वादकारियों के लिए निष्पक्ष सुनवाई महत्वपूर्ण है, सूचीबद्ध मामलों की संख्या नहीं: केरल हाईकोर्ट ने मौजूदा न्यायाधीश के खिलाफ वकील की अपील खारिज की

Shahadat

9 Sep 2023 5:17 AM GMT

  • वादकारियों के लिए निष्पक्ष सुनवाई महत्वपूर्ण है, सूचीबद्ध मामलों की संख्या नहीं: केरल हाईकोर्ट ने मौजूदा न्यायाधीश के खिलाफ वकील की अपील खारिज की

    केरल हाईकोर्ट ने जस्टिस मैरी जोसेफ की पीठ के समक्ष मामलों की सीमित सूची को चुनौती देने वाली उनकी याचिका खारिज करने के खिलाफ वकील यशवंत शेनॉय की रिट अपील खारिज कर दी।

    जस्टिस ए मुहम्मद मुश्ताक और जस्टिस शोबा अन्नम्मा ईपेन की खंडपीठ ने कहा कि मामलों को सूचीबद्ध करना हाईकोर्ट के एडमिनिस्ट्रेशन पक्ष का विशेषाधिकार है।

    ओपन कोर्ट में आदेश सुनाते हुए उन्होंने कहा,

    "चीफ जस्टिस को निर्णय लेने का अधिकार है। यदि वह निर्णय नहीं लेते हैं तो यह अपीलकर्ता को रिट याचिका दायर करके अदालत में जाने का कारण नहीं देता है।"

    कोर्ट ने आगे टिप्पणी की,

    "मामलों को सूचीबद्ध करने के संबंध में कोई भी अदालत को आदेश नहीं दे सकता। सूचीबद्ध मामलों की संख्या प्रासंगिक नहीं है, क्योंकि मामलों की जटिलता के आधार पर बीस या दो सौ मामलों पर विचार करना अदालत पर निर्भर है। दो सौ मामले होने पर भी शिकायतें दर्ज की जा सकती हैं। सूचीबद्ध मामलों की संख्या मायने नहीं रखती। महत्वपूर्ण पहलू यह है कि वादियों के मामले की निष्पक्ष सुनवाई हो।"

    कोर्ट ने वकील को 'गलत इरादों' से मौजूदा जज के खिलाफ ऐसे मामले दायर करने के प्रति आगाह किया। वह इस तथ्य से प्रभावित नहीं थे कि शेनॉय ने जस्टिस जोसेफ को कार्यवाही में एक पक्ष के रूप में रखा।

    यह कहा गया,

    "न्यायालय के न्यायाधीशों को वादी के रूप में नहीं माना जा सकता है, जो उनके खिलाफ लगाए गए सभी आरोपों का जवाब दे सकते हैं। यदि अपीलकर्ता को कोई शिकायत है तो उसे रिट दायर करने में जल्दबाजी करने के बजाय चीफ जस्टिस के समक्ष उचित तरीके से शिकायत उठानी चाहिए। न्यायालय के समक्ष याचिकाएं दायर करनी चाहिए।"

    शेनॉय की याचिका को पहले हाईकोर्ट ने यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि कोई निर्देश जारी नहीं किया जा सकता है कि न्यायाधीश को एक दिन में विशेष संख्या में मामलों की सुनवाई करनी चाहिए।

    उनकी अपील पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने बताया कि लिस्टिंग प्रणाली बदल गई है। अब सभी मामलों को वर्तमान मेमो ऑनलाइन पोस्ट करके सूचीबद्ध किया जाता है।

    हालांकि, शेनॉय ने जोर देकर कहा कि इस मुद्दे पर निर्णय लिया जाना चाहिए, क्योंकि इसके गंभीर परिणाम होंगे। यह एक न्यायाधीश को उनके सामने रखे गए मामलों की संख्या को कम करने की शक्ति प्रदान करता है। फिर कोई भी चीज न्यायाधीशों को उनके सामने मामले को सूचीबद्ध करने से नहीं रोकेगी।

    उन्होंने आगे तर्क दिया कि वह न्यायाधीशों पर अनुचित दबाव नहीं डालना चाहते हैं। लेकिन अगर न्यायाधीशों के समक्ष मामलों की सूची कम कर दी जाती है तो लोग उस सीमित स्लॉट में जाने की कोशिश करेंगे, जिससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा।

    केस नंबर: यशवंत शेनॉय बनाम चीफ जस्टिस, केरल हाईकोर्ट और अन्य।

    केस संख्या: WA 1316/2023 IN WP(C) 6912/2023

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