कार फाइनेंसर ने नष्ट हुए वाहन की पूरी बीमा राशि दुर्घटना पीड़ितों को दी, केरल हाईकोर्ट ने तारीफ की

Avanish Pathak

20 April 2023 3:59 PM GMT

  • कार फाइनेंसर ने नष्ट हुए वाहन की पूरी बीमा राशि दुर्घटना पीड़ितों को दी, केरल हाईकोर्ट ने तारीफ की

    Kerala High Court

    केरल हाईकोर्ट ने हाल ही में एक फाइनेंसर एम/एस सुंदरम फाइनेंस की तारीफ की, जिसने एक भयानक हादसे में नष्ट हुए एक वित्तपोषित वाहन की पूरी बीमा राशि पीड़ितों को दे दी। पीड़ितों में से एक रेप सर्वाइवर है।

    जस्टिस ए मोहम्मद मुस्ताक और जस्टिस शोबा अन्नम्मा एपेन की खंडपीठ ने फाइनेंसर की अपने बिजनेस और कॉमर्सियल इंटरेस्ट को किनारे रखकर यह दिखाने के लिए की मानवता सबसे ऊपर है, सराहना की।

    अदालत ने कहा,

    "व्यायसायिक दुनिया में, जहां व्यायसायिक हितों को अक्सर ऊपर रखा जाता है, उम्मीद की किरण भी होती है, जो अभी द‌िखी है।"

    मामला

    एक पोक्सो पीड़िता, जो महिला और बाल गृह में रह रही थी, ने बालिग होने पर किशोर न्याय अधिनियम, 2015 की धारा 40 के तहत अपनी मां के साथ रहने के लिए याचिका दायर की। पीड़िता की मां ने अपने पति को छोड़ दिया था, जो बेटी से दुष्कर्म का अपराधी भी था।

    हाईकोर्ट ने केरल कानूनी सेवा प्राधिकरण (केएलएसए) के तहत एक सर्विस प्लेटफॉर्म विक्टिम राइट्स सेंटर (वीआरसी) की भागीदारी का निर्देश दिया था। वीआरसी के सदस्यों में से एक को सर्वाइवर के संरक्षक के रूप में प्रतिनियुक्त किया गया था। सर्वाइवर भौतिकी में स्नातक की पढ़ाई कर रही थी। जब उसने अपने सदस्य को बताया कि वह कॉलेज की छुट्टियों के दरमियान अपनी मां और भाई और बहन के साथ रहना चाहती है, तो उन्होंने हाईकोर्ट की खंडपीठ को सूचित किया, जिसने उसे अपने मां के पास जाने की अनुमति दी, जो उसके पिता से दूर रहती थी। पुलिस को यह सुनिश्चित करने के लिए भी निर्देशित किया गया था कि पीड़िता के अपनी मां के साथ रहने के दरमियान अपराधी पिता न्याय क्षेत्र में प्रवेश न करें।

    हालांकि, वहां सर्वाइवर के पिता ने एक भीषण घटना को अंजाम दिया। उसने पत्नी, दो छोटे बच्चों के साथ वाहन में आग लगा दी। हादसे में पीड़िता ने अपनी मां और भाई को खो दिया। घटना में पिता भी झुलस गया और मौके पर ही दम तोड़ दिया। हादसे में पीड़िता की बहन गंभीर रूप से जलने के बाद भी बच गई।

    कोर्ट ने पीड़िता और उसकी बहन की भलाई के लिए मामले को नियमित अंतराल पर पोस्ट किया। चूंकि पीड़िता को अपने नन‌िहाल के पास एक कॉलेज ज्वाइन करने के लिए विश्वविद्यालय छोड़ना पड़ा और उसकी पढ़ाई में रुकावट आ गई, अदालत ने स्वत: संज्ञान लिया और एक एनजीओ की मदद से पास के एक कॉलेज की पहचान की, ताकि उसका घर जहां है, वहां अपनी पढ़ाई जारी रख सके।

    कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए वक्फ बोर्ड को भी पक्षकार बनाया और बोर्ड ने पीड़िता को तत्काल राहत के रूप में 1,00,000/- रुपये की राशि स्वीकृत की।

    इसी बिंदु पर वाहन के बकाया ऋण के संबंध में एक बड़ा मुद्दा सामने आया, जो इस घटना में नष्ट हो गया था, जिसमें पीड़िता ने अपने एक भाई और माता-पिता को खो दिया था। वाहन उसकी मां के नाम पर था और पिता गारंटर थे। ईएमआई की दो किश्तों का प्रारंभिक भुगतान हो चुका था, उसके बाद दुर्घटना हुई थी। लोन का बीमा मैसर्स कोटक इंश्योरेंस के पास था।

    कोटक इंश्योरेंस ग्रुप, वीआरसी और फाइनेंसर के साथ कई दौर की बातचीत के बाद, बीमा कंपनी को मूल्यह्रास और अन्य कटौती के बाद फाइनेंसर के खाते में 3.00 लाख रुपये ट्रांसफर करने के लिए तैयार किया गया।

    इसके बाद फाइनेंसर ने कोटक लाइफ इंश्योरेंस से मिली पूरी रकम पीड़िता और उसके नाबालिग बहन के संयुक्त खाते में ट्रांसफर कर दी।

    इस सदाशयता के कारण कोर्ट ने फाइनेंसर की प्रशंसा की।

    केस का शीर्षक: XXX बनाम केरल राज्य व अन्य।

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