गौरी लंकेश की हत्या के मामले में हिरासत में लिए गए आखिरी आरोपी को जमानत मिली, 17 आरोपी जमानत पर बाहर, एक फरार

Shahadat

10 Jan 2025 3:29 PM IST

  • गौरी लंकेश की हत्या के मामले में हिरासत में लिए गए आखिरी आरोपी को जमानत मिली, 17 आरोपी जमानत पर बाहर, एक फरार

    बेंगलुरु कोर्ट ने हाल ही में पत्रकार गौरी लंकेश की कथित हत्या के मामले में आरोपी शरद भाऊसाहेब कलस्कर को जमानत दी। इस प्रकार अदालत के समक्ष उपस्थित 18 आरोपियों में से 17 अब जमानत पर बाहर हैं। एक अभी भी फरार है।

    प्रिंसिपल सिटी सिविल एवं सेशन जज मुरलीधर पाई बी ने समानता के आधार पर कलस्कर को जमानत दी।

    इसने कहा,

    "इस दिन याचिकाकर्ता को छोड़कर मामले में मुकदमे का सामना कर रहे सभी आरोपी जमानत पर हैं। ऐसे में याचिकाकर्ता समानता के आधार पर भी जमानत का हकदार है।"

    पिछले साल अक्टूबर में सेशन कोर्ट ने आरोपी अमोल काले, राजेश डी बंगेरा, वासुदेव सूर्यवंशी, रुशिकेश देवडेकर, परशुराम वाघमोर, गणेश मिस्किन, अमित रामचंद्र बड्डी और मनोहर दुंदीपा यादव को जमानत दी थी। इस मामले में कुल 18 आरोपी हैं, जिनमें से आरोपी नंबर 15 विकास पटेल उर्फ ​​दादा उर्फ ​​निहाल फरार है। आरोपियों पर धारा 302, 120बी, 118, 203, 35 आईपीसी, भारतीय शस्त्र अधिनियम, 1959 की धारा 25(1) और 27(1) और कर्नाटक संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम, 2000 की धारा 3(1)(i), 3(2), 3(3) और 3(4) के तहत मुकदमा चलाया जा रहा है।

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने हाल ही में 4 सितंबर के अपने आदेश के तहत आरोपी भरत कुराने, श्रीकांत पंगारकर, सुजीत कुमार और सुधन्वा गोंधलेकर को जमानत दी थी। आरोपी नंबर 11, एन मोहन नायक उर्फ ​​संपंजे 7 दिसंबर, 2023 को हाईकोर्ट द्वारा जमानत दिए जाने वाले पहले आरोपी थे, जिसकी पुष्टि सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त 2024 में की थी।

    अदालत ने जमानत देते हुए यह भी कहा कि याचिकाकर्ता के खिलाफ आरोप यह है कि वह संगठित अपराध गिरोह का सदस्य था। उसने अन्य आरोपियों को दुर्जनों की पहचान करने और पिस्तौल, एयर पिस्टल का इस्तेमाल करने, फायरिंग अभ्यास, कराटे अभ्यास, पेट्रोल और सर्किट बम तैयार करने के बारे में प्रशिक्षण दिया।

    इस प्रकार, यह स्पष्ट हो जाता है कि अभियोजन पक्ष के मामले के अनुसार भी याचिकाकर्ता गौरी लंकेश की हत्या में सीधे तौर पर शामिल नहीं था।

    यह देखते हुए कि याचिकाकर्ता 4.9.2018 से मामले में हिरासत में है। कई फैसलों में माननीय सुप्रीम कोर्ट ने बार-बार माना है कि त्वरित सुनवाई संविधान के अनुच्छेद 21 के व्यापक दायरे और सामग्री में निहित एक मौलिक अधिकार है। अगर मुकदमे के लंबित रहने के दौरान व्यक्तिगत स्वतंत्रता से वंचित करने की अवधि अनावश्यक रूप से लंबी हो जाती है तो संविधान के अनुच्छेद 21 द्वारा सुनिश्चित निष्पक्षता को झटका लगेगा।

    इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट ने बार-बार इस बात पर जोर दिया है कि निर्दोषता की धारणा अनुच्छेद 21 का एक पहलू है, जो अभियुक्त के लाभ के लिए है।

    अदालत ने कहा,

    "मामले के उपरोक्त वर्णित तथ्यों और परिस्थितियों तथा माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित कानूनी सिद्धांतों के आधार पर यह न्यायालय मानता है कि याचिकाकर्ता ने मामले में नियमित जमानत मांगने के लिए वैध आधार बनाया।"

    अभियोजन पक्ष द्वारा उठाई गई इस आशंका पर विचार करते हुए कि याचिकाकर्ता जमानत का दुरुपयोग करेगा। इसी तरह के अपराध करेगा तथा अभियोजन पक्ष के गवाहों को धमकाने की संभावना है।

    अदालत ने कहा,

    "निस्संदेह, मामले में गवाहों के नाम उनके विवरण को छिपाकर अभियुक्त व्यक्तियों से छिपाए गए। ऐसे में इस न्यायालय को याचिकाकर्ता द्वारा अभियोजन पक्ष के गवाहों से छेड़छाड़ करने का कोई मौका नहीं मिलता। इसके अलावा, यह न्यायालय पहले ही 164 गवाहों की जांच कर चुका है तथा अभियोजन पक्ष द्वारा लगभग समान नंबर में गवाह दिए गए। ऐसे में शेष गवाहों में से अधिकांश पुलिस अधिकारी या अन्य विभागों के अधिकारी हैं, जिन्होंने मामले में जांच के दौरान सहायता की। इसके मद्देनजर, इस न्यायालय को अभियोजन पक्ष के उपरोक्त तर्क में कोई दम नहीं दिखता।''

    तदनुसार, न्यायालय ने याचिकाकर्ता को 2,00,000 रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि के दो जमानतदारों पर न्यायालय की संतुष्टि के लिए जमानत दी।

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