अब जब स्कॉलरशिप वापस ले ली गई है तो आप स्व-वित्तपोषित कॉलेजों में बीपीएल छात्रों की सुरक्षा कैसे करेंगे? केरल हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा
Shahadat
25 July 2022 3:26 PM IST
केरल हाईकोर्ट ने पिछले हफ्ते राज्य सरकार को यह स्पष्ट करने का निर्देश दिया कि गरीबी रेखा से नीचे की श्रेणी के छात्र को स्व-वित्तपोषित कॉलेज में ट्यूशन फीस का भुगतान करने के लिए कैसे कहा जा सकता है, भले ही वह रियायती दर हो।
जस्टिस देवन रामचंद्रन ने राज्य से यह भी जवाब देने के लिए कहा कि ऐसे छात्रों को अब कैसे संरक्षित किया जा सकता है, जबकि उनकी स्कॉलरशिप योजना पहले ही वापस ली जा चुकी है।
न्यायालय बीपीएल श्रेणी के कुछ लोगों द्वारा एडवोकेट वी. सेतुनाथ के माध्यम से दायर याचिका पर सुनवाई रहा था। इस याचिका में आरोप लगाया गया कि उन्हें प्रवेश परीक्षा आयुक्त द्वारा स्व-वित्तपोषित कॉलेजों को आवंटित किया गया और उन्होंने अपने आधार पर आवंटन स्वीकार कर लिया। इस धारणा के तहत वरीयता दी जाती है कि वे स्कॉलरशिप के हकदार हैं।
हालांकि, उन्होंने तर्क दिया कि हाईकोर्ट द्वारा जारी किए गए कुछ निर्णयों और आदेशों के कारण यह स्कॉलरशिप अब वापस ले ली गई है।
इसलिए उनका कहना है कि उन्हें ट्यूशन फीस देने में असमर्थ छोड़ दिया गया है और उन्हें कॉलेज से निकालने की धमकी दी जा रही है।
इस स्तर पर विवादों के गुण-दोष में प्रवेश किए बिना न्यायालय ने राज्य के समक्ष निम्नलिखित दो प्रश्न रखे:
क) 'बीपीएल' छात्र को सेल्फ-फाइनेंसिंग कॉलेजों में रियायती दर पर भी फीस का भुगतान करने के लिए कैसे कहा जा सकता है, क्योंकि उम्मीदवार के बीपीएल श्रेणी के तहत शामिल होने का तथ्य उसे ऐसा करने से अक्षम बनाते हैं।
बी) चूंकि स्कॉलरशिप वापस ले ली गई है, सरकार बीपीएल छात्रों की रक्षा करने का प्रस्ताव कैसे करती है, जिसमें उनकी ट्यूशन फीस और अन्य खर्चों को पूरा करना, या उन्हें सरकारी कॉलेजों में स्थानांतरित करना शामिल है, ताकि वे बिना फीस के अध्ययन कर सकें।
राज्य को अगली सुनवाई पर इन प्रश्नों का उत्तर देने के लिए कहा गया।
हालांकि, यह स्पष्ट किया गया कि यह सत्यापित करने के लिए सरकार के लिए खुला है कि क्या प्रत्येक छात्र वास्तव में बीपीएल श्रेणी के अंतर्गत आता है और ये प्रश्न केवल उन छात्रों पर लागू होते हैं, जो उस श्रेणी में आते हैं।
मामले की सुनवाई नौ अगस्त को होगी।
केस टाइटल: निमल जेम्स और अन्य बनाम केरल राज्य और अन्य।
साइटेशन: 2022 लाइव लॉ (केरल) 376
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