केरल हाईकोर्ट ने पड़ोसी की संपत्ति पर कब्जा करने, परिसर की दीवार को नुकसान पहुंचाने के आरोपी दिव्यांग जोड़े के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही पर रोक लगाई

Shahadat

8 July 2023 8:21 AM GMT

  • केरल हाईकोर्ट ने पड़ोसी की संपत्ति पर कब्जा करने, परिसर की दीवार को नुकसान पहुंचाने के आरोपी दिव्यांग जोड़े के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही पर रोक लगाई

    केरल हाईकोर्ट ने गुरुवार को उस दिव्यांग जोड़े और उनके सीनियर सिटीजन पिता के खिलाफ शुरू की गई आपराधिक कार्यवाही पर रोक लगा दी, जिन पर अपने पड़ोसी की संपत्ति पर अतिक्रमण करने और संपत्ति पर परिसर की दीवार को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया गया।

    जस्टिस राजा विजयराघवन वी. ने आरोपी याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कार्यवाही पर एक महीने की अवधि के लिए रोक लगा दी।

    यह आरोप लगाया गया कि इस मामले में दूसरे और तीसरे याचिकाकर्ताओं (क्रमशः जोड़े के पति और पिता) ने वास्तविक शिकायतकर्ता, जो उनका पड़ोसी है, उसकी संपत्ति पर अतिक्रमण किया और परिसर की दीवार को नुकसान पहुंचाया, जिसके परिणामस्वरूप उसको कुछ हानि हुई।

    वकील एस. निखिल शंकर के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया कि ऐसी कोई घटना नहीं हुई। यह प्रस्तुत किया गया कि पहले (याचिकाकर्ता-पत्नी) और तीसरे याचिकाकर्ता (पति) के बीच याचिकाकर्ताओं की संपत्ति पर उसके द्वारा किए गए अतिक्रमण को लेकर वास्तविक शिकायतकर्ता के साथ कुछ सिविल विवाद है। यह जोड़ा गया कि इस संबंध में तिरुवनंतपुरम में मुंसिफ कोर्ट के समक्ष मुकदमा दायर किया गया, जिसमें शिकायतकर्ता को दूसरे प्रतिवादी के रूप में रखा गया।

    याचिका में कहा गया,

    "...उपरोक्त कार्यवाही दूसरे प्रतिवादी द्वारा पक्षकारों के बीच लंबित सिविल विवादों के प्रतिकार के रूप में भौतिक तथ्यों को दबाकर शुरू की गई। यहां तक कि उठाए गए आरोपों की प्रकृति को मानते हुए भी इसे केवल शुद्ध सिविल विवाद के दायरे में माना जा सकता है। कथित अपराधों के किसी भी तत्व को आकर्षित करने के लिए इसमें कोई योग और सामग्री नहीं है।''

    याचिकाकर्ताओं ने आगे कहा कि पुलिस को पक्षकारों के बीच व्यक्तिगत सिविल विवादों से जुड़े किसी भी मामले में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है। इस प्रकार यह दावा किया गया कि दूसरे प्रतिवादी के आदेश पर प्रथम प्रतिवादी पुलिस की तिरुवनंतपुरम के जिला सर्वेक्षण अधीक्षक को पूरी तरह से सिविल विवाद में अपनी संपत्ति के दस्तावेज जमा करने के लिए मजबूर करने की कार्रवाई कानून का उल्लंघन है और इसे रद्द कर दिया जाना चाहिए।

    याचिकाकर्ताओं ने इन आधारों पर मामले में एफआईआर और आगे की कार्यवाही रद्द करने की मांग की।

    केस टाइटल: अंजीथा सी.पी. एवं अन्य. बनाम केरल राज्य और अन्य।

    Next Story