केरल हाईकोर्ट ने मोटर वाहन विभाग को सड़क सुरक्षा पर उसके निर्देशों पर की गई कार्रवाई की रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया

LiveLaw News Network

8 Nov 2021 7:09 AM GMT

  • केरल हाईकोर्ट ने मोटर वाहन विभाग को सड़क सुरक्षा पर उसके निर्देशों पर की गई कार्रवाई की रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया

    केरल हाईकोर्ट ने हाल ही में संबंधित अधिकारियों को आवश्यक कदम उठाने का निर्देश देकर सड़क सुरक्षा के लिए नियमों और निर्देशों को सुदृढ़ करने का प्रयास किया और यह सुनिश्चित किया कि कोई भी मोटर वाहन वैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन करने वाले किसी भी सार्वजनिक स्थान पर न चले।

    न्यायमूर्ति अनिल के. नरेंद्रन ने तदनुसार परिवहन आयुक्त, उप परिवहन आयुक्त और क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी को मामले में की गई कार्रवाई की व्याख्या करते हुए व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया।

    यह घटनाक्रम अनूप के.ए. और अन्य बनाम केरल राज्य और अन्य मामले में हाईकोर्ट के आदेश की जानबूझकर अवज्ञा के लिए अवमानना ​​कार्रवाई की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान आया।

    याचिकाकर्ताओं ने शुरू में कोर्ट का दरवाजा खटखटाकर मोटर वाहन विभाग के संबंधित अधिकारियों को सड़क सुरक्षा पर सुप्रीम कोर्ट की समिति द्वारा जारी निर्देशों को सख्ती से लागू करने का निर्देश दिए जाने की मांग की।

    उन्होंने यह भी प्रार्थना की कि मोटर वाहन अधिनियम, 1988 और केंद्रीय मोटर वाहन नियम, 1989 के प्रावधानों के अनुसार, ओवरलोडिंग मालवाहकों के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई की जाए।

    याचिका पर विचार करने के बाद कोर्ट ने राज्य में पालन करने के लिए कई निर्देश जारी किए। विशेष रूप से यह देखने के लिए कि राज्य में सड़क सुरक्षा नीति, मोटर वाहन अधिनियम और मोटर वाहन (ड्राइविंग) विनियम, 2017 को तुरंत लागू किया गया है।

    कोर्ट ने अपने फैसले में वाहनों में ओवरलोडिंग और लोड को इस तरह से पेश करने पर विशेष जोर दिया जिससे अन्य सड़क उपयोगकर्ताओं के लिए खतरा या जनता के लिए परेशानी की संभावना न हो।

    प्रतिवादियों की निष्क्रियता के बाद याचिकाकर्ताओं ने निर्णय में निहित निर्देशों की जानबूझकर अवज्ञा के लिए न्यायालय अवमानना ​​अधिनियम, 1971 की धारा 12 और संविधान के अनुच्छेद 215 के तहत तत्काल अवमानना ​​याचिका को प्राथमिकता दी।

    अदालत ने इस प्रकार प्रतिवादियों को निर्देश दिया कि वे उक्त निर्णय में निहित निर्देशों के संदर्भ में की गई कार्रवाई की व्याख्या करने से पहले व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करें।

    उक्त हलफनामे में उन्हें प्रस्तुत करने के लिए निर्देशित किया गया:

    1. निर्णय के बाद मोटर वाहन अधिनियम की धारा 113,114 और धारा 115 के उल्लंघन में ओवरलोड ले जाने के लिए गिरफ्तार किए गए मालवाहक वाहनों का विवरण।

    2. क्या अधिनियम की धारा 200 के तहत कंपाउंडिंग के बाद अनुमेय वजन से अधिक वाहन चलाने के लिए भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 194 और 113 के उल्लंघन में संबंधित वाहन में अतिरिक्त भार ले जाने की अनुमति दी गई।

    3. मालवाहक वाहनों के चालकों के ड्राइविंग लाइसेंस विवरण, जिन्हें ओवरलोड ले जाने के लिए गिरफ्तार किया गया। साथ ही धारा 19 (एफ) (1) के तहत लाइसेंसिंग प्राधिकारी द्वारा एक निर्दिष्ट समय के लिए ड्राइविंग लाइसेंस रखने से अयोग्य घोषित करने या ऐसे लाइसेंस को रद्द करने के लिए लाइसेंसिंग प्राधिकरण द्वारा शुरू की गई कार्यवाही का विवरण।

    4. क्या 01.10.2020 से लाइसेंसिंग प्राधिकारी द्वारा अयोग्य या निरस्त किए गए ड्राइविंग लाइसेंस का विवरण पोर्टल में कालानुक्रमिक रूप से दर्ज किया गया। साथ ही इस तरह के रिकॉर्ड को पोर्टल पर नियमित केंद्रीय मोटर वाहन नियमावली का नियम 21 के उप-नियम (2) के आदेश के अनुसार दर्शाया गया है।

    5. केंद्रीय मोटर वाहन नियमों और मोटर वाहन (ड्राइविंग) विनियमों के प्रावधानों के तहत निर्दिष्ट तरीके से रजिस्टर्ड चिह्न प्रदर्शित किए बिना सार्वजनिक सड़कों पर मालवाहक वाहनों के उपयोग के खिलाफ कार्रवाई, यदि कोई हो।

    17 नवंबर को मामले को फिर से उठाया जाएगा। इसी समय तक उक्त हलफनामे न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किए जाने हैं।

    इस मामले में याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता पीके श्रीवलसाकृष्णन और केआर प्रतीश पेश हुए।

    केस शीर्षक: अनूप के.ए. और अन्य बनाम के.आर. ज्योतिलाल और अन्य

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