मद्रास हाईकोर्ट ने जल उपयोगकर्ता संघ चुनावों की जांच की मांग वाली याचिका खारिज की

Shahadat

9 Jun 2022 12:10 PM IST

  • मद्रास हाईकोर्ट ने जल उपयोगकर्ता संघ चुनावों की जांच की मांग वाली याचिका खारिज की

    Madras High Court

    मद्रास हाईकोर्ट ने बुधवार को जल उपयोगकर्ता संघ के चुनाव के दौरान चुनाव अधिकारी सह-राजस्व मंडल अधिकारी द्वारा की गई कथित अनियमितताओं की जांच के लिए सेवानिवृत्त हाईकोर्ट के न्यायाधीश के नेतृत्व में जांच कराए जाने की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दी।

    चीफ जस्टिस मुनीश्वर नाथ भंडारी और जस्टिस एन माला की पीठ ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि याचिका जनहित के लिए नहीं, बल्कि "निजी हित याचिका" है।

    याचिकाकर्ता ने कहा कि तमिलनाडु किसान प्रबंधन प्रणाली अधिनियम, 2000 को तमिलनाडु सरकार द्वारा सिंचाई प्रणालियों के प्रबंधन में किसानों की भागीदारी और उससे जुड़े मामलों के लिए लागू किया गया है। अधिनियम में जल उपयोगकर्ता संघ के गठन और कामकाज का प्रावधान है। एसोसिएशन का मुख्य उद्देश्य किसानों की शिकायतों का निवारण करना और पानी के दुरुपयोग को रोकना और पानी की आपूर्ति को विनियमित करना है।

    अधिनियम की धारा 5 के अनुसार प्रत्येक जल उपयोगकर्ता संघ के लिए प्रबंध समिति होगी और समिति के अध्यक्ष और सदस्यों के चुनाव की व्यवस्था करने के लिए कलेक्टर को अधिकार दिया गया है।

    वहीं, तिरुपुर जिला कलेक्टर (द्वितीय प्रतिवादी) चुनाव कराने के लिए आगे आए और चुनाव अधिकारी के रूप में आर कुमारसन (चौथे प्रतिवादी) को नियुक्त किया।

    याचिकाकर्ता का कहना है कि प्रतिवादी-चुनाव अधिकारी ने लोकतांत्रिक तरीके से चुनाव नहीं कराया और नामांकन की जांच के दौरान ही कुछ लोगों की सफलता की घोषणा कर दी। उन्होंने याचिकाकर्ता के पिता सहित कुछ व्यक्तियों के नामांकन को अस्वीकार करने का कारण भी नहीं बताया।

    इसलिए उन्होंने तर्क दिया कि प्रतिवादी-निर्वाचन अधिकारी ने पक्षपातपूर्ण और मनमानी तरीके से काम किया। इसके अलावा कलेक्टर से शिकायत की तो कोई कार्रवाई नहीं हुई।

    इस प्रकार उन्होंने न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश के नेतृत्व में जांच दल गठित करने और चुनाव कराने में उक्त अनियमितताओं और पक्षपातपूर्ण कार्यों की जांच करने के लिए सरकार को निर्देश देने की मांग की।

    कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि याचिका सार्वजनिक प्रकृति की नहीं है। ऐसा प्रतीत होता है कि यह निजी मकसद से दायर की गई है, जिसमें याचिकाकर्ता के पिता का नामांकन प्रतिवादी द्वारा खारिज कर दिया गया है।

    केस टाइटल: पी. सुकुमार बनाम तमिलनाडु राज्य और अन्य

    केस नंबर: 2022 का डब्ल्यू.पी 11679

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