केवल इसलिए कि पीएससी ने त्रुटिपूर्ण आवेदन के बारे में जानकारी दिए बिना हॉल टिकट जारी कर दिया, उम्मीदवार को परीक्षा में बैठने का कोई अधिकार नहीं है: केरल हाईकोर्ट

Avanish Pathak

14 Aug 2023 8:42 AM GMT

  • केवल इसलिए कि पीएससी ने त्रुटिपूर्ण आवेदन के बारे में जानकारी दिए बिना हॉल टिकट जारी कर दिया, उम्मीदवार को परीक्षा में बैठने का कोई अधिकार नहीं है: केरल हाईकोर्ट

    Kerala High Court

    केरल हाईकोर्ट ने केरल लोक सेवा आयोग की ओर से परीक्षा देने से राकी गई एक उम्मीदवार की याचिका खारिज कर दी।

    उक्त उम्मीदवार ने सहायक लोक अभियोजक पद पर नियुक्ति की मांग की थी। केरल लोक सेवा आयोग ने उसे हॉल-टिकट भी जारी किया था, हालांकि उसे परीक्षा देने का अवसर नहीं दिया गया, क्योंकि मूल आवेदन पत्र को दोषपूर्ण पाया गया था।

    ज‌स्टिस देवन रामचंद्रन ने कहा कि चूंकि याचिकाकर्ता ने स्वयं स्वीकार किया है कि उसके आवेदन में उसका नाम या वह तारीख नहीं थी, जिस पर इसे लिया गया था, इसलिए यह कानूनी रूप से दोषपूर्ण था।

    कोर्ट ने कहा,

    "इसलिए, उक्त आवेदन कानूनी रूप से दोषपूर्ण है और लोकसेवा आयोग (पीएससी) द्वारा कभी भी इस पर कार्रवाई नहीं की जा सकती थी; और इसलिए केवल इसलिए कि याचिकाकर्ता को पीएससी ने उक्त दोष से अनजान होने के कारण उसी के आधार पर हॉल टिकट जारी किया गया था, इससे उसे उसे परीक्षा लिखने का कोई भी अधिकार प्राप्त नहीं होगा।''

    यह याचिकाकर्ता का मामला था कि यद्यपि उसने अपनी तस्वीर में अपेक्षित इनपुट प्रदान नहीं किया था, ऐसी स्थिति में पीएससी को उसे हॉल टिकट जारी नहीं करना चाहिए था और इस प्रकार उसे परीक्षा ल‌िखने के अवसर से वंचित करके परीक्षा हॉल में उपहास का पात्र नहीं बनाना चाहिए था।

    उसने तर्क दिया कि एक बार पीएससी की ओर से हॉल टिकट जारी हो जाने के बाद, यह मान लिया जाना चाहिए कि उन्होंने उसके आवेदन के खिलाफ सभी आपत्तियों को माफ कर दिया है और इस प्रकार वह परीक्षा देने की हकदार है।

    याचिकाकर्ता ने इस प्रकार पीएससी से सहायक लोक अभियोजक के पद के लिए परीक्षा रद्द करने की प्रार्थना की; या वैकल्पिक रूप से, उन्हें एक विशेष अवसर के माध्यम से परीक्षा देने का अवसर देने का निर्देश देना।

    केरल पीएससी के स्थायी वकील एडवोकेट पीसी शशिधरन ने याचिकाकर्ता की दलीलों का खंडन किया और कहा कि चूंकि याचिकाकर्ता का आवेदन पीएससी द्वारा जारी किए गए सामान्य निर्देशों का पालन नहीं करता है, जिनकी स्थिति वैधानिक नुस्खे के समान है, इसलिए इसे केवल खारिज किया जा सकता है और याचिकाकर्ता को इसका लाभ लेने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।

    उन्होंने ने तर्क दिया कि जब याचिकाकर्ता ने स्वयं स्पष्ट रूप से स्वीकार किया कि उसकी अपलोड की गई तस्वीर में उसका नाम या वह तारीख नहीं है, जिस दिन इसे लिया गया था, तो यह स्वयंसिद्ध है कि इसे खारिज कर दिया जाना चाहिए, और वह इसके आधार पर किसी भी अधिकार का दावा नहीं कर सकती है। उन्होंने कहा कि हॉल टिकट अनजाने में जारी हो गया।

    कोर्ट ने ने एडवोकेट शशिधरन की उपरोक्त दलीलों में योग्यता पाई और कहा कि चूंकि उम्मीदवार ने स्वयं स्वीकार किया था कि उसने सामान्य निर्देशों का पालन नहीं किया था, इसलिए यह केरल लोक सेवा आयोग बनाम रेशमी केआर और अन्‍य (2019) मामले में न्यायालय की घोषणाओं के अनुरूप नहीं होगा। इस प्रकार इसने आवेदन को कानूनी रूप से दोषपूर्ण माना और ऐसा माना कि पीएससी द्वारा कभी भी इस पर कार्रवाई नहीं की जा सकती थी।

    हालांकि, न्यायालय ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता की शिकायत भी उचित थी।

    "...क्योंकि एक बार जब उसे हॉल टिकट जारी किया गया था, तो जब वह परीक्षा हॉल में गई तो निश्चित रूप से उसका उपहास हुआ और उसे भाग लेने का अवसर नहीं दिया गया। पीएससी को निश्चित रूप से इससे बचना चाहिए था; और मुझे यकीन है कि भविष्य में इसे दिमाग में रखा जाएगा।"

    इस प्रकार न्यायालय ने याचिका को खारिज कर दिया, और यह स्पष्ट किया कि न्यायालय की टिप्पणियों की व्याख्या इस रूप में नहीं की जा सकती है कि उसने याचिकाकर्ता की योग्यता, या उसकी क्षमता का मूल्यांकन किया है; और यह कि याचिकाकर्ता को वर्तमान निर्णय से प्रभावित हुए बिना, भविष्य में किसी भी नियुक्ति प्रक्रिया में भाग लेने की पूर्ण स्वतंत्रता होगी।

    केस टाइटल: वकील हसना मोल एनएस बनाम सचिव, केरल लोक सेवा आयोग और अन्य।

    साइटेशन: 2023 लाइवलॉ (केर) 400

    केस नंबर: WP(C) NO. 20220/2023

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