केरल हाईकोर्ट ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से विवाह पंजीकरण की अनुमति दी

LiveLaw News Network

8 Jan 2021 6:00 AM GMT

  • केरल हाईकोर्ट ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से विवाह पंजीकरण की अनुमति दी

    Kerala High Court

    केरल हाईकोर्ट ने श्रीलक्ष्मी जे.एस. बनाम कडुकुट्टी ग्राम पंचायत और अन्य WP (C) .No.27387 of 2020 मामले में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से विवाह पंजीकरण की औपचारिकताओं को पूरा करने की अनुमति दी।

    याचिकाकर्ता ने अपने पति सनूप के साथ 24.08.2019 को प्रथागत संस्कार के अनुसार विवाह किया था। उन्होंने केरल रजिस्ट्रेशन ऑफ मैरिज (कॉमन) रूल्स, 2008 (रूल्स) के संदर्भ में स्थानीय रजिस्ट्रार ऑफ मैरिजेज (कॉमन) के समक्ष विवाह के पंजीकरण का आवेदन प्रस्तुत किया था। लेकिन विवाह पंजीकरण पूरा होने से पहले ही याचिकाकर्ता के पति को अचानक दक्षिण अफ्रीका में अपने काम के लिए वापस लौटना पड़ा। अब याचिकाकर्ता दक्षिण अफ्रीका में अपने पति के पास जाने लिए वीजा के लिए आवेदन करना चाहती थी, लेकिन विवाह प्रमाणपत्र के बिना वह ऐसा करने में असमर्थ है।

    इसलिए, याचिकाकर्ता की यह दलील थी कि वह उसे पति की उपस्थिति को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनिश्चित करने और उसकी शारीरिक उपस्थिति और हस्ताक्षर के बिना शादी का प्रमाण पत्र जारी करके उसकी शादी के पंजीकरण से संबंधित औपचारिकताओं को पूरा करने की अनुमति दी जाये।

    न्यायमूर्ति पी. बी. सुरेश कुमार ने रजिस्ट्रार ऑफ मैरिजेज, सचिव मैथ्यू टी.के. बनाम अलापुझा और एक अन्य, 2020 (4) केएचसी 456 मामले में मिसाल के तौर पर भसासा किया, जहां एक समान मामले का निस्तारण किया गया।

    अदालत ने याचिकाकर्ता की याचिका को अनुमति दी। संक्षेप में, यह निर्देश दिया गया कि याचिकाकर्ता के पति का अधिकृत प्रतिनिधि विवाह के लिए स्थानीय रजिस्ट्रार के समक्ष एक हलफनामा दायर करेगा। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पति की उपस्थिति में अधिकृत प्रतिनिधि विवाह रजिस्टर में उसकी ओर से हस्ताक्षर करेगा।

    लेकिन, पति को एक वर्ष के भीतर रजिस्ट्रार के सामने शारीरिक रूप से उपस्थित होने और विवाह रजिस्टर में हस्ताक्षर करने के लिए निर्देशित किया गया है। इसके साथ ही अगर वह ऐसा करने में विफल होता है तो रजिस्ट्रार विवाह पंजीकरण को रद्द करने के लिए स्वतंत्रता होगा।

    न्यायालय के निम्निलिखित निर्देश दिए हैं: -

    (i) याचिकाकर्ता के पति का एक अधिकृत प्रतिनिधि, जो उसके माता-पिता में से एक है, तीसरे प्रतिवादी के समक्ष एक शपथ पत्र दाखिल करेगा, जिसमें कहा गया है कि वह याचिकाकर्ता के पति द्वारा उसकी ओर से विवाह रजिस्टर में हस्ताक्षर करने के लिए विधिवत अधिकृत है।

    (ii) यदि तीसरे प्रतिवादी के समक्ष निर्देश के रूप में एक हलफनामा दायर किया जाता है, तो वह Ext.P4 ज्ञापन पर कार्यवाई करेगा और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपने पति की उपस्थिति को सुरक्षित करने और विवाह प्रमाणपत्र जारी करने के बाद याचिकाकर्ता के विवाह के पंजीकरण की याचिकाकर्ता, उसके पति और उसके पति के अधिकृत प्रतिनिधि के हस्ताक्षर प्राप्त करने के बाद औपचारिकताएं पूरी करेगा।

    (iii) याचिकाकर्ता का पति तीसरे प्रतिवादी के समक्ष उपस्थित होगा और पंजीकरण की तारीख से एक वर्ष के भीतर विवाह रजिस्टर में हस्ताक्षर करेगा। यदि याचिकाकर्ता का पति उक्त निर्देश का पालन नहीं करता है, तो तीसरे प्रतिवादी को अपनी शादी के पंजीकरण को रद्द करने की स्वतंत्रता होगी।

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