दी गई।

    केस टाइटलः शैला सिंह बनाम छत्तीसगढ़ राज्य

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