केरल हाईकोर्ट ने तकनीकी आधार पर साक्ष्य छेड़छाड़ मामले में परिवहन मंत्री एंटनी राजू के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही रद्द की

Shahadat

10 March 2023 9:27 AM GMT

  • केरल हाईकोर्ट ने तकनीकी आधार पर साक्ष्य छेड़छाड़ मामले में परिवहन मंत्री एंटनी राजू के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही रद्द की

    केरल हाईकोर्ट ने तकनीकी कारणों का हवाला देते हुए शुक्रवार को केरल के परिवहन मंत्री एंटनी राजू के खिलाफ तिरुवनंतपुरम में न्यायिक प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट कोर्ट, नेदुमंगड के समक्ष लंबित सबूतों से छेड़छाड़ के मामले में ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही रद्द कर दी।

    जस्टिस जियाद रहमान की एकल पीठ ने स्पष्ट किया कि यह सक्षम प्राधिकारी या संबंधित अदालत को मामले को उठाने और आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 195(1)(बी) के तहत अपेक्षित प्रक्रिया के अनुपालन में अभियोजन को आगे बढ़ाने से नहीं रोकेगा।

    अदालत ने कहा,

    "यद्यपि इस अदालत ने तकनीकी कारणों से कार्यवाही में हस्तक्षेप किया, इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि लगाए गए आरोप गंभीर प्रकृति के हैं। इस अदालत के समक्ष रखी गई सामग्री से ऐसे आरोपों का पता चलता है, जो ऐसी प्रकृति और गंभीरता के हैं, जो न्यायिक कार्यों में हस्तक्षेप करते हैं और इस तरह से न्याय के तंत्र को प्रदूषित करते हैं। इस तरह के कृत्यों से सख्ती से और पूरी ताकत के साथ निपटने की आवश्यकता है और यह अदालत संबंधित अधिकारियों से इस पर सकारात्मक और प्रभावी अनुवर्ती कार्रवाई की उम्मीद करती है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि कानून के अनुसार निष्पक्ष सुनवाई हो और दोषियों पर्याप्त रूप से दंडित किया जाता है।"

    इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि अपराध कथित रूप से 1990 में किए गए और आगे की देरी कार्यवाही के उद्देश्य को विफल कर देगी, अदालत ने रजिस्ट्री को सीआरपीसी के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत इस संबंध में उचित कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया।

    अदालत ने साक्ष्य से छेड़छाड़ के मामले में राजू के खिलाफ पहले सभी कार्यवाही पर प्रथम दृष्टया यह निष्कर्ष निकाला कि दंड प्रक्रिया संहिता (आईपीसी) की धारा 195 और 340 के तहत निर्धारित प्रक्रिया का धारा 193 (सजा) के तहत अपराध के संबंध में अनुपालन नहीं किया गया।

    अदालत ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 195 (1) के तहत आईपीसी की धारा 193 से संबंधित कोई भी कार्यवाही और ऐसा करने की साजिश केवल संबंधित अदालत या अधीनस्थ अदालत द्वारा अधिकृत अधिकारी की शिकायत के आधार पर ही की जा सकती है। राजू के मामले में अदालत ने पाया कि इस अनिवार्य प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया।

    अभियोजन पक्ष का मामला यह है कि राजू ने वकील के रूप में प्रैक्टिस करते हुए ऑस्ट्रेलियाई नागरिक एंड्रयू सल्वाटोर से जुड़े मामले में सबूतों से छेड़छाड़ करने की साजिश रची, जिसे नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (एनडीपीएस) अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया था। नशीले पदार्थों की तस्करी के लिए ऑस्ट्रेलियाई नागरिक के खिलाफ मुकदमे में अभियुक्त द्वारा पहने गए अंडरगारमेंट को सबूत के महत्वपूर्ण टुकड़े के रूप में माना गया।

    भले ही सल्वातोर को दोषी पाया गया और निचली अदालत ने 10 साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई, बाद में ट्रायल कोर्ट में साक्ष्य के रूप में पेश किए गए अंडरवियर को छोटा पाया गया और उसे हाईकोर्ट द्वारा बरी कर दिया गया। गिरफ्तारी के समय आरोपी पर यह आरोप लगाया जाता है कि राजू ने महत्वपूर्ण सबूतों के साथ छेड़छाड़ करके हाईकोर्ट से अभियुक्तों की रिहाई सुनिश्चित की।

    केस टाइटल: एंटनी राजू बनाम केरल राज्य और अन्य

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