अब वह मृतक पर आश्रित नहीं है, विवाहित बेटी अनुकंपा नियुक्ति का दावा नहीं कर सकती : छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट
Shahadat
17 Oct 2022 12:01 PM IST
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने हाल ही में मृत कर्मचारी की विवाहित बेटी को अनुकंपा रोजगार देने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि अब वह अपने पिता की आय पर 'आश्रित' नहीं रहेगी।
जस्टिस नरेंद्र कुमार व्यास ने कहा कि याचिकाकर्ता-बेटी की शादी उसके पिता की मृत्यु से पहले हुई थी, इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि वह उसकी कमाई पर निर्भर थी।
बेंच ने महाराष्ट्र राज्य और अन्य बनाम माधुरी मारुति विधाते मामले में सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले पर बहुत भरोसा किया, जहां यह माना गया कि विवाहित बेटी को उसकी मृत मां पर निर्भर नहीं कहा जा सकता। इसलिए वह अनुकंपा नियुक्ति की पात्र नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने भी राहत मांगने में देरी का हवाला दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था,
'मृतक कर्मचारी की मौत के कई साल बाद वह अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति की हकदार नहीं होगी।'
इस मामले में भी हाईकोर्ट ने पाया कि याचिकाकर्ता ने करीब 13 साल की देरी से अनुकंपा रोजगार का दावा किया।
हाईकोर्ट ने कहा,
"रिकॉर्ड से पता चलता है कि याचिकाकर्ता ने अपने पिता की मृत्यु से पहले शादी कर ली थी, इसलिए वह अपने पिता की कमाई पर निर्भर नहीं हो सकती। साथ ही उसने 12 साल बाद अनुकंपा नियुक्ति के लिए वर्तमान आवेदन दायर किया। ये आधार स्पष्ट रूप से याचिकाकर्ता को अनुकंपा नियुक्ति पाने का अधिकार नहीं देते हैं..."
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अनुकंपा नियुक्ति प्रदान करने का उद्देश्य परिवार की स्थिति को प्रासंगिक समय पर सुधारना है। यदि परिवार इतनी लंबी अवधि (13 वर्ष) तक जीवित रह सकता है तो उसे कई वर्षों के बाद अनुकंपा नियुक्ति पाने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है।
वर्तमान मामले में मृतक की विवाहित पुत्री मीना सिदर (याचिकाकर्ता) ने सचिव, ऊर्जा एवं विद्युत विभाग (प्रतिवादी 1) के समक्ष अनुकंपा नियुक्ति की मांग की, जिसे प्रतिवादियों ने इस आधार पर खारिज कर दिया कि इसके लिए आवेदन मृत व्यक्ति की मृत्यु के एक वर्ष के भीतर किया जाना है। चूंकि याचिकाकर्ता सीमा अवधि से काफी आगे है, इसलिए प्रतिवादी नंबर एक ने उसका आवेदन खारिज कर दिया।
केस टाइटल: मीना सिदर बनाम छत्तीसगढ़ राज्य और अन्य।
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