केरल हाईकोर्ट ने एडवोकेट सैबी जोस किदंगूर को रिश्वत मामले में पुलिस के सामने पेश होने का निर्देश दिया, जांच में सहयोग करने को कहा
Shahadat
14 Feb 2023 11:45 AM IST
केरल हाईकोर्ट ने मंगलवार को हाईकोर्ट के न्यायाधीशों को रिश्वत देने के बहाने मुवक्किलों से पैसे वसूलने के आरोपी एडवोकेट सैबी जोस किदंगूर से कहा कि जब भी आवश्यकता हो जांच अधिकारी के सामने पेश हों और रिश्वतखोरी मामले की जांच में सहयोग करें।
जस्टिस कौसर एडप्पागथ ने एडवोकेट सैबी को गिरफ्तारी से बचाने के लिए कोई भी अंतरिम आदेश पारित करने से इनकार कर दिया, जबकि उनके वकील ने इसके लिए दबाव डाला।
लोक अभियोजक ने पुलिस आयुक्त, एर्नाकुलम द्वारा की गई प्रारंभिक जांच रिपोर्ट को अदालत के समक्ष पेश किया। राज्य पुलिस प्रमुख ने तथ्यों का विवरण भी प्रस्तुत किया।
सुनवाई के दौरान आज अभियोजक ने कहा कि मामले की जांच अभी भी चल रही है और प्रारंभिक चरण में है।
याचिकाकर्ता की ओर से सीनियर एडवोकेट एस श्रीकुमार द्वारा यह प्रस्तुत किया गया कि एडवोकेट सैबी जांच अधिकारी के सामने पेश होने और जांच में सहयोग करने के लिए तैयार हैं। यह भी कहा गया कि जांच एजेंसी शिकायत दर्ज करने के पीछे साजिश के संबंध में याचिकाकर्ता द्वारा लगाए गए आरोपों की भी जांच कर सकती है।
मामले को दो सप्ताह के बाद आगे के विचार के लिए पोस्ट किया गया।
जजों को रिश्वत देने के नाम पर मुवक्किलों से पैसे लेने के आरोपों का सामना कर रहे एडवोकेट सैबी ने अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द करने और आगे की सभी कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग करते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
एर्नाकुलम सेंट्रल पुलिस स्टेशन ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 7 (1) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 420 के तहत अपराधों को लागू करके एडवोकेट सैबी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की। एफआईआर राज्य पुलिस प्रमुख के अनुमोदन से दर्ज की गई।
एडवोकेट सैबी द्वारा दायर याचिका में यह दावा किया गया कि तीन या चार वकीलों के समूह ने रजिस्ट्रार जनरल को झूठी शिकायत दी, जिन्होंने मामले की जांच के लिए राज्य पुलिस प्रमुख को सूचित किया। राज्य के पुलिस प्रमुख ने नगर पुलिस आयुक्त को प्रारंभिक जांच करने का निर्देश दिया। हालांकि, यह माना गया कि याचिकाकर्ता को अपराध में शामिल करने के लिए कोई ठोस सबूत नहीं लाया गया।
यह प्रस्तुत किया गया कि शिकायत में उल्लिखित सभी व्यक्तियों को पुलिस आयुक्त द्वारा बुलाया गया और उनके बयान दर्ज किए गए हैं। हालांकि, याचिकाकर्ता ने कहा कि उन बयानों में से किसी ने भी उसके खिलाफ कुछ भी प्रकट नहीं किया, जिससे वकीलों द्वारा उसके खिलाफ लगाए गए आरोपों को सही ठहराया जा सके।
याचिकाकर्ता ने कहा कि एफआईआर दर्ज करने के साथ ही उसका पूरा करियर बर्बाद कर दिया गया।
याचिकाकर्ता ने कहा,
"इसके अलावा, मीडिया, प्रिंट और विजुअल दोनों ने याचिकाकर्ता के खिलाफ कई फर्जी खबरें दीं, क्योंकि याचिकाकर्ता के प्रति उनकी लंबे समय से शिकायत है, क्योंकि मीडिया और वकीलों के बीच संघर्ष और विवाद था और विशेषाधिकारों का आनंद लिया गया।
याचिकाकर्ता और अन्य के कहने पर केरल हाईकोर्ट एडवोकेट एसोसिएशन के हस्तक्षेप पर मीडियाकर्मियों को ले जाया गया।
कोर्ट ने पहले एडवोकेट सैबी के खिलाफ दर्ज एफआईआर पर इस आधार पर रोक लगाने से इनकार कर दिया कि याचिका समय से पहले दायर की गई।
मौखिक रूप से यह कहा गया,
"इसके सामने आरोप बहुत गंभीर हैं। यह कुछ ऐसा है, जो पूरी न्याय वितरण प्रणाली को बदनाम कर रहा है।"
न्यायालय ने आगे कहा,
"आप इस न्यायालय के अधिकारी हैं और जिम्मेदार संस्था के पदाधिकारी हैं। यह भी आपकी ज़िम्मेदारी है कि आप अपनी बेगुनाही साबित करें और पूरे न्याय वितरण प्रणाली पर डाली गई छाया को दूर करें।"
इसी आधार पर याचिकाकर्ता ने याचिका के साथ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व सीनियर एडवोकेट एस. श्रीकुमार और प्रतिवादी का प्रतिनिधित्व एडवोकेट के. आनंद, बाबू एस. नायर, एम.आर. नंदकुमार और मार्टिन जोस पी ने किया।
केस टाइटल: सैबी जोस किदंगूर बनाम राज्य पुलिस प्रमुख व अन्य।