केरल हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से अधीनस्थ कोर्ट और हाईकोर्ट और रजिस्ट्री कर्मचारियों को वैक्सीन प्राथमिकता में शामिल करने पर विचार करने को कहा

LiveLaw News Network

24 May 2021 1:25 PM GMT

  • केरल हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से अधीनस्थ कोर्ट और हाईकोर्ट और रजिस्ट्री कर्मचारियों को वैक्सीन प्राथमिकता में शामिल करने पर विचार करने को कहा

    केरल हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से कहा कि वह अदालत और हाईकोर्ट और उसके अधीनस्थ स्तर पर रजिस्ट्री कर्मचारियों के लिए वैक्सीन को प्राथमिकता के आधार पर देने के लिए विचार करे।

    जस्टिस के विनोद चंद्रन और जस्टिस एमआर अनीता की बेंच ने दायर एक याचिका पर विचार करते हुए कहा कि अधिवक्ताओं और अधिवक्ता क्लर्कों को वैक्सीन प्राथमिकता सूचीमें शामिल किया जाए।

    न्यायमूर्ति विनोद चंद्रन ने सुनवाई के दौरान कहा कि राज्य सरकार इस मामले को अधिवक्ताओं और अधिवक्ता क्लर्कों के संघों के साथ उठा सकती है। लॉकडाउन के बीच सक्रिय रूप से भाग लेने वाले व्यक्तियों की सूची प्राप्त कर सकती है और उन्हें वैक्सीनेशन के लिए प्राथमिकता मान सकती है।

    न्यायमूर्ति चंद्रन ने राज्य को याद दिलाया कि उसने अपने कर्मचारियों को पंजीकृत और सफलतापूर्वक वैक्सीन लगाया है।

    न्यायमूर्ति चंद्रन ने पूछा,

    "आपने अपने सभी कर्मचारियों को टीका लगाया है ... यह अच्छा है ... लेकिन क्या इसे निचली अदालतों, रजिस्ट्री के कर्मचारियों तक नहीं बढ़ाया जाना चाहिए?"

    अदालत ने कहा कि यहां तक ​​कि अधिवक्ता भी फिजिकल रूप से मामले दर्ज कर रहे हैं और महामारी के बीच कर्मचारी नियमित रूप से अदालत जा रहे हैं।

    कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा,

    "वे भी आपके कर्मचारी हैं। हालांकि भारत के संविधान के तहत हम (हाईकोर्ट) अपने अधिकार क्षेत्र का इस्तेमाल करते हैं... वकील और जज कुछ हद तक वीसी (वीडियो कांफ्रेंसिंग) के जरिए बैठे रहते हैं... लेकिन स्टाफ रोज आ रहा है।"

    न्यायमूर्ति चंद्रन ने कहा,

    "हम चाहते हैं कि आप इसे (वैक्सीनेशन) रजिस्ट्री और अधीनस्थ न्यायालयों के लिए विस्तारित करें ।"

    राज्य के अटॉर्नी केवी सोहन ने प्रस्तुत किया कि वर्तमान में वैक्सीन प्राथमिकता में शामिल किया जा रहा है, जो COVID-19 पॉजीटिव व्यक्तियों के साथ व्यक्तियों की संपर्क श्रेणियों की डिग्री के आधार पर किया जा रहा है।

    न्यायमूर्ति चंद्रन ने राज्य को इस पहलू पर जवाब देने का निर्देश दिया और कहा कि वह दिन के दौरान इस मुद्दे पर एक आदेश पारित करेगा।

    एडवोकेट बेनी एंटनी परेल द्वारा एडवोकेट सैबी जोस किदंगूर, के. आनंद, सिभा एस, पार्वती विजयन, मोहम्मद सलीह पीएम और टीएम मोहम्मद हफीस के माध्यम से दायर याचिका में याचिकाकर्ता ने कहा कि वकील लोगों से मिलने के लिए बाध्य हैं। वे व्यक्तिगत रूप से उनकी शिकायतें सुनते हैं। संबंधित अदालतों के समक्ष रखने से पहले मामले से संबंधित दस्तावेजों का अवलोकन करते हैं।

    याचिकाकर्ता का तर्क है,

    "इसलिए, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और पुलिस की तरह वकील भी COVID-19 वैक्सीनेशन और COVID-19 से संबंधित बीमारियों के इलाज के मामले में सरकार द्वारा फ्रंट लाइन वर्कर्स के रूप में व्यवहार करने के योग्य है।"

    इसलिए याचिका में इन निर्देशों की मांग की गई है-

    1. न्यायिक अधिकारियों और वकीलों को COVID-19 वैक्सीनेशन और अन्य COVID-19 से संबंधित उपचार के लिए प्राथमिकता के आधार पर फ्रंटलाइन (प्राथमिकता समूह) में शामिल किया जाए।

    2. फ्रंटलाइन वर्कर्स की परिभाषा का विस्तार किया जाए, ताकि न्यायिक अधिकारियों और वकीलों को प्राथमिकता के आधार पर वैक्सीनेशन किया जा सके।

    अंत में यह प्रार्थना की जाती है कि न्यायालय केंद्र और राज्य सरकार को याचिकाकर्ता के ईमेल अभ्यावेदन पर उचित आदेश पारित करने का निर्देश दे, जो रिट याचिका का निपटान लंबित है।

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