हिरासत में व्यक्ति की मौत के मामले में दिल्ली पुलिस के खिलाफ FIR दर्ज करने का दिया आदेश
Shahadat
10 Jun 2025 4:26 PM IST

दिल्ली मजिस्ट्रेट ने दिल्ली पुलिस की हिरासत में व्यक्ति की मौत के मामले में FIR दर्ज करने का आदेश दिया।
रोहिणी कोर्ट के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने सेतारा बीबी नामक महिला द्वारा दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 156(3) के तहत दायर आवेदन पर यह आदेश पारित किया, जिसमें 22/23 जुलाई, 2023 को दिल्ली पुलिस की हिरासत में अपने पति शेख शादत की मौत की जांच की मांग की गई।
सीजेएम ने प्रथम दृष्टया पाया कि संज्ञेय अपराध किया गया, जिसकी गहन जांच की आवश्यकता है। रिकॉर्ड पर उपलब्ध तस्वीरों और वीडियो फुटेज से मजिस्ट्रेट ने पाया कि मृतक की पूरी पीठ के ऊपरी हिस्से और निचली पीठ पर चोट के निशान थे। सीजेएम ने आगे कहा कि सीसीटीवी फुटेज की उपलब्धता और उन्हें संरक्षित करने के लिए किए गए प्रयासों जैसे तकनीकी पहलुओं की जांच आवश्यक है।
सेतारा बीबी ने अपने आवेदन में आरोप लगाया कि मृतक शेख सआदत और चार अन्य लोगों से दिल्ली पुलिस ने 21 जुलाई, 2023 को नेताजी सुभाष प्लेस पर अपनी कार से उतरते समय बिना किसी कारण के पूछताछ की। जब शेख सआदत ने पुलिस अधिकारियों से पूछताछ की तो वह कथित तौर पर आक्रामक हो गए और उन पांचों को जबरदस्ती सुभाष प्लेस थाने ले गए।
अगले दिन उन सभी के खिलाफ आर्म्स एक्ट के तहत FIR दर्ज की गई।
23 जुलाई को आवेदक को सूचना मिली कि उसके पति को अंबेडकर अस्पताल में भर्ती कराया गया। जब वह वहां पहुंची तो उसे शवगृह ले जाया गया और उसका शव सौंप दिया गया। आरोप है कि शव की पीठ और छाती पर मारपीट के काले और नीले निशान थे, उसका हाथ सूजा हुआ और पैरों पर भी चोट के निशान थे। चूंकि आवेदक की दिल्ली पुलिस आयुक्त को दी गई शिकायत के परिणामस्वरूप कोई FIR नहीं हुई, इसलिए उसने सीजेएम के समक्ष आवेदन दायर किया। जांच रिपोर्ट के अनुसार, मौत का कारण न तो हत्या थी और न ही आत्महत्या। हालांकि, सीजेएम ने चोट के निशान दिखाने वाली तस्वीरों और वीडियो को देखने के बाद कहा कि केवल जांच रिपोर्ट के आधार पर आवेदन को खारिज नहीं किया जा सकता।
सीजेएम वसुंधरा छौंकर ने आदेश में कहा,
"हालांकि जांच रिपोर्ट रिकॉर्ड में है, लेकिन उचित चरण में इस पर विचार किया जा सकता है। केवल वर्तमान जांच रिपोर्ट के आधार पर वर्तमान आवेदन खारिज करना न्याय के उद्देश्य की पूर्ति नहीं करेगा, क्योंकि शिकायतकर्ता व्यापक साक्ष्य रिकॉर्ड करने या एकत्र करने की क्षमता में नहीं है। न्यायालय का मानना है कि प्रथम दृष्टया एक संज्ञेय अपराध किया गया और पूरे परिदृश्य को उजागर करने के साथ-साथ सभी संभावित गवाहों के बयान दर्ज करने के लिए मामले की गहन जांच की आवश्यकता है। साथ ही सीसीटीवी फुटेज की उपलब्धता, उन्हें संरक्षित करने के लिए किए गए प्रयासों और अन्य संभावित इनपुट के संबंध में तकनीकी पहलू पर जांच की आवश्यकता है।"
संबंधित एसएचओ को मामले में FIR दर्ज करने और 28 जून तक अनुपालन रिपोर्ट कोर्ट को भेजने का निर्देश दिया गया।