केरल हाईकोर्ट ने फर्जी मेमो बनाकर अनुकूल निर्णय सुरक्षित करने वाले वादियों पर जुर्माना लगाया
Shahadat
20 July 2022 11:34 AM IST

केरल हाईकोर्ट ने मंगलवार को नोटिस की तामील पर फर्जी मेमो दिखाकर हासिल किए गए निर्णय को रद्द कर दिया और फर्जी मेमो पेश करने वाले वादियों पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया।
जस्टिस ए बदरुद्दीन ने पुनर्विचार याचिका पर विचार करते हुए कहा कि यह स्थापित कानून है कि एक बार यह स्थापित हो जाने के बाद कि पक्षकार द्वारा धोखाधड़ी से आदेश प्राप्त किया गया है, विकृत है। इस तरह के आदेश को कानूनी नहीं ठहराया जा सकता।
धोखाधड़ी से प्राप्त किसी निर्णय, डिक्री या आदेश को अमान्य माना जाना चाहिए, चाहे वह प्रथम दृष्टया न्यायालय द्वारा या अंतिम न्यायालय द्वारा किया गया हो। इसे प्रत्येक न्यायालय द्वारा गैर-अनुमान के रूप में माना जाना चाहिए।
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश एडवोकेट एम.पी.रामनाथ ने मूल याचिका पर विचार के दौरान अदालत के समक्ष पेश किए गए ज्ञापन के विपरीत नोटिस की प्राप्ति से इनकार किया। प्रतिवादी 1-6 की ओर से पेश हुए वकील ने भी माना कि कोई नोटिस नहीं दिया गया। इससे न्यायालय ने यह निष्कर्ष निकाला कि निर्णय प्राप्त करने के लिए न्यायालय के समक्ष झूठा दस्तावेज पेश किया गया।
कोर्ट ने ए.वी.पपय्या शास्त्री और अन्य बनाम एपी सरकार और अन्य के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जिक्र करते हुए दोहराया कि धोखाधड़ी से प्राप्त निर्णय, डिक्री या आदेश को अमान्य माना जाना चाहिए, चाहे अदालत द्वारा प्रथम दृष्टया या अंतिम न्यायालय द्वारा किया गया हो। इसे प्रत्येक न्यायालय द्वारा गैर-अनुमान के रूप में माना जाना चाहिए।
इस प्रकार आक्षेपित निर्णय को रद्द कर दिया गया और वादियों द्वारा केरल राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के पास जमा करने के लिए उचित जुर्माना लगाया गया,, जिन्होंने झूठे मेमो का उत्पादन करके अपने पक्ष में निर्णय प्राप्त किया।
इसके अलावा, कोर्ट बाद में समय-समय पर फैसला करेगा कि क्या नकली मेमो बनाने के लिए जिम्मेदार व्यक्ति के खिलाफ कोई और कार्रवाई की जानी चाहिए।
केस टाइटल: एन वनाजा @ वनजा नागेंद्र और अन्य बनाम भानुमति और अन्य
साइटेशन: 2022 लाइव लॉ (केरल) 361
ऑर्डर डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें

